मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

बठिंडा में दिवंगत साहित्यकारों के परिजनों को किया सम्मानित

08:54 AM Oct 08, 2024 IST
समाजसेवी एवं साहित्यकार जगमोहन कौशल की पत्नी इंदिरा कौशल का सम्मान करते साहित्य सभा और टीचर्स होम ट्रस्ट के पदाधिकारी।- पवन शर्मा

बठिंडा, 7 अक्तूबर (निस)
पंजाबी साहित्य सभा बठिंडा और टीचर्स होम ट्रस्ट के सहयोग से सभा के तीन दिवंगत अध्यक्षों जगमोहन कौशल, जगदीश सिंह घई और जेसी परिंदा की याद में एक विशेष समारोह का आयोजन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. पंजाबी साहित्य अकादमी लुधियाना के अध्यक्ष सरबजीत सिंह ने की और मुख्यातिथि के रूप में डॉ. तेज राम गर्ग ने शिरकत की। सभा के अध्यक्ष जसपाल मानखेरा, श्री कौशल की पत्नी इंदिरा कौशल, श्री घई की पत्नी स्वराज कौर और श्री परिंदा की पत्नी नीलम रानी शामल अध्यक्ष मंडल में थे। इस मौके पर दिवंगत साहित्यकारों एवं समाजसेवी के परिजनों को सम्मानित किया गया। उनके अलावा विभिन्न क्षेत्रों में लंबे समय तक साहित्य और लोगों के लिए काम करने वाले कथाकार अतरजीत सिंह, पत्रकार बलवीर ढिल्लों, प्रिंसिपल सुखदेव सिंह, बीरबल दास, मास्टर नसीब सिंह, संपूर्ण सिंह को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में बलविंदर सिंह भुल्लर ने अतिथियों और दर्शकों का स्वागत किया। इसके बाद जसपाल सिंह मनखेरा ने अपने संबोधन में कहा कि बठिंडा की पौधों की जड़ों को मजबूत करने में तीन दिवंगत साहित्यकारों श्री जगमोहन कौशल, जगदीश घई और जीसी परिंदा का विशेष स्थान है। इसके अलावा साहित्य, सामाजिक और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में लोगों के अधिकारों की प्राप्ति के लिए उनके द्वारा किये गये योगदान पर हमें गर्व है। डॉ. सरबजीत सिंह ने अपने भाषण में कहा कि आज के स्मृति समारोह के नायक श्री कौशल, घई और श्री परांदा ने समाज की बेहतरी और प्रगतिशील बनानें में विशेष योगदान दिया है। संस्कृति, समाज, शिक्षा के लिए संघर्ष करने वाले ऐसे नेताओं को कैसे याद किया जाए, यह पंजाबी साहित्य सभा से सीखना चाहिए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. तेज राम गर्ग ने संबोधित करते हुए कहा कि आज मानवता के सीने में दर्द साफ नजर आ रहा है।‌ लोगों की राजनीतिक आर्थिक और सामाजिक समझ ही उन्हें इस पीड़ा से मुक्ति दिला सकती है। जगमोहन कौशल के बारे में बोलते हुए टीचर्स होम के प्रवक्ता लछमन मलूका ने कहा कि वह अपनी आखिरी सांस तक शिक्षकों और आम लोगों के लिए लड़ते रहे, उन्होंने कभी भी सिद्धांत नहीं छोड़ा और समझौता किया।

Advertisement

Advertisement