अटल इरादे, मजबूत इच्छा शक्ति ने पहुंचाया मंजिल पर
मदन लाल गर्ग/हप्र
फतेहाबाद, 13 अप्रैल
कहा जाता है कि ईश्वर ने नारी को सृजन शक्ति दी है। नारी कैसी भी परिस्थितियों और चुनौतियों का सामना अपने विवेक से बड़ी ही सहजता के साथ कर लेती है। फिर चाहे वह अपने घर परिवार का मामला हो, समाज या फिर प्रशासनिक। आज नारी ने अपनी क्षमता का लोहा हर जगह मनवाया है। इन सबका प्रमाण है आईपीएस आस्था मोदी। ब्यूरोक्रेट्स परिवार में जन्म के कारण बचपन से ही सिविल सर्विस का सपना संजो कर तैयारी में जुट गई एसपी आस्था मोदी की कहानी भी कुछ ऐसी है।
जींद के अग्रवाल परिवार में जन्मी आस्था मोदी ने बचपन से ही घर में पिता व ताऊ को पुलिस की वर्दी पहने उच्च पदों पर देखा तो बालपन में ही उनके मन में एक उच्च मुकाम हासिल करने की धुन सवार हो गई। पिता योगेश चंद्र मोदी की आईपीएस की नौकरी के कारण अलग-अलग जगह पर स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद आस्था मोदी ने बिट्स पिलानी से इलेक्ट्रिक एंड इलेक्ट्रॉनिक्स में 2009 में इंजीनियरिंग की। उसके बाद आईआईएम अहमदाबाद से 2011 में एमबीए करने के बाद उसी साल आस्था मोदी सिविल सर्विस की परीक्षा में बैठ गई। लेकिन कुछ अंकों से रह गई। अगले साल 2012 में फिर सिविल सर्विस की परीक्षा देकर 2013 में आईपीएस में सेलेक्ट हो गई। आस्था मोदी को हरियाणा कैडर मिला। उनका कहना है कि सिविल सर्विस की तैयारी करने वाले प्रत्येक परीक्षार्थी का ध्येय आईएएस बनना ही होता है। लेकिन आईपीएस में ही संतुष्ट हो गई।
फरीदाबाद में डीसीपी, कैथल, अम्बाला, कुरुक्षेत्र की एसपी रहने के बाद वर्तमान में आस्था मोदी फतेहाबाद की एसपी हैं। आस्था मोदी पुलिस की नौकरी को काफी चुनौतीपूर्ण मानती हैं।
परिवार से पहले फर्ज
पुलिस की नौकरी में कई बार ऐसी चुनौतियां भी आती हैं कि फर्ज के आगे अपने परिवार की खुशियों का बलिदान करना पड़ता है। आस्था मोदी के 3 साल की बेटी है। उसका 3 अप्रैल को जन्मदिन था। उन्होंने बताया कि वे 1 अप्रैल को अपनी बेटी को उसकी नानी के पास चंडीगढ़ छोड़ आई, क्योंकि 2 अप्रैल को मधुबन में कॉन्फ्रेंस थी। सोचा था 3 अप्रैल को बेटी के साथ जन्मदिन मनाएंगे लेकिन कॉन्फ्रेंस का स्थान 2 अप्रैल को सूरजकुंड हो गया तथा अचानक जिले में मुख्यमंत्री का कार्यक्रम आ गया जिस कारण 3 अप्रैल को अपनी बेटी के साथ जन्मदिन भी सेलिब्रेट नहीं कर पाई।