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फसल बीमा को लेकर घटा किसानों का रुझान

10:39 AM Sep 04, 2024 IST
फसल बीमा को लेकर घटा किसानों का रुझान
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सोनीपत, 3 सितंबर (हप्र)
पिछले कई सीजन ठंडे बस्ते में रहने के बाद जिले में फिर से लागू हुई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर मौजूदा खरीफ सीजन में किसानों का रूझान कम नजर आ रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि फसल बीमा करवाने की समय सीमा समाप्त होने के बाद आरंभिक डाटा जो सामने आया है, उसके तहत करीब 6 हजार किसानों ने ही फसल बीमा करवाया है। हालांकि 12 सितंबर तक बैंकों को अपना पूरा डाटा अपडेट करने के निर्देश जारी किए गए हैं, जिसके बाद ही स्पष्ट आंकड़े सामने आएंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार फसल बीमा करवाने वाले किसानों की संख्या में बड़ी गिरावट आई है।
दरअसल, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। खरीफ सीजन में इस योजना के तहत किसानों की धान, बाजरा, कपास और मक्का आदि फसलों का बीमा किया जाता है। ओलावृष्टि, बाढ़ आदि मौसमी मार की वजह से फसल बर्बाद होने पर किसानों को बीमा कंपनी मुआवजा जारी करती है। धान की फसल में जलभराव से होने वाले नुकसान को हालांकि बीमा कवर से बाहर रखा है।
सोनीपत जिले में पिछले चार सीजन से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अधर में लटकी हुई थी। जिसके कारण किसानों को परेशानी झेलनी पड़ रही थी। एक बार योजना को जिले में फिर से लागू किया गया था, लेकिन अपेक्षाकृत काफी कम संख्या में किसानों ने बीमा करवाया है।

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खरीफ सीजन 2022 में 23,688 किसानों ने करवाया था फसल बीमा

खरीफ सीजन 2023 में फसलों का बीमा नही हो पाया था। वहीं इससे पहले खरीफ सीजन 2022 में 23,688 किसानों ने अपनी फसलों का बीमा करवाया था। इसमें से लोनी किसानों की संख्या 21,697 थी। वहीं स्वतंत्र रूप से बीमा करवाने वाले किसानों की संख्या 1991 थी।
बीमा कंपनी द्वारा उक्त खरीफ सीजन में फसलों में हुए नुकसान पर किसानों को 5.21 करोड़ का मुआवजा किसानों को जारी किया था। करीब 930 किसानों में यह मुआवजा राशि वितरित की
गई थी।

प्रीमियम में बढ़ोतरी, नोटिफिकेशन में देरी से पड़ा प्रतिकूल प्रभाव

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत प्रीमियम का एक हिस्सा केंद्र सरकार, एक हिस्सा प्रदेश सरकार और एक हिस्सा किसान द्वारा अदा किया जाता है, परंतु इस बार प्रीमियम की राशि में बढ़ोतरी की गई है। 2021 खरीफ सीजन की बात करे तो उस समय किसानों को प्रति हेक्टेयर कपास के लिए 4281 रुपये का प्रीमियम अदा करना पड़ा था, तीन साल बाद यह राशि बढ़क़र 5435 रुपये प्रति हेक्टेयर हो गई। वहीं अन्य फसलों की बात करें तो इस बार बाजरे के लिए प्रति हेक्टेयर 1024 रुपये, मक्का के लिए प्रति हेक्टेयर 1089 रुपये और धान के लिए प्रति हेक्टेयर 2124 रुपए का प्रीमियम किसान को चुकाना पड़ा। जानकारों की माने तो प्रीमियम बढऩा और योजना को लेकर नोटिफिकेशन जारी होने में हुई देरी भी किसानों में रुझान कम होने का कारण हो सकता है।

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बीमा करवाने वाले किसानों का आरंभिक आंकड़ा 6 हजार के आसपास है, हालांकि अभी कई बैंकों का डॉटा आना शेष है। सभी बैंकों को 12 सितंबर तक डॉटा अपडेट करने का समय दिया गया है। उसके बाद ही फसल बीमा करवाने वाले किसानों का सही आंकड़ा सामने आ पाएगा।
-देवेंद्र लांबा, एएसओ, सोनीपत

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