Gyan Ki Baat : बड़ों के पैर छूकर प्रणाम करने के लिए क्यों कहती है दादी-नानी? जानिए धार्मिक व वैज्ञानिक महत्व
चंडीगढ़ , 7 जनवरी (ट्रिन्यू)
Gyan Ki Baat : सनातन धर्म में बच्चों को छोटी उम्र से ही दादी-नानी से लेकर सभी बड़े-बुजुर्ग के पैर छूकर आशीर्वाद लेने की सीख दी जाती है। दादी-नानी भी बचपन से ही बच्चों को यह गुण सिखाती है। यह एक ऐसी प्राचीन परंपरा है, जिसका पालन लोग आधुनिक युग में भी कर रहे हैं। शास्त्रों में भी सुबह उठकर माता-पिता सहित बड़े बुजुर्ग के पैर छूने का महत्व बताया गया है।
भारत में बड़ों के पैर छूना एक सांस्कृतिक परंपरा है जो सम्मान और विनम्रता का प्रतीक है। यह कृतज्ञता दिखाने और बड़ों से आशीर्वाद लेने का एक तरीका है जिन्हें ज्ञान और अनुभव के स्रोत के रूप में देखा जाता है। यह बड़ों के प्रति श्रद्धा और विनम्रता दिखाने का एक तरीका है।
बड़ों के सम्मान के महत्व पर जोर देता है: यह उम्र और अनुभव के साथ आने वाली बुद्धि और ज्ञान का सम्मान करने और सम्मान करने के महत्व पर जोर देता है। यह परंपरा उत्तरी और मध्य भारत में अधिक प्रचलित है। दक्षिण भारतीय पूर्ण लंबाई का साष्टांग नमस्कार या "शष्टांग नमस्कार" पसंद करते हैं। कहा जाता है कि बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लेने से नम्रता, आदर, विनय भाव जागृत होता है। साथ ही इससे पॉजिटिव एनर्जी का आदान प्रदान भी होता है।
ज्योतिष एक्सपर्ट के अनुसार, बड़ों के पैर छूने से नवग्रहों से संबंधित दोष दूर होते हैं। पिता का चरण स्पर्श करने से सूर्य और मां, दादी- नानी आदि के पैर छूने से चंद्र ग्रह मजबूत होता। बड़े भाई के पैर छूने से मंगल, बड़ी बहन के पैर छूने से बुध और गुरु-संतों के पैर छूने से बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है और सभी दोष भी दूर होते हैं। इसके अलावा बुजुर्गों के पैर छूने से केतु और भाभी के पैर छूने से शुक्र ग्रह मजबूत होता है।
वैज्ञानिकों का क्या कहना?
विशेषज्ञों के अनुसार, झुककर पैर छूने से कमर के ऊपरी भाग में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, जिससे त्वचा और बालों की समस्याएं दूर होती है। योग में चरणस्पर्श को साष्टांग प्रणाम कहा जाता है, जो कमर दर्द में भी लाभदायक है।
वहीं, घुटने के बल बैठकर पैर छूने से पैर जोड़ मुड़ जाते हैं। इससे जोड़ों के दर्द से निजात मिलती है। साष्टांग प्रणाम, 8 अंगों से प्रणाम करने का एक तरीका है, जिसमें जमीन पर सीधा लेटाकर प्रणाम किया जाता है। इससे तनाव भी दूर होता है।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।