किसानों ने प्रदर्शन कर मांगा मुआवजा
चरखी दादरी (निस)
पिछले दिनों हुई बारिश व बीती रात आए तेज अंधड़ के चलते जिले के कई क्षेत्रों में खरीफ की कपास व बाजरा की फसल को नुकसान हुआ। फसलें बर्बाद होने के चलते किसान नेता राजू मान की अगुवाई में किसानों ने रोष प्रदर्शन किया और सरकार से प्रभावित इलाकों में स्पेशल गिरदावरी करने व उचित मुआवजा दिलाने की मांग की है। दो रोज पूर्व ही क्षेत्र में लगातार बारिश हुई थी और बीती रात आए तेज अंधड़ के कारण खरीफ की फसलों में खासा नुकसान हुआ है। तेज अंधड़ और बारिश के चलते रामबास, रुदडौल, बेरला, मांढी, उमरवास, जीतपुरा, हुई, जगरामबास, हड़ौदी, डोहकादीना समेत दर्जनों अन्य गांवों में कपास और बाजरे की फसल बर्बाद हो गई है। किसानों ने रोष जताते हुए कहा कि सरकार किसानों की अनदेखी कर रही है। अभी तक कोई अधिकारी उनकी बर्बाद फसलों को देखने नहीं पहुंचा है। सभी प्रभावित किसानों को कपास का प्रति एकड़ 40 हजार और बाजरे की नष्ट फसल का 30 हजार रुपए मुआवजे दिया जाना चाहिए।
किसान गोष्ठी में किसानों से रूबरू हुए कुलपति
भिवानी (हप्र) : किसानों की समस्याओं का निदान करना प्रत्येक कृषि वैज्ञानिक का दायित्व है। इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों को सदैव तत्पर रहना होगा। समाज के सभी वर्गों को किसान की समस्या को अपनी समस्या मानकर उसका समाधान खोजना होगा। ये विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रोफेसर बीआर काम्बोज ने कहे। वे एक किसान गोष्ठी के दौरान बोल रहे थे। गोष्ठी का आयोजन विश्वविद्यालय के विस्तार शिक्षा निदेशालय, अनुसंधान निदेशालय, कपास अनुभाग, कृषि विज्ञान केंद्र व कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। कुलपति प्रोफेसर बीआर काम्बोज ने कहा कि इस बार लगातार विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की टीम फील्ड में जाकर किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए जुटी हुई है। इसके अलावा राज्य सरकार व कृषि एवं किसान कल्याणमन्त्री जयप्रकाश दलाल भी विश्वविद्यालय के साथ मिलकर लगातार किसानों की समस्याओं को लेकर विचार विमर्श कर रहे हैं और भविष्य की योजनाओं की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं। गोष्ठी का विषय ‘कपास के उत्पादन व बचाव की उन्नत तकनीक’ रखा गया था। कार्यक्रम में कृषि उपनिदेशक डॉक्टर आत्मा राम गोदारा, कृषि विज्ञान केंद्र के संयोजक डॉक्टर उमेश शर्मा, डॉक्टर सुनील ढांडा, डॉक्टर सूबे सिंह सहित अनेक वैज्ञानिक, क्षेत्र के कई गांवों के किसानों ने हिस्सा लिया।