For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.

युद्ध विस्तार की आशंका

06:36 AM Apr 15, 2024 IST
युद्ध विस्तार की आशंका
Advertisement

छह माह से गाजा पट्टी पर इस्राइल की निरंकुश कार्रवाई के बाद दमिश्क में ईरान के वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले की प्रतिक्रिया में इस्राइल पर हुए ईरानी हमले ने मध्यपूर्व के संकट को और गहरा दिया है। अब इस्राइल ईरान पर जवाबी कार्रवाई को अंजाम देने की तैयारी में जुटा है। ऐसे में पहले रूस-यूक्रेन युद्ध की मार झेल रही दुनिया गहरे आर्थिक संकट की चपेट में आ सकती है। शनिवार की रात ईरान ने तीन सौ से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों व सैकड़ों ड्रोन के जरिये इस्राइल पर भीषण हमला किया था। हालांकि इस्राइल ने अपने सशक्त एअर डिफेंस सिस्टम से नब्बे फीसदी से अधिक हमलों को विफल कर दिया। जिसका जवाब देने के लिये इस्राइली तैयारियां चरम पर हैं। इस्राइल की आईडीएफ ईरान को घुटनों पर लाने की तैयारी में जुटी है। आशंका जतायी जा रही है कि इस्राइल ईरान के महत्वाकांक्षी परमाणु कार्यक्रम को निशाना बना सकता है। उधर खाड़ी के देश युद्ध के विस्तार को लेकर खासे चिंतित हैं और अमेरिका को युद्ध से दूरी बनाये रखने को लेकर चेता रहे हैं। हाल ही में जिस तरह ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड ने हार्मूज जलडमरूमध्य में एक इस्राइली समुद्री जहाज को कब्जे में लिया है, उससे आशंका है कि इस संघर्ष से वैश्विक कच्चे तेल की आपूर्ति का बड़ा भाग प्रभावित हो सकता है। आशंका यह भी जतायी जा रही है कि यदि इस्राइल जवाबी कार्रवाई करता है तो युद्ध का विस्तार बड़े इलाके में हो सकता है।
अब संयुक्त राष्ट्र समेत वैश्विक बड़ी ताकतें चिंता जता रही हैं कि दुनिया अब एक नये युद्ध को सहन करने की स्थिति में नहीं है। सवाल उठाये जा रहे हैं कि जब इस्राइल आक्रामकता की सीमाएं लांघ कर पिछले छह महीने से गाजा पर लगातार हमले जारी रखे हुए था तो अमेरिका ने स्थिति नियंत्रण के प्रयास क्यों नहीं किये। ऐसा लगता है कि अमेरिका भी अब मध्यपूर्व के संकट में उलझता नजर आ रहा है। खाड़ी में उसके सहयोगी देश ईरान-इस्राइल संकट को बढ़ने से रोकने के लिये दबाव बना रहे हैं। उन्होंने अमेरिका को दो टूक शब्दों में कहा है कि उनके देश में बने सैन्य अड्डों का ईरान के खिलाफ कार्रवाई में इस्तेमाल करने से बचा जाए। जाहिरा तौर पर जिस तरह की भूमिका अमेरिका व उसके मित्र देश यूक्रेन युद्ध में रूस के खिलाफ निभा रहे थे, वैसी भूमिका रूस-चीन अब ईरान-इस्राइल संघर्ष में निभा सकते हैं। इन दोनों देशों के ईरान के साथ गहरे रिश्ते बने हुए हैं। निश्चित रूप से मध्य पूर्व का संघर्ष शेष विश्व के हित में नहीं है। वहीं इस्राइल ने ईरानी हमले के बाद उसके समर्थन से इस्राइल पर हमला करने वाले हिजबुल्लाह के सैन्य ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी है। दरअसल, ईरानी हमले के दौरान लेबनान से हिजबुल्लाह ने भी राकेटों से हमले किये थे। बहरहाल, विश्व समुदाय का फर्ज बनता है कि इस संघर्ष को और बढ़ने से रोके। इस्राइल को अपनी स्वतंत्रता की रक्षा का अधिकार है, मगर उसकी बेलगाम आक्रामकता को सहन नहीं किया जा सकता।

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
×