अपनी शक्ति-सामर्थ्य पहचानने का पर्व
डॉ. मोनिका शर्मा
शक्ति को साधने का उत्सव है नवरात्र का पर्व। अपनी समस्त ऊर्जा का समर्पण कर मां दुर्गा से यह आह्वान करने का कि शक्तिस्वरूपा नई शक्ति और सोच का संचार करें। शक्ति जो मन जीवन को सही दिशा में गतिमान रखे और सोच जो हर हाल में सकारात्मकता लिए हो। जीवन से हर पड़ाव पर ऊर्जा और अनुभूतियों का यही भाव आवश्यक भी है। साथ ही शक्तिस्वरूपा मां दुर्गा की आराधना ममता, क्षमा, स्वाभिमान और न्याय का भाव भी लिए है। इसीलिए उपासना के ये नौ दिन परंपरा के निर्वहन के तो गहरे अर्थ लिए हैं, मानवीय सोच और मन को मजबूत बनाने का अवसर भी हैं। जीवन के हर पहलू को संवारने का विचार और हर बुराई का प्रतिकार करने का सन्देश देते हैं। महिलाओं के जीवन से ऐसे भाव गहराई से जुड़े होते हैं। महाशक्ति देवी भगवती की उपासना हर स्त्री को उसके सामर्थ्य की पहचान करवाती है।
सामर्थ्य की पहचान
नवरात्र का महापर्व आस्था और विश्वास के जरिये अपनी ही असीम शक्तियों से हमारा परिचय करवाने का माध्यम बनता है। ये नौ दिन मन-जीवन को नया सा कर जाते हैं। ऐसे में मां का आह्वान कर हर स्त्री जीवन की परिस्थितियों से जूझने का साहस और संबल जुटा सकती है। मां अंबे की साधना करते हुए उनके शक्तिस्वरूपा और जाग्रत रूप को अपने भीतर सहेजते हुए बेहतरी की ओर बढ़ने का प्रण ले सकती है। मन और मस्तिष्क के लिए नई ऊर्जा का उपार्जित कर सकती है। उम्र के हर मोड़ पर महिलाएं कई मोर्चों पर एक साथ जूझती हैं। आर्थिक संकट से लेकर अपनों की संभाल-देखभाल तक, फिक्र के फेर में फंसी रहती हैं। भारतीय परिवेश में तो महिलाएं हौसले और हिम्मत से हर संकट का सामना करते हुए आगे बढ़ी हैं और बढ़ रही हैं। नौ दिनों का पर्व हर स्त्री को समझाता है कि प्रकृति ने उसे सहज-सरल ही नहीं बनाया, जरूरत पड़ने पर हर मुसीबत से लड़ जाने का माद्दा भी दिया है। इन नौ दिनों में मां का वंदन करते हुए अपने भीतर की इस शक्ति को पहचानने का प्रयास हो।
सजगता का सम्बल
मां दुर्गा का रूप भारतीय स्त्री के आत्मविश्वास से दमकते मुखमंडल का प्रतीक है। मातृशक्ति के रूप में पोषक और चेतनामयी रूप में सजगता और जागरूकता का प्रतिबिम्ब। स्त्री जीवन में हर मोर्चे-पहलू पर सजगता और जागरूकता अहम है। अधिकारों के लिए जागरूकता और सुरक्षा, जीवन के लिए सजगता आवश्यक है। संसार के हर हिस्से में सशक्त बनने को नियम-क़ानूनों की जानकारी रखना ही तो सुरक्षा-सम्मान के हालात बनाता है। इतना ही नहीं, ज़िंदगी से जुड़ी दूसरी रूढ़ियों को लेकर मुखरता और संकीर्ण विचारों का विरोध करने का धरातल भी सही जानकारी ही बनाती है। गृहिणी हों या कामकाजी, हर महिला के लिए किसी सार्थक और सकारात्मक पहल का हिस्सा बनने या अपने जीवन को बेहतर बनाने का पहला पड़ाव जागरूक रहना ही है। नवरात्र में मां दुर्गा से भी अपनी चेतना को पोषित करने का आशीष मांगा जाता है।
साथ-सहयोग का परिवेश
आदि शक्ति की उपासना का पर्व नवरात्र महिलाओं के मन और जीवन में झलकती नई ऊर्जा, नई चेतना को भी प्रतिबिंबित करता है। इस चेतनामयी बल के दम पर स्त्रियां आत्मविश्वासी और मुखर बनकर न केवल हर मुसीबत से जूझ सकती हैं बल्कि औरों का सहारा भी बन सकती हैं। स्वयं मां दुर्गा ने भी कई बार देवताओं के कष्ट हरे हैं। शक्ति पूजा के बाद श्रीराम को जीत का आशीष भी आदिशक्ति ने ही दिया था। स्त्रियां भी साझी सोच के साथ हर संकट का मुक़ाबला कर सकती हैं। एक-दूजे का सम्बल बन सकती हैं। इसीलिए किसी की पीड़ा भी बांटें और संबल भी दें। सशक्त होने का अर्थ यही है कि हम ख़ुद को मजबूती से थामते हुए दूसरों को कुछ देना भी सीखें। स्त्री जो जीवन देती है। मां के रूप में अपने बच्चों को मनुष्यता का पाठ पढ़ाकर समाज को जिम्मेदार नागरिक देती है। वो स्वयं को कभी कम न आंके। वहीं इस पर्व पर हर महिला ख़ुद सृजन शक्ति के सही अर्थ को समझे। अपने उस सामर्थ्य को पहचाने जो उसे प्रकृति ने दिया है। स्त्रियां इसी सामर्थ्य के बल पर साथ-सम्बल का परिवेश बना सकती हैं।
समाज-देश के विकास की धुरी
स्त्रियों को घर-परिवार की धुरी माना जाता है। रिश्तों-नातों से लेकर सामाजिक जुड़ाव को पोसने तक, बहुत से मोर्चों पर डटीं भारतीय महिलाएं मां भगवती के शक्ति स्वरूप की उजास लिए आगे बढ़ रही हैं। स्त्रियां देश के विकास की धुरी बन रही हैं। विज्ञान से लेकर अनुसंधान और खेल के मैदान से लेकर तकनीकी एवं सैन्य क्षेत्रों तक, महिलाओं की भागीदारी न सिर्फ बढ़ रही है बल्कि महिलाएं नेतृत्वकारी भूमिका में भी हैं। भारतीय समाज में आधी आबादी के मन-जीवन के मोर्चे पर आने वाले सार्थक बदलाव समग्र समाज को नई राह पर मोड़ने वाले हैं। सामाजिक-आर्थिक रूप से स्त्रियों को सशक्त बनाने का मार्ग सुझा रहे हैं। स्त्रियां अपने अन्तर्मन की ऊर्जा जुटाकर आगे बढ़ रही हैं। वहीं समाज-परिवार भी उनके ऊर्जावान व्यक्तित्व और मन की उजास का पोषक बन रहा है।