स्त्री-विमर्श और जीवन की परिभाषाएं
प्रगति गुप्ता
पुस्तक : मेरी चयनित लघुकथाएं लेखिका : कमल कपूर प्रकाशक : अयन प्रकाशन, नयी दिल्ली पृष्ठ : 124 मूल्य : रु. 350.
लेखिका कमल कपूर का सृजन ‘मेरी चयनित लघुकथाएं’ भावों-संवेदनाओं से भरा हुआ है, जो हर लिंग, वर्ग और आयु के व्यक्ति को जीवन जीने की प्रेरणा देता है। उनकी लघुकथाएं सामाजिक और पारिवारिक विघटन, स्वार्थपरकता, कुसंस्कारों, और रूढ़िवादी मान्यताओं पर सवाल उठाती हैं। ईश्वर के प्रति उनकी आस्था इन संघर्षों में संबल का काम करती है।
लेखिका का मानना है कि रिश्तों में अनुशासन की सीमाएं यदि बनी रहें, तो वे लंबे समय तक कायम रहते हैं। वे अपनी लघुकथा ‘सीमा रेखा’ में यह बताती हैं कि जब रिश्तों में दीवार होती है, तो वे मधुर रहते हैं, और अगर यह दीवार नहीं रही, तो रिश्ते टूटने में देर नहीं लगेगी।
लेखिका रिश्तों की गरिमा को अत्यंत महत्वपूर्ण मानती हैं और कठिन निर्णयों को उचित ठहराती हैं, जैसे एक पात्र का कथन : ‘तुम पूछती हो न अक्सर मैं सुहागन होते हुए भी सफेद दुपट्टा क्यों पहनती हूं... उस बेवफा का दैहिक और मानसिक त्याग कर खुद को बेवा मान लिया था।’ वे युवाओं को समझने की कोशिश करती हैं, जो अक्सर बेपरवाह नहीं होते, बल्कि उनके पास रिश्तों और जीवन के बारे में विश्लेषणात्मक सोच होती। उनकी लघुकथाएं समाधान प्रस्तुत करती हैं और इसमें कथारस की प्रबलता है। मर्द नामर्द, अग्नि परीक्षा, जय माता दी, लक्ष्मी पूजन, अजन्मी बेटी जैसी लघुकथाएं स्त्री-विमर्श और सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डालती हैं। सभी लघुकथाएं पठनीय, रोचक और संप्रेषणीय हैं, और प्रकृति का सुंदर चित्रण करती हैं।