मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

चार पूर्व पुलिस अफसरों को पांच-पांच साल की कैद

07:28 AM Apr 08, 2025 IST

मोहाली/बठिंडा, 7 अप्रैल (हप्र/निस)
18 साल पुराने मोगा सेक्स स्कैंडल में मोहाली स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने पंजाब के चार पूर्व पुलिस अधिकारियों को पांच-पांच साल कैद की सजा सुनाई है। इनमें मोगा के पूर्व एसएसपी दविंदर सिह गरचा, पूर्व एसपी (हेडक्वार्टर मोगा) परमदीप सिंह संधू, मोगा सिटी थाने के पूर्व एसएचओ रमन कुमार और इंस्पेक्टर अमरजीत सिंह शामिल है। दोषियों पर दो-दो लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है। साथ ही, पूर्व एसएचओ रमन कुमार को फिरौती एक्ट की धाराओं के तहत तीन साल की अतिरिक्त सजा और एक लाख रुपये जुर्माना किया गया है। विशेष न्यायाधीश-द्वितीय राकेश गुप्ता के सुनाए फैसले में इन्हें भ्रष्टाचार और जबरन वसूली का दोषी पाया गया। अकाली नेता तोता सिंह के बेटे बरजिंदर सिंह उर्फ मक्खन और सुखराज सिंह को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है। दोषियों के खिलाफ रणजीत सिंह ने अदालत में केस दायर किया था।
यह मामला 2007 में उस समय सामने आया था, जब मोगा के सिटी थाने में जगराओं के एक गांव की लड़की की शिकायत पर गैंगरेप का मामला दर्ज किया गया था। उसने करीब 50 अज्ञात लोगों पर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। पुलिस अधिकारियों ने इस केस की जांच में ब्लैकमेलिंग करनी शुरू कर दी थी। उन्होंने केस में कई व्यापारियों और राजनेताओं के नाम शामिल करने शुरू कर दिए। इसी दौरान मोगा के भागी के गांव के रंजीत सिंह ने एसएचओ अमरजीत सिंह द्वारा 50 हजार रुपये मांगने की ऑडियो रिकॉर्ड कर ली। उसे धमकी दी गई थी कि पैसे नहीं देने पर उसे बलात्कार के मामले में गिरफ्तार कर लिया जाएगा। रंजीत ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) को इसकी शिकायत की। इसके बाद यह मामला चर्चा में आ गया। जब इस मामले में राजनेताओं और व्यापारियों के नाम आने लगे तो मीडिया में यह केस सुर्खियां बन गया। 12 नवंबर 2007 को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले का स्वयं संज्ञान लिया। साथ ही, पुलिस ने रिपोर्ट मांगी। बाद में हाईकोर्ट ने मामला सीबीआई को सौंप दिया था।

Advertisement

सरकारी गवाह की कर दी थी हत्या
इस मामले में एक महिला को सरकारी गवाह बनाया गया था। रणबीर सिंह उर्फ राणू और करमजीत सिंह सरकारी गवाह बने। महिला जीरा के पास नाम बदलकर रह रही थी। उस समय वह गर्भवती थी। सितंबर 2018 में उसकी और उसके पति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

इन धाराओं के तहत पाया दोषी
अदालत ने देविंदर सिंह गरचा और पीएस संधू को भ्रष्टाचार निवारण (पीसी) अधिनियम की धारा 13(1)(डी) के साथ धारा 13(2) के तहत दोषी पाया। रमन कुमार और अमरजीत सिंह को पीसी अधिनियम और आईपीसी की धारा 384 के समान प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया गया। अमरजीत सिंह को धारा 384 के साथ धारा 511 आईपीसी के तहत भी दोषी ठहराया गया है।

Advertisement

टाइमलाइन
अप्रैल 2007 : मोगा में ब्लैकमेलिंग रैकेट का खुलासा। पुलिस अफसरों और एक राजनेता के बेटे का नाम सामने आया
दिसंबर 2007 : हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी। केस दर्ज कर जांच शुरू हुई।
फरवरी 2008 : सीबीआई ने मोगा के पूर्व एसएसपी दविंदर सिंह गरचा और रोपड़ के एसपी मुख्यालय परमजीत सिंह को गिरफ्तार किया।
फरवरी 2012 : सीबीआई अदालत ने 4 पुलिस अफसरों समेत नौ लोगों पर आरोप तय किए।
सितंबर 2018 : मुख्य आरोपी से सरकारी गवाह बनी महिला और उनके पति की हत्या कर दी गई।
नवंबर 2024 : मोहाली पुलिस ने पति-पत्नी की हत्या में तीन सुपारी किलर को गिरफ्तार किया।
मार्च 2025 : चार तत्कालीन पुलिस कर्मियों को दोषी ठहराया गया।
4 अप्रैल : बहस पूरी न होने पर सजा पर सुनाई टली।

Advertisement