सुयोग्य संतान की प्राप्ति हेतु व्रत
आर.सी. शर्मा
हिंदू पंचांग के मुताबिक प्रत्येक माह मंे दो एकादशी होती हैं, इस तरह साल में 24 एकादशी होती हैं। लेकिन अगर किसी साल अधिमास पड़ जाता है, तो उस साल 26 एकादशी हो जाती हैं। साल में इन 24 या 26 एकादशियों में से दो पुत्रदा एकादशी होती हैं। एक सावन में आती है और दूसरी पौष माह में। आगामी 21 जनवरी को अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक साल की पहली यानी पौष पुत्रदा एकादशी है, जो कि पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी होगी। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है। इसके अलावा ऐसी धार्मिक मान्यताएं भी हैं कि पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से संसार के सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है और अंत में व्रत करने वाले के लिए मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। पुत्रदा एकादशी को भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है।
इस साल इसका मुहूर्त 20 जनवरी की शाम 7 बजकर 26 मिनट से शुरू होकर 21 जनवरी को शाम 7 बजकर 26 मिनट तक होगा। इस तरह इस एकादशी का व्रत रहने वालों को व्रत का पारण अगले दिन यानी 22 जनवरी को सुबह 7 बजकर 14 मिनट से 9 बजकर 21 मिनट के बीच करना होगा। शास्त्रों और पुराणों में पौष पुत्रदा एकादशी को बहुत ही फलदायी माना गया है। इस व्रत से सुयोग्य पुत्र की प्राप्ति के साथ-साथ घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास रहता है। निःसंतान दंपतियों को साल की दोनों पुत्रदा एकादशियों का व्रत रहने के लिए विशेष तौर पर कहा जाता है। पूरे विधि-विधान और श्रद्धा से किए गये इस व्रत से संतान सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही यह व्रत करने से समस्त पापों का नाश होता है।
पुत्रदा एकादशी व्रत करने वालों को इस दिन सुबह सूरज निकलने के पहले उठना चाहिए और स्नान करना चाहिए। अगर आसपास कोई पवित्र नदी या सरोवर हो तो वहां जाकर स्नान करना चाहिए। स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनकर पूजाघर को भी शुद्ध करना चाहिए, इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए। इस दिन की पूजा में तुलसी दल का इस्तेमाल बहुत ही शुभ माना जाता है। पुत्रदा एकादशी व्रत में कुछ भी नहीं खाना चाहिए और अगले दिन जब व्रत का पारण करें तो भी खानपान बहुत सात्विक होना चाहिए। पारण भोज में मूली, बैंगन, साग, मसूर की दाल, लहसुन या प्याज जैसी चीजें नहीं होनी चाहिए। व्रत के बाद गरीबों को जितना संभव हो दान दे सकें तो देना चाहिए।
आमतौर पर यह व्रत महिलाएं रहती हैं लेकिन इसे पुरुष भी रह सकते हैं। यह व्रत काफी कठोर होता है, क्योंकि यह निर्जला व्रत रहा जाता है। पुत्रदा एकादशी को बैकुंठ एकादशी व्रत भी कहते है। मान्यता है कि इसे करने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुत्रदा एकादशी को सिर्फ संतान पाने के लिए नहीं, संतान की उन्नति और उसकी रक्षा के लिए भी रखा जाता है। वैसे तो पति या पत्नी में से कोई एक भी इस व्रत को रख सकता है। लेकिन शास्त्रों के मुताबिक अगर पति-पत्नी दोनों साथ-साथ यह व्रत रखते हैं तो ज्यादा लाभ होता है। इस दिन पति-पत्नी को साथ-साथ व्रत रखते हुए भगवान विष्णु का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करना चाहिए।
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