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ऋतु परिवर्तन और मानसिक शुद्धता का पर्व

10:22 AM Sep 30, 2024 IST
ऋतु परिवर्तन और मानसिक शुद्धता का पर्व
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चेतनादित्य आलोक
देवी शक्ति की साधना और आराधना के पर्व को ‘नवरात्र’ कहते हैं, जो 9 रातों का समूह है। इसे हर वर्ष चार बार मनाया जाता है : दो नवरात्रों को गुप्त नवरात्र, चैत्र नवरात्र, और शारदीय नवरात्र। इस वर्ष शारदीय नवरात्र 3 अक्तूबर से प्रारंभ होकर 12 अक्तूबर तक चलेगा। यह पर्व ऋतु परिवर्तन के संधि-काल से जुड़ा है, जब मौसम में बदलाव के कारण लोग अक्सर बीमार पड़ते हैं। ऐसे समय में शरीर और मन को शुद्ध रखना महत्वपूर्ण होता है। इसी उद्देश्य से नवरात्र के दौरान भक्त अल्प और शुद्ध-सात्विक आहार लेते हैं, जिसे फलाहार कहा जाता है।
इन नौ दिनों की साधना से न केवल शरीर बल्कि मन और मस्तिष्क को नई ऊजा से भरने का अवसर मिलता है। इससे व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक क्षमता में वृद्धि होती है, और उसकी चेतना का विकास होता है। नवरात्र में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा से भक्तों के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि, और वैभव का आगमन होता है।
यह पर्व शक्ति और अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है, जिसका उल्लेख हिंदू धार्मिक ग्रंथों में मां दुर्गा और महिषासुर की कथा में मिलता है। महिषासुर, एक शक्तिशाली असुर, ने भगवान ब्रह्मा से यह वरदान प्राप्त किया कि कोई भी उसे मार नहीं सकेगा। इसके परिणामस्वरूप, वह स्वर्ग और पृथ्वी पर अत्याचार करने लगा। देवताओं की प्रार्थना के बाद, भगवान ब्रह्मा, विष्णु, और शिव ने मिलकर देवी दुर्गा को प्रकट किया और उन्हें शक्तिशाली अस्त्र प्रदान किए। मां दुर्गा ने 9 दिनों तक भयंकर युद्ध किया और अंततः महिषासुर का वध किया।
इस कथा से यह संदेश मिलता है कि जब शक्ति और स्त्रीत्व प्रचंड रूप धारण करते हैं, तो अधर्म का नाश होता है। मां दुर्गा ने धूम्रलोचन का वध करके समाज की धुंधली दृष्टि और अंधविश्वास को समाप्त किया, जबकि चंड-मुंड जैसे राक्षस अनर्गल तर्क-वितर्क का प्रतीक हैं। माता ने इनका वध करके समाज को बेमतलब के तर्कों से मुक्त किया।
इस प्रकार, नवरात्र केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह नकारात्मक ऊर्जा और मनोग्रंथियों के खिलाफ जागरूकता का भी प्रतीक है। रक्तबीज, जो नकारात्मकता का प्रतिनिधित्व करता है, को समाप्त करने की आवश्यकता है, क्योंकि नकारात्मक ऊर्जा विखंडित होकर कई रूप धारण कर सकती है।
नवरात्र के इस पर्व के माध्यम से भक्तों की साधना और आराधना से समाज में सकारात्मकता का संचार होता है, जिससे उन्नति के मार्ग प्रशस्त होते हैं। यह पर्व हमारी आस्था को सुदृढ़ करने और जीवन में संतुलन लाने का महत्वपूर्ण अवसर है। नवरात्र का उत्सव शक्ति, स्वास्थ्य, और समृद्धि का प्रतीक है, जो हमें जीवन की कठिनाइयों से लड़ने की प्रेरणा देता है। इस अवसर पर सामूहिक पूजा और भक्ति के माध्यम से एकता और सद्भाव का संदेश भी मिलता है। देवी दुर्गा की कृपा से, भक्तों के मन में साहस और विश्वास जागृत होता है, जिससे वे अपने जीवन की चुनौतियों का सामना कर सकें।

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