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शिक्षकों के एसीपी के मामलों में खेला जा रहा ‘फुटबॉल का खेल’: अध्यापक संघ

06:03 AM Jan 21, 2025 IST
यमुनानगर में प्रदर्शन करते राजकीय अध्यापक संघ-70 के सदस्य। -हप्र

यमुनानगर, 20 जनवरी (हप्र)
राजकीय अध्यापक संघ-70 हरियाणा संबंधित हरियाणा कर्मचारी महासंघ के जिला प्रधान महेंद्र सिंह कलेर का कहना है कि शिक्षकों के एसीपी के मामलों के साथ फुटबॉल के मैच का खेल खेला जा रहा है।
शिक्षक जब अपना एसीपी का मामला अपने डीडीओ से जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी(डीईईओ) कार्यालय में भिजवाते हैं तो वहां से कोई न कोई ऑब्जेक्शन लगाकर एसीपी के मामलों को वापस विद्यालयों में भेज दिया जाता है। शिक्षक डीडीओ से ऑब्जेक्शन दूर करवाकर दोबारा फिर अपने एसीपी के केस को डीईईओ कार्यालय में भिजवाते हैं। पुन: कोई और ऑब्जेक्शन लगा दिया जाता है और मामला फिर वापस विद्यालय में पहुंच जाता है। इस प्रकार बार-बार कोई न कोई ऑब्जेक्शन लगाकर फुटबॉल का मैच खेला जा रहा है कि कभी गेंद डीडीओ के कार्यालय में तो कभी गेंद डीईईओ के कार्यालय में पहुंच जाती है। न ही डीडीओ को पूरी जानकारी है और न ही डीईईओ कार्यालय के कर्मचारी एक बार ही पूरे ऑब्जेक्शन लगाकर मामले को विद्यालय में भेज रहे हैं। इससे शिक्षकों के एसीपी के मामलों में देरी हो रही है। शिक्षकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कलेर ने कहा कि पिछले दिनों अध्यापक संघ की जिला शिक्षा अधिकारी धर्मेंद्र चौधरी से एसीपी के मामलों को लेकर बात हुई थी तब उन्होंने कहा था कि इसके लिए एक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सभी डीडीओज को बुलाकर एसीपी के ऑनलाइन मामलों के बारे में विस्तार से समझाया जाएगा।
कलेर ने कहा कि न तो कोई प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया है और न ही डीईओ व डीईईओ के कर्मचारियों को कहा गया है कि एसीपी के मामलों पर बार-बार ऑब्जेक्शन न लगाकर एक बार ही ऑब्जेक्शन लगाएं जाएं ताकि कर्मचारी एक बार ही सभी कमियों को दूर करवाकर अपना एपीसी का मामला भेज सकें। प्रधान कलेर ने कहा कि कई शिक्षकों के मामलों पर तो 20-20 बार ऑब्जेक्शन लगाए गए हैं। एसीपी के मामलों में अध्यापकों को बेवजह परेशान किया जा रहा है।

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क्या होता है एसीपी

एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन (एसीपी) एक योजना है, जो कर्मचारियों को नियमित और संतोषजनक सेवा के आधार पर पदोन्नति और वित्तीय लाभ प्रदान करती है। पहले एसीपी 10, 20 और 30 साल की सर्विस पर मिलती थी, लेकिन अब यह 8, 16 और 24 साल की सर्विस पर मिलती है। यह मिलने पर कर्मचारियों के पे-बैंड बदलते हैं और उनके वेतन में वृद्धि होती है। पहले एसीपी के मामले ऑफलाइन जाते थे, लेकिन अब सभी मामले ऑनलाइन जाते हैं। खेमलाल सैनी, विनोद जिंदल, प्रवेश कुमार, सुखदेव सैनी, मनोज कुमार, सुदेश कुमार, संजीव कुमार, प्रीतम पंवार, रविंद्र कांबोज, अनिल कांबोज, हरीश किमोठी, सुनील शर्मा, चरणजीत, राजेश कश्यप इत्यादि शिक्षक नेताओं ने एपीसी के मामलों का समय पर निपटाने व सभी डीडीओज को ऑनलाइन एपीसी के मामलों के बारे में जानकारी देने मांग की है ताकि शिक्षकों के एपीसी के मामले लटके न रहें।

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