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साइबर हमलों के जवाब को चाहिए पूरी तैयारी

07:54 AM May 25, 2024 IST
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मधुरेन्द्र सिन्हा

आदिकाल से मनुष्य का स्वभाव रहा है- लड़ना और नये शस्त्रों का आविष्कार करना। नुकीले पत्थरों से जो कहानी शुरू हुई वह आगे बढ़ते-बढ़ते तीर-तलवार और उसके आगे बंदूकों-तोपों तक चली गई। फिर लड़ाकू जहाज और मिसाइलें। बात यहां तक ही नहीं ठहरी। अब यह अदृश्य लड़ाई में तब्दील हो चुकी है जिसमें शत्रु पास होते हुए भी कहीं दिखता नहीं। यह शत्रु देशी या विदेशी कोई भी हो सकता है। वह आप पर या आपके देश पर हमले करता है इंटरनेट या फोन के माध्यम से आपके पैसे चुराने की कोशिश करता है या बेशकीमती सूचनाएं। यही है साइबर हमला और सारी दुनिया के देश इससे परेशान हैं।
लेकिन भारत की बात ही अलग है। पिछले दस वर्षों में देश का डिजिटलीकरण बहुत तेजी से हुआ और यह लोगों की जिंदगी का हिस्सा बन गया। लेकिन उसके सामने साइबर अपराधी भी चुनौती बनकर खड़े हो गये हैं जिनका लगातार सफाया हो रहा है। देश की प्रतिष्ठित संस्थाओं से सूचनाएं चुराने की पुरजोर कोशिशें हो रही हैं, उन्हें नष्ट करने की भी साजिश ऑनलाइन हो रही है। लोगों से डरा-धमका कर उनकी गाढ़ी कमाई निकलवाने की कोशिशें हो रही हैं। यह सब दूर-दराज से सिर्फ इंटरनेट, स्मार्टफोन या ऐसे ही माध्यमों से हो रहा है।
साइबर ठगी तो इसका छोटा-सा उदाहरण है। बड़े शातिर साइबर हमलावर तो देश की वित्तीय संस्थाओं और प्रणालियों पर भी हमला करते रहते हैं। जी-20 के दौरान तो भारतीय प्रतिष्ठानों और जी-20 आयोजन संबंधी दफ्तरों पर लाखों हमले हुए। इस दौरान हर 60 सेकेंड में 16 लाख साइबर अटैक हुए थे। लेकिन केंद्रीय एजेंसियों ने अपनी त्वरित व कुशल कार्रवाई के जरिये साइबर अपराधियों को उनके मंसूबों में कामयाब नहीं होने दिया। छोटे स्तर पर तो ये कुछ हद तक कामयाब हो गये लेकिन उन पर शिकंजा कसता जा रहा है।
देश में साइबर हमलों को खत्म करने की जिम्मेदारी केन्द्रीय गृह मंत्रालय की है। प्रधानमंत्री तथा केन्द्रीय गृह मंत्री के निर्देशन में एक साइबर तथा इन्फॉरमेशन सिक्योरिटी डिवीजन साइबर सेफ इंडिया के लिए काम कर रहा है। गृह मंत्रालय ने तीन नये कानून भी बनवाये जो साइबर अपराध रोकथाम में सहायक होंगे। इनमें इलेक्ट्रॉनिक एफआईआर की व्यवस्था के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणों को सबूत के तौर पर मानने का प्रावधान भी है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय में साइबर क्राइम से निपटने के लिए स्थापित भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) ने अब तक उल्लेखनीय कार्य किया है। विदेशों से हमले करने वाले साइबर अपराधी बेहद चतुर एवं अति आधुनिक डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर से लैस होते हैं। वे हमला करते हैं और हमारे देश के महत्वपूर्ण संस्थानों के वेबसाइटों तथा संचार व्यवस्था को ध्वस्त करने की कोशिश करते हैं या वहां से सूचनाएं चुराने का प्रयास करते हैं। हमारे कई बड़े संस्थानों पर ऐसे हमले हो चुके हैं लेकिन ज्यादातर निष्फल हुए हैं। ऐसेे हमले चीन, पाकिस्तान से तो होते ही हैं, तुर्की और अमेरिका-कनाडा से भी होते हैं। लेकिन हमारी एजेंसियां चाकचौबंद रहती हैं और हमले निष्फल करती जाती हैं।
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) ने पूरे भारत में 1200 करोड़ रुपये से अधिक की बचत की है और लगभग 5 लाख शिकायतों का निपटारा किया है। यह केन्द्र विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों और हितधारकों में समन्वय स्थापना के अलावा साइबर अपराध से निपटने के लिए देश के भीतर क्षमता निर्माण करने का भी प्रयास कर रहा है। इसने राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) के लॉन्चिंग में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसका उपयोग पहले से ही राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 31 लाख से अधिक साइबर अपराध शिकायतों, 66,000 एफआईआर के साथ 14 करोड़ बार किया जा चुका है।
राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (एनसीएफएल) साइबर घटनाओं से संबंधित जांच में सहायता करती है। चूंकि, ऐसे अपराध राज्य की सीमाओं से परे होते हैं, इसलिए आई4सी ने बेहतर अंतर-राज्य समन्वय के लिए संयुक्त साइबर अपराध समन्वय दल यानी जेसीसीटीएस की स्थापना की है। ‘साइबर दोस्त’ नामक एक सोशल मीडिया हैंडल भी संचालित किया जा रहा है, जो विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सुरक्षा से जुड़े टिप्स मुहैया कराता है। गृह मंत्रालय द्वारा ‘साइबर जागृति दिवस’ नामक एक पहल भी की जा रही है।
गृह मंत्री अमित शाह ने जी-20 के दौरान गुरुग्राम में ‘एनएफटी, एआई और मेटावर्स के युग में अपराध और सुरक्षा’ विषय पर जी-20 सम्मेलन के दौरान भारत के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों से साइबर स्वयंसेवक दस्ते को हरी झंडी दिखाई थी। डिजिटल रूप से सुरक्षित भारत की जरूरत बन चुका आई4सी पहल विकसित भारत के आह्वान को मज़बूती प्रदान करता है। भविष्य में बड़े पैमाने पर डिजिटल दुनिया में होने वाले अपराधों को रोकने, कम करने और उन पर निगरानी रखने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की देखरेख में एक राष्ट्रव्यापी साइबर अपराध रोकथाम तंत्र कार्यरत है।
भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। लेकिन इसके मार्ग में साइबर अपराधी खड़े हैं। कई देश नहीं चाहते कि भारत इतनी तरक्की करे और इसके लिए वे साइबर हमलों का सहारा लेते हैं ताकि उनकी पहचान छुपी रहे लेकिन हमारी एजेंसियां भी इतनी चुस्त-दुरुस्त हैं कि वे पकड़ ही लेती हैं कि हमला कहां से हो रहा है या इसके पीछे कौन से तत्व हैं। हमलावर भी चुप बैठने वाले नहीं और उन पर हमारी ओर से भी जवाबी हमले किये जाते हैं ताकि उनकी कमर टूटे।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।

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