Gyan Ki Baat: रात हो नाखून काटने पर क्यों फटकारती है दादी नानी?
चंडीगढ़, 23 दिसंबर (ट्रिन्यू)
Gyan Ki Baat: अधिकांश भारतीय घरों में आज भी लोग कई पुरानी परंपराओं व मान्यताओं का पालन करते हैं उन्हीं में से एक है रात के समय नाखून काटना। अक्सर बड़े बुजुर्ग रात को नाखून काटने के लिए मना करते हैं। कई लोगों ने तो रात को नाखून काटने पर दादी-नानी से फटकार भी खाई होगी।
कई संस्कृतियां रात में नाखून काटने को दुर्भाग्य से जोड़ती हैं। उनका मानना है कि इससे आत्माएं परेशान हो सकती हैं या चंद्रमा से जुड़ी प्राकृतिक ऊर्जा का प्रवाह बाधित हो सकता है। चलिए जानते हैं कि आखिर रात को नाखून काटनेकी क्यों होती है मनाही...
पुराने समय में सूर्यास्त के बाद नाखून काटने से मना करने का एक कारण यह है कि लोग रोशनी के लिए लालटेन और लैंप का इस्तेमाल करते थे और उन दिनों बिजली नहीं थी। तब लोगों को उचित रोशनी के बिना अपने नाखून काटना चुनौतीपूर्ण लगता था इसलिए इससे खुद को चोट लगने की संभावना भी कम हो जाती थी।
इसके अलावा वे अपने नाखून काटने के लिए आदिम औजारों, ब्लेड और चाकू का इस्तेमाल करते थे, जिससे अंधेरे में चोट लगने की संभावना बढ़ जाती थी। दिन के उजाले में उन्हीं अपरिष्कृत औजारों का इस्तेमाल करना आसान होता। त्वचा से आगे निकलने वाले नाखून मृत कोशिकाएं होती हैं। प्रकाश की अनुपस्थिति में, उंगलियों और पैर की उंगलियों से कटी ये अस्वास्थ्यकर मृत त्वचा कोशिकाएं गलती से भोजन को दूषित कर सकती हैं या कपड़ों पर भी चिपक सकती हैं। इसके अलावा, ये मृत त्वचा कोशिकाएं सूक्ष्मजीवों का घर भी बन सकती हैं जो बीमारी और संक्रमण का कारण बन सकती हैं।
इसके अलावा, जमीन पर गिरे नाखूनों के कटे हुए नुकीले सिरे लोगों को घायल कर सकते थे। इसलिए चोट, संक्रमण को रोकने और अनुशासन को बढ़ावा देने के लिए, लोगों ने सूर्यास्त के बाद अपने नाखून नहीं काटने का फैसला किया लेकिन धीरे-धीरे इसने अंधविश्वास का रूप ले लिया।
क्या कहता है शास्त्र?
शास्त्रों के अनुसार, सूर्यास्त के बाद नाखून काटना अशुभ माना जाता है क्योंकि इससे मां लक्ष्मी नाराज हो जाती है और इससे घर में दरिद्ररता और आर्थिक समस्याएं आ सकती है। शास्त्रों में मंगलवार, गुरुवार, शनिवार के दिन भी नाखून काटने की मनाही होती है। शास्त्रों के मुताबिक, बुधवार और रविवार का दिन नाखून काटने के लिए सबसे बढ़िया होता है।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।