बादल सी ऊंची उड़ान, कैमरे में कैद जहान
राजेन्द्र शर्मा
ख्यात शायर नफस अम्बालवी का एक शेर है ndash; उसे गुमां है कि मेरी उड़ान कुछ कम है, मुझे यकीं है कि ये आसमान कुछ कम है। आजीविका के लिए वन विभाग शिमला में कार्यरत प्रकाश बादल ने अपनी दीवानगी के दम पर वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर के रूप में दुनिया भर में अपनी पहचान स्थापित कर नफस अम्बालवी के इस शेर को मुकम्मल तौर पर साकार कर जता दिया है कि कैमरे के पीछे उनकी चौकन्नी आंखों के लिए आसमान कुछ कम है।
कुछ अलग करने की जुस्तजू
हिमाचल प्रदेश के ऊपरी क्षेत्र में एक छोटा सा गांव है जुब्बल। इस गांव में आर्थिक रूप से अत्यन्त साधारण एक माली कली राम के घर में पुत्र का जन्म हुआ तो पिता ने उसका नाम प्रकाश बादल रखा। नाम के अनुरूप बालक प्रकाश बचपन से ही बादलों की मानिंद ऊंचा उड़ने के ख़्वाब देखता। इन्हीं ख़्वाबों को पूरा करने के लिए प्रकाश बादल बचपन से औरों से अलग कुछ करने की जुस्तजू में लगे रहते।
लेखन और पत्रकारिता
औरों से अलग करने की इस जुस्तजू में प्रकाश ने शुरुआत में लेखन और पत्रकारिता में हाथ आजमाये। उनकी धारदार गजलें अखबारों, पत्रिकाओं में प्रकाशित होने के साथ-साथ दूरदर्शन और रेडियो में गूंजने लगीं। प्रकाश ने हिमाचल की लोक संस्कृति, लोक जीवन और प्रथाओं को घूमन्तु पत्रकार की तरह जाना-समझा और इस पर अनेक लेख लिख हिमाचल की पत्रकारिता में अंशकालिक संवाददाता से ब्यूरो प्रमुख तक के पद पर काम किया।
शौक के लिए कड़ा संघर्ष
बचपन से ही लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक भी प्रकाश के सर चढ़ कर बोल रहा था। उस समय प्रीमियर का रील वाला कैमरा पांच सौ रुपये में आता था। पैसों की कमी और फोटोग्राफी के शौक के चलते प्रकाश ने बरसात और सर्दी की छुट्टियों में बीस रुपए दिहाड़ी पर काम करके पांच सौ रुपये जोड़े और प्रीमियर का कैमरा खरीद अखबारों के लिए फोटो शूट किये,जिसकी चौतरफा प्रशंसा हुई। इसी बीच पत्रकारिता छोड़ जीवन-यापन के लिए प्रकाश ने वन विभाग में सरकारी नौकरी शुरू की और यहीं से अपने फोटोग्राफी के शौक को अपनी अभिव्यक्ति का हथियार बना लिया। अब प्रकाश बादल के लेख नहीं, बल्कि प्रकाश की शूट की गयी तस्वीरें अखबारों में छपने लगीं।
मार्गदर्शन से खुली नयी राहें
प्रकाश के इस हुनर पर मुम्बई में रह रहे हिमाचल मूल से सम्बन्ध रखने वाले हिन्दी के जाने-माने कवि व लेखक अनूप सेठी की नज़र पड़ी। अनूप सेठी की पारखी नज़र ने प्रकाश की फोटोग्राफी के शौक के लिए नए द्वार खोल कर उनका मार्गदर्शन किया। कवि अनूप सेठी और वन विभाग के डीएफओ सतीश गुप्ता से प्रेरणा लेकर वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी की तरफ रुख किया और यह शौक जुनून में बदल गया।
दुर्लभ परिंदों की छवियां
प्रकाश हर रोज तड़के उठते और पौ फटने से पहले ही जंगल में पहुंच कर पशु-पक्षियों की फोटो शूट करते। प्रकाश हिमाचल सहित देश के उन हिस्सों में जाकर पक्षियों की तस्वीरें खींचने लगे, जहां पर विभिन्न किस्म के दुर्लभ पक्षी पाए जाते। प्रकाश की तस्वीरों के माध्यम से देश के अनेक दुर्लभ और रंग-बिरंगे पक्षियों की तस्वीरें देख कर ऐसा प्रतीत होता है मानो ये तस्वीरें हमसे बातें कर रहीं हों। प्रकाश हर वर्ष निजी खर्च पर देश भर में परिंदों की तस्वीरों को खींचने के लिए घूमते हैं, और इसी जूनून के चलते वो अब तक भारत में मौजूद लगभग चार सौ पचास प्रजातियों के पक्षियों की तस्वीरें खींच चुके हैं।
काम की खनक दूर-दूर तक
शुरुआत में प्रकाश की इस दीवानगी को लोगों ने ज्यादा तवज्जो नहीं दी लेकिन चर्चित वाइल्ड लाइफ एनजीओ स्ट्रेबो पिक्सल क्लब के प्रमुख हेमंत बिश्नोई और अनुराधा बिश्नोई द्वारा उत्तराखंड के नैनीताल में उत्तराखंड वन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक प्रदर्शनी में प्रकाश के काम की खनक दूर-दूर तक पहुंची। उत्तराखंड वन विभाग द्वारा उत्कृष्ट वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी के लिए प्रकाश बादल को सम्मानित किया गया। उसके बाद यह सिलसिला कोलकाता, कर्नाटक से होता हुआ, बंग्लादेश, ग्रेट ब्रिटेन तक पहुंचा और विश्व पटल पर प्रकाश बादल द्वारा खींची गयी तस्वीरों को स्थान मिला। अनेक अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में प्रकाश की तस्वीरों को शामिल किया गया। हिमाचल के तत्कालीन राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने प्रकाश के कार्यों का गंभीरता से नोटिस लिया और प्रकाश के द्वारा खींची गयी पक्षियों की बेहतरीन तस्वीरों के लिए एक प्रशस्ति पत्र लिखकर उनके कार्यों की प्रशंसा की।
पक्षियों के प्रति जागरूकता का लक्ष्य
प्रकाश बादल द्वारा खींची गयी पक्षियों की तस्वीरें इतनी बेहतरीन हैं कि कई प्रदर्शनियों में देश- विदेश के शीर्ष फोटोग्राफरों के साथ प्रकाश के चित्रों को स्थान मिला है। प्रकाश का कहना है कि फोटोग्राफी उनका जुनून है और वो अपने इस हुनर के ज़रिये न केवल पूरे विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करवाना चाहते हैं बल्कि भारत में विद्यमान हज़ार से भी अधिक पक्षियों की प्रजातियों का एक बेहतरीन दस्तावेज़ बनाना चाहते हैं, जिसके ज़रिये देश में पक्षियों के प्रति लोगों में जागरूकता हो और उनका संरक्षण किया जा सके। प्रकाश की तस्वीरें ‘नेशनल जियोग्राफिक’ के सोशल मीडिया हैंडल ‘नेट जीओ इंडिया’ सहित ग्रेट ब्रिटेन के ‘द सन अखबार’ तक में प्रकाशित हो चुकी हैं।
पक्षियों की तस्वीरों के माध्यम से एक रोमांच पैदा करना प्रकाश को अन्य फोटोग्राफरों से अलग करता है। उनके द्वारा खींची गयी तस्वीरों को देखकर पक्षी-संसार के वृहद रहस्यों का तो पता चलता ही है, साथ ही मनुष्य के साथ पक्षियों के संबंधों की महत्ता का आकलन भी किया जा सकता है। हिमाचल प्रदेश में ही बेशक प्रकाश के काम को अभी तक गौर से न देखा गया हो, लेकिन देश-विदेश में उनकी तस्वीरों का ज़िक्र होना और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में उनकी तस्वीरों को स्थान मिलना उनके जुनून और प्रतिभा दोनों को साबित करता है।