भाव न मिलने पर खेत में शिमला मिर्च को नष्ट कर रहे किसान
संगरूर, 7 मई (निस)
मालवा क्षेत्र में इस बार शिमला मिर्च के दाम गिरने के बाद किसानों ने इसे सड़कों पर फेंक दिया और अब खेतों में जुताई करके नष्ट करना शुरू कर दिया है। भैनीबाघा गांव के किसान राज सिंह ने अपनी डेढ़ एकड़ शिमला मिर्च की खेती ट्रैक्टर से जोत कर नष्ट करने के बाद पत्रकारों को बताया कि जब उनकी कटाई फसल की कीमत से अधिक महंगी हो गई, तो उनके पास जुताई के अलावा कोई विकल्प नहीं था। भारतीय किसान यूनियन (एकता सिद्धूपुर) के जिला अध्यक्ष जगदेव सिंह भैणीबाघा ने कहा कि कृषि विविधीकरण के तहत जिन किसानों ने इस बार मुनाफे के लिए अपने खेतों में शिमला मिर्च की बुआई की थी, उन्हें कम दाम मिलने के कारण नुकसान हुआ है। बेशक, पिछले साल किसानों के संघर्ष का गढ़ माने जाने वाले मानसा के पास बैनीबाघा समेत अन्य गांवों से शिमला मिर्च और अन्य सब्जियां बाहरी राज्यों में भेजी जाती थीं, लेकिन इस बार दूसरे राज्यों से व्यापारी खरीद के लिए नहीं आने से किसानों को नुकसान उठाना पड़ा। शिमला मिर्च मानसा जिले के रेतीले इलाकों में उगाई जाती है और इस क्षेत्र से उत्तर भारत के सभी राज्यों में इसकी आपूर्ति की जाती है।
मानसा के पास भैनीबाघा गांव में 500 से 800 एकड़ में शिमला मिर्च की बुआई की गई है, लेकिन इस बार फसल तैयार होने पर इसके दाम कम हो गए। किसान राज सिंह ने कहा कि आमतौर पर शिमला मिर्च की कीमत 20-25 रुपये प्रति किलो होती थी, लेकिन इस बार किसानों को 2 से 3 रुपये मिल रहे हैं, इसलिए भारी नुकसान हो रहा है ।