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साल की विदाई, नाक की नपाई

06:27 AM Dec 29, 2023 IST

राकेश सोहम‍्

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अब समय आ गया है कि अपनी नाक की ऊंचाई नाप ली जाए! यह साल विदा होने जा रहा है। इसलिए नाक की नपाई जरूरी है। पूरी दुनिया यह करती है। सरकारी, गैर-सरकारी महकमे और संस्थाएं यह उपक्रम करते हैं। साल भर में नाक की ऊंचाई कितनी बढ़ी? नाक कहीं नीची तो नहीं रह गई! लेखा-जोखा कहता है, पिछले साल की तुलना में इस साल सड़क दुर्घटनाओं में कम मौतें हुईं हैं। लो नाक ऊंची हो गई।
अधिकतर लोग, पूरे साल नाक की खातिर ही जीते हैं। कर्म तो एक बहाना है। भगवान निर्गुण हैं। उन्हें पता न था, मानव चेहरे के श्वास रंध्रों को ढकने का छोटा-सा साधन इतना महत्वपूर्ण हो जाएगा! ईमानदार की नाक बहुत संवेदनशील होती है। नाक उसके जीवन-मरण का सवाल बन जाती है। ईमानदार की नाक कटी कि वह मरा! अदना-सी नाक, जीवन के लिए श्वास से ज्यादा जरूरी हो गई है! अस्तित्व की लड़ाई, असल में नाक की जंग है। इतिहास जंगों से भरा पड़ा है। नाक न होती तो जंगें न होतीं। अस्तित्व मिटाने के लिए नाक काट दो बस। उसकी सांस चलती रहेगी।
ऊंचे लोगों की नाक ऊंची और छोटे लोगों की नाक नीची होती है। अक्सर लोग अपनी नाक को उठाने में लगे रहते हैं। नेता अपने भाषणों से, आश्वासन और जुमलों से नाक ऊंची कर लेते हैं। अधिकारी अधीनस्थ को फटकार लगाकर नाक उठा लेते हैं। नाक को टेक लगाकर उठाना भी एक कारगर उपाय है। कलाकार और लेखक उपलब्धियों की टेक लगा लेते हैं। खरीदे हुए पुरस्कारों की टेक भी अच्छी होती है। आम आदमी इकलौते मकान की टेक लगा लेता है। सस्ती कार की टेक लगा लेता है। आर्थिक रूप से कमजोर बड़ी-बड़ी बातों की टेक लगाकर नाक को ऊंचा करने की कोशिश करते हैं। ऊंची नाक के सपने साकार करने में नकारा लोग चोरी-चकारी में भिड़े रहते हैं। फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम जैसे सूचनाएं साझा करने के मंच अब नाक ऊंची करने के साधन बन गए हैं। युवा उकसाऊ रील और फोटो साझा करते हैं।
कालजयी हो जाने की तमन्ना पाले बहुधा लेखक नाक ऊंची करने के लिए लिखते हैं। नाक के लिए किया गया लेखन कालजयी नहीं हुआ। बहरहाल, नेताओं की नजर में आम आदमी की नाक होती ही नहीं है! वे नाक रहने नहीं देते। आम आदमी की नाक नेताओं के लिए खतरनाक होती है। जागरूक वोटर को चुपचाप अपनी बची-खुची नाक की ऊंचाई नाप लेनी चाहिए। यह अच्छे दिनों के लिए जरूरी है।

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