मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

विभाजन में बिछुड़े माता-पिता से तीन साल बाद मिल पाए थे ग्रोवर

12:38 PM Aug 14, 2022 IST

हरीश भारद्वाज/ हप्र

Advertisement

रोहतक, 13 अगस्त

भारत-पाक विभाजन का दंश झेलने वाले परिवारों में पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर भी शरीक हैं। उन्होंने विकट परिस्थितियों में गुजर बसर करने के लिए न केवल मजदूरी की, बल्कि अनेक रातें बिना छत के ही बिताई। आलम यह था कि ग्रोवर के माता-पिता इस विभाजन के दौरान बिछुड़ गए थे जो करीब तीन साल बाद फिर से मिले।

Advertisement

विभाजन विभीषिका स्मृति समिति के प्रदेश अध्यक्ष एवं भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष मनीष कुमार ग्रोवर ने बताया कि मां, भाई, पिता, बेटी, पति-पत्नी सब एक दूसरे से बिछुड़ गए। आंखों के सामने ही ज्यादातर लोगों का कत्ल कर दिया गया जो बचे वह किसी प्रकार अपनी जान बचाते हुए भारत पहुंच गए।

भावुक हुए पूर्व मंत्री ने कहा कि हम आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, लेकिन हमें यह भी याद रखना होगा कि इस आजादी की कीमत क्या है। ग्रोवर ने कहा कि बंटवारा बेहद दर्दनाक था। हमारे लाखों पूर्वजों को अनेक कष्ट उठाने पड़े थे। मनीष कुमार ग्रोवर ने बताया कि मेरे दादा दादी बड़े भाई मामा नाना नानी सहित परिवार के सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। मेरे माता-पिता आपस में बिछड़ गए। मेरी माता 3 साल के बाद अम्बाला कैंप में मिली थी। ग्रोवर ने कहा कि जब घटनाएं अपने सामने घटित हुई हों, इज्जत बचाने के लिए बहनों ने खुद अपने हाथों अपने गले काटे हों, तो उसे भुलाना मुश्किल होता है।

आज भी जब मेरे मामा कृष्ण लाल आहूजा उस हृदय विदारक दृश्य को याद करते हैं तो कांप जाते हैं। घंटों तक उनकी आंखों से आंसू बहते रहते हैं। मेरे मामा रामप्रकाश को वहीं पर गोली लगी थी, 132 लोगों का परिवार था उनका जिसमें से 22 लोग ईंख के खेत में छिप गए थे, सिर्फ वही बच पाए बाकी सब को मौत के घाट उतार दिया गया। मेरे दादा-दादी भी वहीं पर मार दिए गए।

Advertisement