गुजवि ने बनाया वियरेबल डिजास्टर एमरजेंसी कम्युनिकेशन डिवाइस, मिला पेटेंट
हिसार, 25 सितंबर (हप्र)
आपातकालीन परिस्थितियों में काम करने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा अब और अधिक मजबूत होगी। ऐसे व्यक्तियों पर आने वाले खतरे को भांपने के लिए गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार (गुजविप्रौवि) के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. नवदीप मोर ने एक डिवाइस विकसित की है। डाॅ. नवदीप मोर की वियरेबल डिजास्टर एमरजेंसी कम्युनिकेशन डिवाइस को भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय द्वारा डिजाइन पेटेंट मिला है। डाॅ. नवदीप मोर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई से मिले और उन्हें पेटेंट प्रमाणपत्र सौंपा। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रो. आशा गुप्ता भी उपस्थित रहीं। कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने सिविल इंजीनियरिंग विभाग व डाॅ. नवदीप मोर को इस उपलब्धि के लिए बधाई देते हुए कहा कि गुजविप्रौवि लगातार राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान मजबूत कर रहा है।
शोधकर्ता डॉ. नवदीप मोर ने बताया कि यह डिवाइस पेंडेंट बेल्ट या हाथ की घड़ी में लगाया जा सकता है तथा आपातकालीन परिस्थितियों में निर्माण साइट पर काम करने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा को बढ़ावा देती है। इस डिवाइस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इमेज प्रोसेसिंग तकनीक का प्रयोग हुआ है, जो कि आने वाले खतरे को भांप लेते हैं। उस परिस्थिति के अनुसार काम कर रहे व्यक्ति को अलर्ट कर देते हैं तथा आपदा प्रबंधन में उपयोगी होते हैं। यह तकनीक सेंसर के माध्यम से लो-पावर वाइड एरिया नेटवर्क तकनीक के तहत संकेत दे सकती है, जिसे वाईफाई या ब्लूटुथ द्वारा भी कनेक्ट किया जा सकता है।
जीपीएस व जीएनएसएस तकनीक के माध्यम से सटीक जगह की जानकारी मिल जाती है तथा समय पर मदद पहुंचाई जा सकती है। यह डिवाइस नोटिफिकेशन व अलर्ट भी देती है। इस डिवाइस में लगे कैमरा कार्य कर रहे व्यक्तियों की आंखों की गतिविधि और चेहरे के भावों, दिल की धड़कन और शरीर के तापमान को जांच कर आराम करने की भी सलाह देता है। उन्होंने बताया कि यह पेटेंट निर्माण साइट पर कार्य करने वाले लोगों की सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी है।