सपनों की नगरी में जुए का हॉटस्पॉट
अमिताभ स.
मकाऊ को कोई सपनों का देश कहता है, तो कोई जुए में सबसे कमाऊ एशियाई देश। कसीनो की दुनिया में इसका नंबर लॉस वेगास के बाद आता है। एकदम छोटा-सा देश है। महज 28 वर्ग किलोमीटर में फैला है। टापू है और साउथ ईस्ट चीन में है। सन् 1999 में यह आजाद हुआ और तब से चीन के हवाले है। हांगकांग की तरह मकाऊ चीन का है, लेकिन इसकी अपनी सरकार है, कायदे-कानून हैं, पुलिस है और करेंसी भी है। इससे पहले करीब 400 साल इस पर पुर्तगाल का राज रहा। 16वीं सदी में मकाऊ पूरब के देशों का पहला देश था, जहां यूरोपीय शासन कायम हुआ।
बोलचाल की दिक्कत
मकाऊ में पैदल घूमिए। ज्यादातर पर्यटक ऐसा ही करते हैं। सड़कें ऊंची-नीची हैं क्योंकि छोटी-छोटी पहाड़ियों पर बसा है। मकाऊ के दो आइलैंड पुल से ही जुड़े हैं। होटल टू होटल शटल बस सर्विस से भी सफर कर सकते हैं। टैक्सियां हैं, लेकिन खासी कम। इसलिए टैक्सी के इंतजार में लाइन लगती है। टैक्सी वाले सवारी को झांसा देकर, ज्यादा भाड़ा वसूलने की फिराक में रहते हैं। इसे मकाऊ वाले ‘फीशिंग’ कहते हैं। यहां-वहां साइकिल रिक्शा भी चलती दिखाई देती है। सड़कों पर लेफ्ट साइड पर ट्रैफ़िक दौड़ता है और वाहन राइट हैंड ड्राइव हैं। बोलचाल में भाषा की जरा दिक्कत रहती है। मकाऊ वालों की भाषा पुर्तगाली और चीनी है। होटलों को छोड़कर बाहर बाज़ार में अंग्रेजी कम ही बोलते और समझते हैं। ज्यादातर बुद्ध धर्म को मानते हैं।
पूरा मकाऊ ही एकदम सुरक्षित है। इसलिए रातभर बिना किसी डर के अकेली महिला भी घूम सकती है। चोरी-चकारी या छीना-झपटी की वारदात न के बराबर होती हैं। स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग उच्चतम श्रेणी का है। एशिया का बेस्ट समझिए। सड़कों पर ट्रैफिक बहुत कम है। हर शनिवार और रविवार होटलों में रात गुजारने के रेट बढ़ जाते हैं। क्योंकि चीनी वीकेंड पर कसीनो खेलने उमड़ पड़ते हैं। और फिर, मेनलैंड चाइना यानी चीन में कसीनो नहीं हैं। मकाऊ में कसीनो का इतना चलन है कि वहां का हर पांच में से एक बंदा कसीनो में काम करता या करती है।
दुनिया के बेस्ट होटल
मकाऊ बेशक छोटा है, लेकिन यहां दुनिया के बेस्ट होटल हैं। सबसे बड़ा और शानदार होटल वेनेशियन है। इतना बड़ा कि होटल के चार-छह मुख्य द्वार हैं और इतनी ही रिसेप्शन्स हैं। बावजूद इसके मेहमानों को चैक इन करने के लिए एक- डेढ़ घंटा कतार में खड़ा होना पड़ता है। होटल के रास्तों- गलियारों को समझने में ही दो-चार दिन लग जाते हैं। इसी होटल में, आइफा समेत कई बॉलीवुड अवार्ड समारोह हो चुके हैं। होटलों की शान के नजारे मकाऊ की खासियत है।
सिटी ऑफ ड्रीम्स, शेरेटन गैलेक्सी, ग्रैंड हयात होटल वगैरह चंद और बड़े मशहूर होटल हैं। करीब-करीब हर होटल में कसीनो है। होटलों के लाइट शोज़ पर्यटकों के लिए आकर्षण हैं। मकाऊ के लोगों की उम्र लम्बी होती है- औसत उम्र 85 साल है। शायद आबोहवा स्वच्छ है और शून्य प्रदूषण है इसलिए। नलों का पानी पीने लायक है। हालांकि मिनरल वॉटर खासा महंगा है। वैसे, अपने देश की तरह, हाल के दशक में, यहां भी डेंगू फैल रहा है।
देवी से नाम मिला
पुराने और साफ-सुथरे मकाऊ की ज्यादातर हेरिटेज इमारतों पर पुर्तगाली छाप है। इसके नामकरण के पीछे भी पुर्तगालियों से जुड़ा वाक्या है। हुआ यूं कि 16वीं सदी में, जब पहली दफा पुर्तगाली इस द्वीप पर उतरे, तो एक मछुआरे से जगह का नाम पूछा। भाषा समझने की दिक्कत के चलते, मछुआरे ने समुद्र की देवी का नाम बता दिया, ‘मकाओ।’ सो, पुर्तगाली तभी से ‘मकाऊ’ कहने लगे और यही नाम पड़ गया। आज भी मकाऊ के साउथ वेस्ट में ऊंचाई पर समुद्र की देवी ए-मा का मंदिर है। इसका निर्माण मिंग डेनेस्टी (1368-1644) के दौरान हुआ और तब से वहां के निवासी ए-मा टेम्पल के प्रति श्रद्धा रखते हैं।
मंदिर में हर भक्त को दो-दो अगरबत्तियां मुफ्त मिलती हैं, वहीं जला कर पूजा-अर्चना की जाती है। गौर करने लायक है कि अपने मंदिरों में धूप-अगरबत्ती खरीद कर जलाते हैं, जबकि वहां मंदिर की ओर से ही अगरबत्तियां बांटने का इंतजाम होता है। मंदिर के आंगन में, एक तश्तरी में समुद्र का पानी भरा रहता है। भक्त बारी-बारी श्रद्धापूर्वक तश्तरी को जोर-जोर से हिलाते हैं। माना जाता है कि अगर पानी के बुलबुले उभर आएं, तो भक्त की मुंहमांगी मुराद पूरी होती है।
मकाऊ हरा-भरा है, हर तरफ हरियाली है, पहाड़ी रास्ते हैं और खूबसूरत बीच भी है। तफरीह के लिए ‘लारगो डू सेनाडो’ मेन स्कवेयर और सबसे व्यस्त डाउनटाउन है। गिफ्ट शॉप, आलीशान शोरूम, रेस्टोरेंट और स्ट्रीट फूड के ठिकाने, क्या- क्या नहीं है। उत्तर दिशा में, सीढ़ियां चढ़कर सेंट पॉल चर्च के खंडहर हैं। यहीं मकाऊ फोर्ट भी है। सैलानी सबसे ज्यादा फोटो यहीं खिंचवाते हैं। नजदीक ही ‘म्यूजियम ऑफ मकाऊ’ में इतिहास से रू-ब-रू होने का मौका मिलता है। एक और खास आकर्षण है मकाऊ टॉवर। यहां से मकाऊ का हवाई नजारा देखना मजेदार है। रोमांच पसंद लोगों के लिए, दुनिया की सबसे ऊंची बंजी जंप को वाकई ज़िंदगी में एक बार का अनुभव कह सकते हैं। आप जान ही गए होंगे कि हर हाल में लुभाऊ है मकाऊ!
कैसे है जाना
मकाऊ में इटंरनेशनल एयरपोर्ट है और उड़ान से भी पहुंच सकते हैं। लेकिन ज्यादातर पर्यटक पहले हांगकांग की सैर करना चाहते हैं और फिर, फैरी के जरिए समुद्र के रास्ते मकाऊ पहुंचते हैं।
सीधी उड़ान से दिल्ली से हांगकांग पहुंचने में लगभग साढ़े 4-5 घंटे लगते हैं। आगे फैरी से करीब डेढ़ घंटे का समुद्री सफर मकाऊ ले जाता है। दिनभर हर 15 मिनट के बाद हांगकांग से मकाऊ फैरी आती-जाती है। रात में फैरी की नाइट सर्विस 1-1 घंटे के बाद चक्कर लगाती है।
समय के लिहाज से, मकाऊ दिल्ली से करीब ढाई घंटे आगे है।
करेंसी है मकाऊ पटाका। आजकल एक मकाऊ पटाका करीब 11 रुपये का है। हांगकांग डॉलर भी चलते हैं। दोनों में करीब एक रुपये का अंतर है। हांगकांग डॉलर करीब 12 रुपये के बराबर है।