रात गुजारने की उम्मीदों पर अव्यवस्था का तुषारापात
पंकज अरोड़ा/निस
पिपली (कुरुक्षेत्र), 4 जनवरी
हाड़ कंपाती ठंड में किसी बेघर या मजबूर व्यक्ति को रैन बसेरा दिख जाए तो उसकी खुशी का अंदाजा लगाया जा सकता है, लेकिन करीब जाने पर वही रैन बसेरा बंद मिले तो उस पर क्या गुजरेगी इसे समझ पाना ही मुश्किल नहीं है। धर्म नगरी कुरुक्षेत्र का हाल भी ऐसा ही है। कहने को तो यहां रैन बसेरे दिखते हैं, लेकिन सब अव्यवस्था की भेंट चढ़े हुए हैं, इन्हें देखकर एक शायर की दो पंक्तियां सटीक लगती हैं- ‘ये सर्द रात ये आवारगी ये नींद का बोझ, हम अपने शहर में होते तो घर गए होते।’
धर्म नगरी कुरुक्षेत्र में भी अन्य इलाकों की तरह ठंड जोरों पर है। बुधवार को यहां का न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस था| ऐसी ठंड में अनेक गरीब, मजदूरों को रैन बसेरों की जरूरत होती है। कहने को तो जिला प्रसाशन ने बेघरों के लिए रैन बसेरे बना रखे है, लेकिन इनकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है। बुधवार रात्रि को इस संवाददाता ने खुद जाकर इन रैन बसेरों का जायजा लिया। पुराने बस अड्डे के पास बने रैन बसेरे पर ताला जड़ा था। यही नही पवित्र सन्निहित सरोवर पर रैन बसेरे पर भी ताला लगा हुआ था| कंपकपाने वाली सर्दी में यहां साधु-बाबा खुले में सो रहे है। बता दे की बुधवार को जिला कष्ट निवारण समिति की बैठक थी जिसमे मंत्री कमल गुप्ता के सामने रैन बसेरों की बदतर हालत के बारे में बताया। मंत्री ने बैठक में आदेश दिए थे कि रैन बसेरों की व्यवस्था ठीक की जाए| मंत्री के आदेशों की अधिकारी कितनी पालना करते हैं, इसका पता इन रैन बसेरों के हालत देखने पर मिले। ठंड चरम पर है, ऐसे में अधिकारियों का दिल कब पसीजेगा कोई नहीं जानता।
व्यवस्था जल्दी ठीक हो जाएगी : एसडीएम
इस बारे में जब थानेसर के एसडीएम थानेसर सुरेंद्र पाल से बात की गयी तो उन्होंने माना कि मंत्री के आदेश हो चुके हैं। आज ही इनकी व्यवस्था ठीक करवाने पर काम करेंगे| उन्होंने कहा कि जिला नगर आयुक्त ने भी नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी को रैन बसेरों के ताले खोलने के बारे में पत्र लिखा हुआ है| इस संबंध में बताया गया कि गत 2 जनवरी को लिखे पत्र में जिला नगर आयुक्त ने आदेश जारी किए हुए हैं कि व्यवस्था की रिपोर्ट आयुक्त कार्यालय को दें।
रियलिटी चैक में हालात का हुआ खुलासा
रैन बसेरों के इस रियलिटी चेक में देखा कि पांच में से दो तो बन्द मिले। यानी उनपर ताले लगे थे। एक का फर्श टूटा था। वहां बिजली भी गुल थी। कुल मिलाकर खस्ताहाल हालत। अर्जुन चौक पर बने रैन बसेरे के हालात भी अच्छे नही थे। यहां तो इतनी बदबू थी की खड़ा होना ही मुश्किल था। अर्जुन चौक के पास ही लोग खुले आसमान के नीचे सोने पर मजबूर थे। वहां खुले में सो रहे लोगों का कहना था कि प्रशासन ने उनकी सुध नहीं ली है|