हरियाणा में जजपा के पांच विधायक भाजपा के संपर्क में!
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 9 अप्रैल
चुनावी मौसम के साथ ही हरियाणा में ‘आयाराम-गयाराम’ का दौर फिर से शुरू हो गया है। लोकसभा चुनावों के लिए प्रचार शुरू हो चुका है। लोकसभा चुनावों के नतीजों के करीब चार महीने बाद हरियाणा के विधानसभा चुनावों का बिगुल बज जाएगा। ऐसे में नेताओं में इधर-उधर जाने की भागदौड़ शुरू हो गई है। बदली हुई राजनीतिक हालात के बीच सबसे अधिक राजनीतिक नुकसान करीब साढ़े 4 वर्षों तक सत्तारूढ़ भाजपा के साथ गठबंधन सहयोगी रही जननायक जनता पार्टी (जजपा) को होता दिख रहा है।
जजपा के प्रदेशाध्यक्ष रहे सरदार निशान सिंह पार्टी छोड़ चुके हैं। वहीं जजपा के पांच विधायक भाजपा के संपर्क में होने की खबरें में हैं। बरवाला विधायक जोगीराम सिहाग ने जजपा के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी है, लेकिन यह बयान देकर कि लोकसभा चुनावों में वे मोदी के लिए वोट मांगेंगे, से स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा के प्रति उनका सॉफ्ट कॉर्नर है। यानी आने वाले दिनों में वे भाजपा का दामन थाम भी सकते हैं।
मनोहर सरकार में जजपा कोटे से विकास एवं पंचायत मंत्री रहे देवेंद्र सिंह बबली के भी लगातार भाजपा के संपर्क में बने रहने की सूचना है। बताते हैं कि पूर्व सीएम मनोहर लाल के साथ उनकी कई बैठकें भी हो चुकी हैं। गुहला से जजपा विधायक ईश्वर सिंह और नरवाना विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा के भी भाजपा में जाने की अटकलें हैं। इन नेताओं की भी भाजपा नेताओं के साथ लगातार बातचीत होने की सूचना है।
रामनिवास सुरजाखेड़ा तो भाजपा-जजपा का गठबंधन रहते हुए ही जजपा के खिलाफ हो गए थे। कई मौकों पर उन्होंने उस समय मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ मंच भी साझा किया। पिछले दिनों जब भाजपा ने सुभाष बराला को राज्यसभा भेजा तो रामनिवास सुरजाखेड़ा ने इसके पोस्टर लगाकर बराला को बधाई दी थी। सुरजाखेड़ा की लोकसभा चुनावों के दौरान ही भाजपा में शामिल होने की संभावना है। इसी तरह से दूसरे विधायकों की भी भाजपा में एंट्री संभव है। सूत्रों का कहना है कि कुछ तकनीकी कारणों के चलते अभी जजपा विधायकों को ज्वाइन नहीं करवाया जा रहा है। 18 अप्रैल के बाद कभी भी ज्वाइनिंग का दौर शुरू हो सकता है। गुहला विधायक ईश्वर सिंह की पुत्रवधू डॉ़ रेखा रानी चीका नगर पालिका की चेयरपर्सन हैं। इसी तरह से बरवाला विधायक जोगीराम सिहाग के साथ भी भाजपा नेताओं का लगातार संवाद होने की खबरें हैं। हालांकि सिहाग कई मुद्दों पर विधानसभा में भाजपा की नीतियों पर सवाल भी उठाते रहे हैं।
जजपा के चार विधायक – देवेंद्र बबली, जोगीराम सिहाग, रामनिवास सुरजाखेड़ा और ईश्वर सिंह के बीच भी कई बार बैठकें हो चुकी हैं। नारनौंद विधायक रामकुमार गौतम भी पूरी तरह से पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के खिलाफ हैं। उनके भी भाजपा के संपर्क में होने की जानकारी है, लेकिन गौतम ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं। गौतम अपने बेटे रजत गौतम के भविष्य को लेकर ही फैसला करेंगे। उनके साथ भी आने वाले कुछ दिनों में ही बातचीत सैट हो सकती है।
सतविंद्र राणा ने भी छोड़ा साथ
पूर्व विधायक सतविंद्र सिंह राणा ने भी जजपा का साथ छोड़ दिया है। जजपा में साढ़े चार वर्षों से भी अधिक समय तक एक्टिव रहे राणा लम्बे समय तक कांग्रेस में भी रह चुके हैं। सतविंद्र राणा के अलावा जजपा के और भी कई नेताओं ने पार्टी छोड़ी है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में जजपा के और भी कई पदाधिकारी पार्टी छोड़ सकते हैं।
जंग अगर अपनों से हो तो हार जाना चाहिए...
जजपा छोड़कर जा रहे नेताओं की भागदौड़ के बीच पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिये सुबह कहा – जिंदगी में ये हुनर भी आजमाना चाहिए, जंग अगर अपनों से हो तो हार जाना चाहिए। वहीं पांच बजे के करीब उन्होंने एक और पोस्ट में कहा – गलियों के निशां हमारे पांव में मिलेंगे, हम तो फिर भी खड़े हमेशा गांव में मिलेंगे। साथ ही, उन्होंने उचाना हलके में ट्रैक्टर की सवारी करते हुए की फोटो भी एक्स पर शेयर की है।
दुविधा में रामकरण काला
शाहाबाद से जजपा विधायक रामकुमार काला अभी भी दुविधा में फंसे हुए हैं। 2019 में काला कांग्रेस की टिकट के प्रबल दावेदार थे लेकिन उनकी टिकट कट गई। ऐसे में उन्होंने जजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा और उस समय मनोहर सरकार के राज्य मंत्री कृष्ण बेदी को शिकस्त दी। बेदी की पूर्व सीएम मनोहर लाल के साथ नजदीकियां हैं और वे पुराने भाजपाई हैं। ऐसे में काला को यहां टिकट का रास्ता आसान नहीं लगता। कांग्रेस में भी पूर्व विधायक अनिल धन्तौड़ी की फिर से वापसी होने के चलते यहां भी टिकट को लेकर बड़ी दुविधा है। इसी वजह से रामकरण काला को लेकर बड़ा सस्पेंस बना हुआ है।
निशान सिंह ने भेजा इस्तीफा
जजपा सुप्रीमो डॉ़ अजय सिंह चौटाला को टेलीफोन पर मौखिक रूप से इस्तीफा देने के बाद मंगलवार को सरदार निशान सिंह ने लिखित में भी अपना इस्तीफा अजय चौटाला को भेज दिया। वे लगभग साढ़े चार वर्षों तक जजपा के प्रदेशाध्यक्ष पद पर बने रहे। अजय चौटाला ने निशान सिंह के इस्तीफे की पुष्टि करते हुए कहा, उनसे बात की जाएगी कि उन्होंने अचानक यह फैसला क्यों लिया। अजय चौटाला ने कहा, वे समझदार आदमी हैं। मेरे सामने उन्होंने कभी ऐसा कोई गिला नहीं किया। अब मिलेंगे तो उनसे पूछूंगा।