रूसी फौज में धोखे की भर्ती
09:04 AM Mar 25, 2024 IST
नौजवानों का रोजगार उनके परिवार की रोजीरोटी का आधार बनता है। ज्यादा वेतन के लालच में कुछ बेरोजगार युवकों को धोखेबाज एजेंट अपने जाल में फांस कर विदेश भेज देते हैं। उनके परिवार वाले भी चूक कर जाते है। अक्सर ऐसे एजेंटों के सब्जबाग झूठे और जानलेवा साबित हो जाते है। रूसी फौज में भी देश के युवकों को धोखे से भेजने की खबर आई है। समय रहते हमारा तंत्र बेखबर रहा। कबूतरबाजी करने वाले एजेंटों पर अंकुश लगाने व विदेश जाने की सूचना सरकारी तंत्र को देने की सख्त जरूरत है।
देवी दयाल दिसोदिया, फरीदाबाद कानून को अंगूठा दिखाकर कार्य करने वालों की सूची इतनी लम्बी है कि अपनी बेरोज़गारी से बौखलाया नागरिक आसानी से उनके झांसे में आ जाता है। लाखों की सम्पत्ति, ज़मीनें होते हुए भी काम न होने से जीवन नहीं चलता, और धोखेबाज एजेंट उनकी इसी कमज़ोरी का फ़ायदा उठाते हैं। इनका नेटवर्क सरकारी नेटवर्क से ज़्यादा फैला हुआ है, इसी कारण ये लोग पकड़ में नहीं आते। अगर आते भी हैं तो इनकी जड़ें नहीं कटती और ये किसी और रास्ते अंकुरित होते रहते हैं। आवश्यकता है, रोज़गारोन्मुख शिक्षा की, युवकों को देश में ही रोज़गार, आत्मनिर्भर बनाने की।
कविता सूद, जीरकपुर
एजेंट पैसों की खातिर देश के बेरोजगार युवाओं के साथ धोखाधड़ी कर उन्हें रूसी फौज में धोखे की भर्ती कर यूक्रेन युद्ध में मौत के मुंह में धकेल रहेे हैं। कुछ युवा देश की बेरोजगारी से परेशान होकर तो कुछ वहां नौकरी या अन्य कोई काम करने के शौक के चलते गलत एजेंटों के चक्कर में फंस जाते हैं। दूसरी बात, जितना पैसा वे गलत तरीके से विदेश जाने के लिए खर्च करते हैं, अगर उस पैसे से अपने ही देश में कोई काम-धंधा खोल लें तो शायद यहीं वे अपना कैरियर बना सकते हैं। सरकार को भी इन एजेंटों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर विदेशों में रोजगार के सुनहरे सपने दिखाकर युवाओं को अपने जाल में फंसाने वाले एजेंटों के किस्से-कहानी कोई नयी बात नहीं है। नौकरी के नाम पर युवाओं को रूस भेज देना और फिर वहां से यूक्रेन युद्ध में झोंक देना नई कड़ी है। देश के एक-आध युवक की वहां से युद्ध में मौत की खबर भी आई है। इस मामले में तंत्र संवेदनहीन क्यों बना हुआ है? इन्हें तो अपनी राजनीति से ही फुर्सत नहीं है। युवा बेरोजगार एजेंटों के जाल में फंसकर जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं। तो वहीं माता-पिता दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। तंत्र की काहिली कब टूटेगी? ऐसे एजेंटों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
सत्यप्रकाश गुप्ता, बलेवा, गुरुग्राम दो सालों से रूस-यूक्रेन युद्ध में सैनिकों के संकट से जूझ रहे रूस द्वारा कुछ भारतीय व विदेशी एजेंटों के मार्फत भारतीय बेरोजगारों को झांसा देकर बाहर ले जाने की योजना बनाई गई। दरअसल भारत, दुबई व रूस में बैठे एजेंटों के बीच मिलीभगत से युवा इस जाल में फंस रहे हैं। एजेंट युवाओं से नौकरियां देने के नाम पर लाखों रुपये भी वसूल रहे हैं। इन युवाओं को धोखे से रूसी सेना में भर्ती करवाकर यूक्रेन में भेजा जा रहा है। भारत को ऐसी फुलप्रूफ नीति बनानी होगी ताकि सशस्त्र युद्धों में शामिल करने के लिए युवाओं को बरगलाया न जा सके। वीजा नीति को पारदर्शी व सख्त बनाया जाए।
रमेश चन्द्र पुहाल, पानीपतपुरस्कृत पत्र
धोखाधड़ी से रोजगार के नाम पर विदेशों में भेजने का गोरखधंधा भारत में लगभग दो दशकों से खूब फल-फूल रहा है। झूठे सपने दिखाकर भारतीय युवाओं को जबरन रूसी सेना में भर्ती करवा देना, यह भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा है। इससे साबित होता है कि एजेंटों की पहुंच सत्ता के गलियारों तक कायम है। कबूतरबाजी के इस गोरखधंधे पर अंकुश लगाना अति आवश्यक है। युवाओं को सुनहरे सपने दिखाकर रूसी फौज में युद्ध के मोर्चे पर धकेल देना भारतीय खुफिया विभाग की विफलता है। भारत की छवि भी खराब हुई है। सरकार को त्वरित कार्रवाई करते हुए इस घटना की जांच करवानी चाहिए।
सुरेन्द्र सिंह ‘बागी’, महम
Advertisement
सख्ती जरूरी
देवी दयाल दिसोदिया, फरीदाबाद
देश में रोजगार
कविता सूद, जीरकपुर
Advertisement
आत्मनिर्भर बनें
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
सख्त कार्रवाई हो
सत्यप्रकाश गुप्ता, बलेवा, गुरुग्राम
पारदर्शी वीजा नीति हो
रमेश चन्द्र पुहाल, पानीपत
पुरस्कृत पत्र
कबूतरबाजी का गोरखधंधा
सुरेन्द्र सिंह ‘बागी’, महम
Advertisement
Advertisement