मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
आस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

आंगन की फसल रहे रसायनों से मुक्त

07:27 AM Oct 31, 2023 IST

रेणु जैन

Advertisement

साधारण भाषा में किचन गार्डन को रसोईघर बाग, गृह वाटिका, पोषण वाटिका भी कहते हैं। जो घर के अगल-बगल या घर की छत में ऐसी खुली जगह होती है, जहां पारिवारिक श्रम से परिवार के इस्तेमाल हेतु विभिन्न मौसमों के अनुसार मौसमी फल, विभिन्न सब्जियां तथा कई तरह की जड़ी-बूटियां भी उगाई जाती हैं। किचन गार्डन का मकसद रसोईघर के वेस्ट पानी तथा घर में बनाई खाद का इस्तेमाल करना भी होता है। आजकल बाजार में फल,सब्जियों में जमकर रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है। भले ही हम सब्जियों को धोकर इस्तेमाल करते हैं लेकिन फिर भी कुछ न कुछ अंश हमारे शरीर में चला ही जाता है। पेस्टिसाइड एटलस 2022 की रिपोर्ट में कहा गया है कि खेतों में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशकों से हर साल 11 हजार से ज्यादा मौतें होती हैं। गंभीर बात यह भी कि इनमें से करीब 60 फीसदी मौतें भारत में ही होती हैं। इतना ही नहीं, ये कीटनाशक दुनियाभर में 38.5 करोड़ लोगों के बीमार होने की वजह भी हैं।

फायदे बेमिसाल

किचन गार्डन में उगी सब्जियों में कोई पेस्टिसाइड नहीं होता जो हमें कई तरह की बीमारियों से बचाता है। स्वाद से भरपूर सब्जियां हमारे घर के बजट को संतुलित रखती हैं। भले बाजार में महंगी हों, हमारे घर पर हमें आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। आप अपने मन मुताबिक कभी भी उन्हें तोड़कर बना सकते हैं। तुलसी,मीठे नीम की पत्तियां, गिलोय,अजवाइन की पत्तियां, अरबी के पत्ते,मेथी, पालक, जैसी कई अन्य सब्जियां आसानी से घर में उगाई जा सकती हैं। हेल्दी होने के साथ ही ये पत्ते कई शारीरिक फायदों से भरपूर होते हैं।

Advertisement

कीटनाशक से नुकसान

बात चाहे घर के गार्डन की हो या खेतों की, लगातार रासायनिक खाद तथा कीटनाशकों के उपयोग से मिट्टी की उर्वरता व गुणवत्ता घटने लगती है। वहीं अनाज व सब्जी की फसल पर इनका उपयोग सेहत के लिए ठीक नहीं। चिंता की बात यह भी है कि जहां एक तरफ दुनिया के कई देशों ने कीटनाशक दवाइयों को प्रतिबंधित कर दिया है वे भारत में धड़ल्ले से बिक रही हैं। गेहूं के ऊपर मेथोलिन पाउडर के इस्तेमाल से किसान बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। सारे देश के दूध के कई नमूनों में डीडीटी की मौजूदगी पाई गई है। जो हमारे गुर्दों, होंठों, जीभ तथा यकृत को नुकसान पहुंचाते हैं। खून में डीडीटी की मात्रा की अधिकता कैंसर को जन्म देती है। कहा तो यहां तक जाने लगा है कि जब मिट्टी दूषित हो जाती है तो शरीर का विकास भी थमने लगता है जो कुपोषण का एक कारण भी है।

किचन गार्डन कुपोषण से भी बचा रहा

लखनऊ में एक अनोखा अभियान चल रहा है। यहां पर घर-घर किचन गार्डन के अलावा आंगनबाड़ी केंद्रों के किचन के बाहर खाली पड़ी जमीनों पर पोषण वाटिका बनाई जा रही है। आंगनबाड़ी केंद्रों की निगरानी में इन पोषण वाटिका में उगने वाले फल,सब्जियां कुपोषित बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं को मुफ्त में दिए जाते हैं।

सिक्किम से सीख

सिक्किम का प्रामाणिक तौर पर 100 फीसदी जैविक राज्य बनना अनुकरणीय है। सिक्किम ऐसा इसलिए कर पाया कि उन्होंने कृत्रिम रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगाई। उपयोग में लेने वालों को जुर्माना तथा सजा दोनों का प्रावधान है। फल,तथा सब्जियों पर जहरीले कीटनाशकों के प्रयोग को रोकने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान परिषद दिल्ली ने कई कीटनाशकों पर आंशिक या पूर्ण प्रतिबंध लगाया है जिसके तहत जुर्माने तथा सजा का भी प्रावधान है। इसके बावजूद पूरे देश में ऐसे कीटनाशकों की बिक्री बेरोकटोक जारी है। वैज्ञानिकों के अनुसार, देश में बढ़ते कीटनाशकों का समाधान जैविक खेती व जैविक बागवानी ही है।

सुखद प्रयास

कोरोना के बाद जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई योजनाएं चालू की हैं। एक अच्छी खबर यह भी आई कि छत्तीसगढ़ के जांजगीर जिले के एक किसान ने निमसार नामक ऐसा रसायन तैयार किया है जिससे सब्जियों पर छिड़काव के बाद किसी और रासायनिक कीटनाशक की जरूरत नहीं पड़ती। यह रसायन गोबर,गौमूत्र, धतूरा जैसी चीजों से मिलाकर बनाया जाता है। इसी तरह छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले का एक किसान कचरे तथा गोबर से जैविक खाद बनाकर हर साल 15 लाख तक कमाता है।

Advertisement