आग से खेल रहे हैं राज्यपाल : सुप्रीम कोर्ट
नयी दिल्ली, 10 नवंबर (ट्रिन्यू/एजेंसी)
पंजाब सरकार के साथ गतिरोध को लेकर राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट ने झटका दिया है। पीठ ने राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर सहमति नहीं देने के लिए राज्यपाल पर अप्रसन्नता जाहिर करते हुए शुक्रवार को कहा कि आप आग से खेल रहे हैं। जून में आयोजित पंजाब विधानसभा के सत्र को संवैधानिक रूप से वैध घोषित करते हुए, शीर्ष अदालत ने राज्यपाल से विस्तारित बजट सत्र के दौरान पारित चार विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए कहा, जो उनके पास लंबित हैं।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, ‘विधानसभा के सत्र पर संदेह करने का कोई वैध संवैधानिक आधार नहीं है। ऐसा संदेह करने का कोई भी प्रयास लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरों से भरा होगा। सदन के सत्र की वैधता पर संदेह व्यक्त करना राज्यपाल के लिए उपलब्ध संवैधानिक विकल्प नहीं है। सदन के सत्र के दौरान, अध्यक्ष ही स्थगन और सत्रावसान को नियंत्रित करते हैं। इसलिए, पंजाब के राज्यपाल को 19 जून, 2023 के सत्र के दौरान पारित विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए आगे बढ़ना चाहिए, जो संवैधानिक रूप से वैध थे।’
विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने को लेकर पंजाब सरकार और राज्यपाल के बीच जारी गतिरोध को सुप्रीम कोर्ट ने ‘गंभीर चिंता’ का विषय बताया। पीठ ने पंजाब सरकार और राज्यपाल दोनों से कहा, ‘हमारा देश स्थापित परंपराओं व परिपाटियों से चल रहा है अौर उनका पालन करने की जरूरत है।’ पीठ ने विधानसभा सत्र को असंवैधानिक करार देने की राज्यपाल की शक्ति पर सवाल उठाया। पीठ ने पंजाब सरकार से भी सवाल किया कि उसने विधानसभा के बजट सत्र की बैठक को स्थगित क्यों किया, सत्रावसान क्यों नहीं किया गया। अदालत ने यह भी कहा कि पंजाब में जो हो रहा है, उससे वह खुश नहीं है।
गत 6 नवंबर को शीर्ष अदालत ने कहा था कि राज्य के राज्यपालों को इस तथ्य से अनजान नहीं रहना चाहिए कि वे जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं हैं। पंजाब सरकार ने विधेयकों को राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित की ओर से मंजूरी देने में देरी का आरोप लगाते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था। याचिका में कहा गया है कि इस तरह की ‘असंवैधानिक निष्िक्रयता’ ने पूरे प्रशासन को ‘ठप’ कर दिया है।
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तमिलनाडु में भी राज्यपाल बनाम सरकार, केंद्र से जवाब तलब
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु सरकार की उस याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा, जिसमें राज्यपाल पर विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने में देरी करने का आरोप लगाया गया है। तमिलनाडु सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील ने बताया कि राज्य विधानसभा द्वारा पारित 12 विधेयक राज्यपाल आरएन रवि के कार्यालय में लंबित हैं। तमिलनाडु सरकार ने आरोप लगाया ‘एक संवैधानिक प्राधिकरण असंवैधानिक तरीके से काम कर रहा है और बाहरी कारणों के चलते राज्य सरकार के काम में बाधा डाल रहा है।’