उम्र को थामने वाली दवा की खोज से जुड़े लक्ष्य
शोधार्थी एवं छात्र लक्ष्य शर्मा कई वर्षों से एजिंग संबंधी रोगों की एक बड़ी वजह मानी जाने वाली सेनसेंट कोशिकाओं से छुटकारा दिलाने के लिए शोध कार्य कर रहे हैं। इन रोगों में कैंसर भी शामिल है। रिसर्च के मुताबिक, इन सेल्स को सेनोलिटिक दवाओं के जरिये शरीर से निकाला जा सकता है। दुनियाभर में इन दवाओं के विकास पर खोज कार्य जारी हैं।
एडिटोरियल डेस्क
व्यक्ति की उम्र लंबी हो, साथ ही सेहतमंद भी रहे- यह स्थिति वरदान से कम नहीं है। ऐसा एजिंग की प्रक्रिया धीमी करके ही संभव है जिस पर अनेक शोध-अनुसंधान पूरी दुनिया में हो रहे हैं। इस नये माने जाने वाले रिसर्च फील्ड में भारत में भी अशोका यूनिवर्सिटी के छात्र लक्ष्य शर्मा शोधरत हैं। लक्ष्य के मुताबिक, हमारे शरीर में उम्र के साथ लगातार जमा होती रहने वाली सेनसेंट कोशिकाएं बुढ़ापे के लिए जिम्मेदार हैं। ये शरीर में मौजूद ही न हों तो व्यक्ति 70 की उम्र में भी 20 वर्ष जैसा स्वस्थ रह सकता है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से भी बच सकते हैं।
हानिकारक कोशिकाओं से छुटकारा
शोधार्थी लक्ष्य एजिंग संबंधी रोगों की जड़ सेनसेंट कोशिकाओं से छुटकारा दिलाने के लिए शरीर में मकैनिज्म के विकास संबंधी शोध कार्य कर रहे हैं। उनके मुताबिक, ये सेल्स चिकित्सकीय उपायों के जरिये शरीर से निकाल ली जायें तो वृद्धावस्था से जुड़ी कई बीमारियों से छुटकारा पाने में मदद मिल सकती है। जिनमें कैंसर और एजिंग से संबंधित पुरानी बीमारियां जैसे कम सुनाई देना, दृष्टि कमजोर होना, ऑस्टियोआर्थराइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस यानी हड्डियों का कमजोर होना, याददाश्त कमजोर होना, शूगर, सरकोपेनिया व उपचर्म फैट लॉस आदि शामिल हैं। लक्ष्य के मुताबिक, कारगर सेनोलिटिक दवाओं के सेवन से यह संभव है कि ये सेल्स शरीर से रिमूव किये जा सकते हैं। ऐसे में सेनोलिटिक दवाओं के विकास को लेकर काम करने की जरूरत है। लक्ष्य शर्मा कहते हैं, अमेरिका में चूहों के मॉडल पर अध्ययन में इन कोशिकाओं से छुटकारा पाने के परिणामस्वरूप औसत जीवनकाल और स्वास्थ्य अवधि में वृद्धि हुई है। इस शोध विषय से संबंधित लक्ष्य शर्मा की एक पुस्तक ‘सेलुलर सेनेसेंस एंड सेक्रेटरी फेनोटाइप्स थ्रू द लेंस ऑफ एजिंग, इन विवो रिप्रोग्रामिंग टेक्नोलॉजी’ भी प्रकाशित हो चुकी है।
उम्र के साथ जमा सेल्स का नकारात्मक असर
लक्ष्य के अनुसार, सेनसेंट या ट्यूमर दमनकारी कोशिकाओं के बारे में एक विचार यह है कि ये शरीर को ट्यूमर बनने से बचाने के लिए एक तंत्र के रूप में उत्पन्न होते हैं और बदले में हमें कैंसर से बचाते हैं। कोशिकाएं खुद को विभाजित करना बंद कर देती हैं और इसलिए ट्यूमर के बनने से रोकती हैं। एक बार जब इन कोशिकाओं ने कैंसर की रोकथाम के लिए अपना काम पूरा कर लिया है तो वे आवश्यक नहीं रह जाती हैं और उम्र बढ़ने के साथ शरीर में जमा हो जाती हैं। तो एक व्यक्ति जो 70 वर्ष का है, में 20 वर्ष के व्यक्ति की तुलना में अधिक सेनसेंट कोशिकाओं की संख्या होती है। जैसे ही वे जमा होते हैं, इन कोशिकाओं का शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
चूहों के मॉडल पर सफल परीक्षण
लक्ष्य के मुताबिक, सेनसेंट यानी वृद्ध कोशिकाएं जीवन भर नहीं मरती हैं और कुछ अणु यानी सेनेसेंस एसोसिएटेड सेक्रेटरी फेनोटाइप छोड़ती हैं जो ऊतक वातावरण में सूजन को ट्रिगर करते हैं जिससे कैंसर, ऑस्टियोआर्थराइटिस , ऑस्टियोपोरोसिस और अन्य उम्र से संबंधित बीमारियां होती हैं। दरअसल , बक इंस्टीट्यूट ऑफ एजिंग और मेयो क्लिनिक जैसे अमेरिकी संस्थानों के शोधकर्ताओं ने चूहों के मॉडल का अध्ययन किया है। जहां उन्होंने दो अलग-अलग चूहों का अध्ययन किया जिनमें एक में से सेनसेंट सेल्स हैं और दूसरे में सीनेसेंट नहीं हैं। पहले वाले चूहे को उम्र से संबंधित पुरानी बीमारियों से पीड़ित दिखाया गया था और दूसरा बिना सेनसेंट कोशिकाओं के। सेनसेंट कोशिकाओं वाले माउस की तुलना में दूसरे वाला माउस बिना किसी उम्र से संबंधित बीमारियों के 25-35% अधिक समय तक जीवित रहा। लक्ष्य के अनुसार, यदि ये सेनसेंट कोशिकाएं मनुष्यों में उम्र से संबंधित बीमारियों के प्रमुख चालक हैं, तो हम जीवनकाल और स्वास्थ्य में वृद्धि के लिए उम्र से संबंधित बीमारियों के लिए चिकित्सीय तंत्र के रूप में उनके निष्कासन का उपयोग कर सकते हैं।
तो बिना स्पेशलिस्ट हो सकेगा बुढ़ापे के सब रोगों का इलाज
शोधार्थी लक्ष्य बताते हैं, चूहों पर सेनोलिटिक दवाओं का सफल परीक्षण किया गया है। वर्तमान में, अमेरिका में चरण एक के नैदानिक परीक्षण चल रहे हैं जहां वे मनुष्यों पर सेनोलिटिक दवाओं का परीक्षण कर रहे हैं। सफल होने पर, यह खोज आधुनिक चिकित्सा में क्रांति ला सकती है क्योंकि हृदय, फेफड़े, आंख आदि में विशेषज्ञता वाले डॉक्टर की कोई आवश्यकता नहीं होगी। हमारे स्वास्थ्य और संभवतः जीवनकाल को बढ़ाने के उपचार के लिए केवल एक चीज आवश्यक होगी, वह है अग्रणी सेनसेंट कोशिकाओं को हटाना। इससे उम्र से संबंधित रोग दूर हो जायेंगे।
छोटी उम्र में शुरू किये रिसर्च के प्रयास
लक्ष्य ने छोटी उम्र में ही बुढ़ापे के रोगों के कारणों व इनके इलाज पर शोध कार्य शुरू कर दिया था। लक्ष्य के मुताबिक, ‘मैंने अपनी दादी को कैंसर के कारण खो दिया था। मैं अपने परिवार में से किसी को भी किसी बीमारी या उनके बुढ़ापे के कारण जल्द ही खोना नहीं चाहता था। मैंने इस बारे में अध्ययन की ठानी कि मैं उन वर्षों की संख्या कैसे बढ़ा सकता हूं जो वे जी सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि वे अपने बुढ़ापे में किसी भी बीमारी से पीड़ित न हों’। लक्ष्य के अनुसार, उनके शोध प्रयासों के लिए उन्हें भारत के शिक्षा मंत्री के साथ ही रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के निदेशक द्वारा भी मान्यता दी गई है। लक्ष्य निरंतर शोध कार्य कर रहे हैं सेनसेंट कोशिकाओं को दबाने के लिए सेनोलिटिक दवाओं पर।