एफआईआर से डरे 4 मिलर्स करने लगे भुगतान, दो ने दिये 65 लाख के चेक
रमेश सरोए/हप्र
करनाल, 12 नवंबर
इन दिनों खाद्य आपूर्ति विभाग कई राइस मिलर्स के लिए मौसमी बैंक बन चुका है। कई राइस मिलर्स आते हैं, विभाग से करोड़ों की सरकारी धान कुटाई के नाम पर लेते हैं, धान की कुटाई होती है या नहीं, लेकिन सरकार के करोड़ों रुपए की कुटाई कर राइस मिलर्स करोड़ों डकार लेते हैं। सरकार के साथ फर्जीवाड़ा होने के जिम्मेदार अधिकारियों और संबंधित इंस्पेक्टर-एएफएसओ की नौकरी पर कोई आंच नहीं आती। ऐसा लगता है कि संबंधित इंस्पेक्टर-एएफएसओ आंख खोलकर सोते रहते हैं।
डीएफएससी अनिल कुमार की माने तो 2023-24 में विभाग के 7 राइस मिलर्स डिफाल्टर हो चुके हैं, जिनको एफसीआई को 43 करोड़ का चावल जमा करवाना हैं। इनमें से 3 राइस मिलर्स-सरस्वती राइस मिल, पीवी, वीवी राइस मिल तरावड़ी के खिलाफ केस दर्ज करवा दिया हैं। 3 राइस मिलर्स ने ही 25 करोड़ रुपए का चावल सरकार को जमा करवाना हैं। बाकी 4 राइस मिलर्स पर विभाग द्वारा दबाव बनाया जा रहा हैं, एफआईआर दर्ज करवाने के निर्देश जारी किए जा चुके हैं, लेकिन मिलर्स ने लोकलाज के चलते विभाग को चावल के पैसे जमा करवाने के लिए कहा है, 2 राइस मिलर्स ने करीब 65 लाख रुपए के चेक दे दिए हैं, जिन्हें भुना लिया गया है, बाकी पैसे जल्द जमा करवाने के लिए सख्त हिदायत दी है। वहीं डिफाल्टर हो चुके राइस मिलर्स की 10-10 लाख रुपए की एफडी जोकि 70 लाख रुपए की बनती थी, उसे जब्त कर लिया गया है। इन चार राइस मिलर्स ने 18 करोड़ रुपए चुकाने हैं। सवाल उठना लाजिमी है कि जिन इंस्पेक्टरों ओर एएफएसओ पर राइस मिलर्स को दिए जाने वाले सरकारी धान की जिम्मेदारी होती हैं, आखिर वे क्या करते रहते है? उनके होते हुए मिल से धान व चावल कैसे गायब हो जाता हैं? यही नहीं फिजिकल वेरीफिकेशन के समय मिल में धान के स्टॉक पूरा मिलता है, ऐसे कैसे होता है? सवाल उठना है कि या तो पीवी सही नहीं होती या फिर इंस्पेक्टर-एएफएसओ राइस मिलर्स के साथ आर्थिक दोस्ती निभाते हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि सरकारी तंत्र यानी इंस्पेक्टर-एएफएसओ, चौकीदार के होते हुए मिल से सरकारी धान या चावल गायब हो जाए और किसी को जानकारी भी न हो? सूत्रों की मानें तो ये खेल बहुत बड़ा होता हैं, इसे मिलकर खेला जाता हैं। सरकार को करोड़ों का नुकसान हो जाए, कोई परवाह नहीं, लेकिन अपना फायदा होना चाहिए।
जांच चल रही है : एसपी
एसपी गंगा राम पूनिया ने बताया कि जिन राइस मिलर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई हैं, खाद्य आपूर्ति विभाग और हैफेड से उनका पूरा रिकार्ड मंगवाया जा रहा हैं। जांच चल रही हैं।