स्वास्थ्य, पर्यावरणीय क्षेत्र की चुनौतियों का सामना वैज्ञानिक अनुसंधान से संभव : डा. अर्चना मिश्रा
रोहतक, 29 सितंबर (हप्र)
ज्ञान-विज्ञान-प्रौद्योगिकी का उपयोग समाज-राष्ट्र तथा मानव कल्याण में किया जाना चाहिए। चिकित्सकीय जरूरतों के लिए, खाद्य जरूरतों के लिए, जीवन की बेहतर गुणवत्ता के लिए वैज्ञानिकों तथा विज्ञान के शिक्षकों को योगदान देना होगा। विज्ञान तथा वैज्ञानिक प्रयोगों को प्रयोगशालाओं से निकालकर जमीनी उपयोग में लाने का आह्वान आज महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (मदवि) के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह रसायनशास्त्र विभाग के तत्वावधान में-रीसेंट ट्रेंड्स इन मैटीरियल्स एंड लाइफ साइंसेज विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी में किया। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि डा. बीआर अंबेडकर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, सोनीपत की वाइस चांसलर डा. अर्चना मिश्रा ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र तथा पर्यावरणीय क्षेत्र की चुनौतियों का सामना वैज्ञानिक अनुसंधान के जरिए संभव है। डा. अर्चना मिश्रा ने वैज्ञानिक उपयोग के ऐथिकल मुद्दों पर भी चिंतन की बात रखी।
मदवि कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने प्रतिष्ठित कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि डा. स्वामीनाथन के वैज्ञानिक प्रयासों ने ही देश में हरित क्रांति संभव हुई। बायोटेक्नोलोजी तथा नैनो टेक्नोलोजी के बहुआयामी अनुप्रयोग का उल्लेख भी कुलपति ने किया। कुलपति ने रसायनशास्त्र विभाग को इस संगोष्ठी के लिए बधाई दी। डीन, एकेडमिक एफेयर्स प्रो. सुरेन्द्र कुमार ने वैदिक काल से भारतीय ज्ञान परंपरा में विज्ञान के महत्त्व को उकेरा। उन्होंने इस संबंध में रसेश्वर दर्शन का विशेष उल्लेख किया। डीन, फैकल्टी ऑफ फिजिकल साइंसेज प्रो. एससी मलिक ने भी संबोधन किया। विभागाध्यक्ष, रसायनशास्त्र तथा संगोष्ठी संयोजिका प्रो. सपना गर्ग ने स्वागत भाषण दिया।