तूड़ल का वाजिब दाम न मिलने से किसान मायूस
अरविंद शर्मा/हप्र
जगाधरी, 17 अक्तूबर
जगाधरी आदि इलाकों में ज्यादातर किसान परमल धान की खेती करते हैं। तूड़ल व 1509 किस्म धान की खेती बहुत ज्यादा किसान नहीं करते। इसकी वजह इसकी प्राइवेट खरीद होना है। मंडियों में तूड़ल धान की आवक भी हो रही है। किसानों को इस बार तूड़ल धान का कम रेट मिलने से वे परेशान हैं। उनका कहना है कि इस फसल में इस बार बीमारी भी आई थी। इससे पहले ही पैदावार परमल धान की बजाय कम आ रही है।
मंडी में तूड़ल धान लेकर पहुंचे किसान मंदीप सिंह, गुरमेल सिंह आदि ने बताया कि इस अभी तक तूड़ल का भाव कम मिल रहा है। उनका कहना है कि पिछले साल अच्छी किस्म की तूड़ल का रेट 4000 से 4200 रूपये प्रति क्विंटल तक था। 3700 रूपये प्रति क्विंटल से कम तो यह बिकी ही नहीं थी। किसानों को कहना है कि इस बार अच्छी किस्म की सूखी व साफ की हुई तूड़ल मुश्किल से 3200 रूपये प्रति क्विंटल जा रही है। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
किसानों का कहना है कि 1509 किस्म का धान भी कम रेट में बिक रहा है। किसान मंदीप सिंह आदि का कहना है कि मौजूदा भाव से मुनाफा तो दूर फसल तैयार करने पर आने वाली लागत भी पूरी नहीं हो रही है। वहीं भारतीय किसान यूनियन के जिला प्रधान संजू गुंदियाना का कहना है कि रेट कम मिलने से किसान परेशान हैं। उनका कहना है कि इस बार तूड़ल धान पर बीमारी का असर भी रहा है। संजू का कहना है कि सरकारों की नीतियों के चलते अब खेती-बाड़ी घाटे का सौदा बनकर रह गई है। सबसे ज्यादा मार छोटे किसानों पर पड़ रही है।