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कोरियाई साहित्य में नारीवाद और संवेदनाओं का अन्वेषण

08:09 AM Oct 13, 2024 IST

दिविक रमेश

दक्षिण कोरिया के लिए वर्ष 2024 अत्यंत खुशी और गौरव का समाचार लेकर आया है। पहली बार दक्षिण कोरिया के किसी भी रचनाकार ने साहित्य का नोबेल पुरस्कार जीता है। यह पुरस्कार अपेक्षाकृत काफी युवा महिला रचनाकार हान कांग (खांग) ने जीता है।
हान कांग अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रसिद्ध लेखिका हैं। मात्र 45 वर्ष की आयु में उन्हें, 2016 में उनके उपन्यास ‘द वेजिटेरियन’ (शाकाहारी) के लिए मैन बुकर इंटरनेशनल पुरस्कार मिला था। इस तरह वे यह पुरस्कार पाने वाली एकमात्र कोरियाई लेखिका बनी थीं। वर्ष 2005 में स्थापित, ‘द मैन बुकर इंटरनेशनल’ पुरस्कार ब्रिटेन के बुकर पुरस्कार का अंतर्राष्ट्रीय समकक्ष है। हां, 2016 में पहली बार यह पुरस्कार लेखक और अनुवादक (एक युवा महिला डेबोरा स्मिथ- जिन्होंने पुरस्कार से तीन साल पहले कोरियाई सीखी थी) को संयुक्त रूप से दिया गया। उनकी रचनाओं का अंग्रेजी, फ्रेंच, स्पेनिश, चीनी आदि सहित 13 से अधिक भाषाओं में अनुवाद किया गया है। उन्हें मिले पुरस्कारों में ‘टुडेज़ यंग आर्टिस्ट अवार्ड’ (2000), कोरियन लिटरेचर नॉवेल अवार्ड (1999) और मनहे लिटरेरी अवार्ड भी सम्मिलित हैं। वह सियोल इंस्टीट्यूट ऑफ द आर्ट्स में रचनात्मक लेखन पढ़ाती हैं।
रचनाकार हान कांग का जन्म नवंबर, 1970 में दक्षिण कोरिया के ग्वांगजू में हुआ था और दस साल की उम्र में वे सियोल चली गई थीं। हान कांग का संबंध लेखकों के परिवार से है। वे उपन्यासकार हान सेउंग-वोन की बेटी हैं और उनके भाई हान डोंग रिम भी एक लेखक हैं। हान का साहित्यिक कैरियर तब शुरू हुआ जब उन्होंने 1993 में लिटरेचर एंड सोसायटी के शीतकालीन अंक में ‘विंटर इन सियोल’ सहित पांच कविताएं प्रकाशित कीं। उनके उपन्यासों के कैरियर की शुरुआत 1994 में हुई, जब उन्होंने अपनी रचना ‘रेड एंकर’ के लिए सियोल शिनमुन स्प्रिंग लिटरेरी कॉन्टेस्ट जीता। उनका पहला संग्रह, ‘लव ऑफ़ योसु’ 1995 में प्रकाशित हुआ था। 1998 में, कोरिया में प्रकाशित उनकी रचनाओं में ‘फ्रूट्स ऑफ़ माई वूमन’ (2000) शामिल हैं; उपन्यास जिनमें द ब्लैक डियर (1998), योर कोल्ड हैंड (2002), द वेजिटेरियन (2007), ब्रीथ फ़ाइटिंग (2010), ग्रीक लेसन (2011) शामिल हैं। हान कांग एक कवि, कथाकार और उपन्यासकार हैं। हान एक संगीतकार भी हैं। ‘द वेजिटेरियन’ हान की पहली कृति थी जिस पर फीचर फिल्म बनाई गई थी।
वर्ष 2007 में पहली बार कोरियाई में प्रकाशित ‘द वेजिटेरियन’ (शाकाहारी) हान कांग द्वारा लिखित तीन भागों का एक उपन्यास या नाटक लघु उपन्यास है। यह योंग-ह्ये की कहानी है, जो एक कर्तव्यनिष्ठ पत्नी है, जिसका मांस खाने से इनकार करने का फैसला उसके पूरे अस्तित्व को तहस-नहस कर देता है। हान ने कहा कि यह किताब एक ऐसी महिला के विचार से प्रेरित है जो अब मानव जाति से संबंधित नहीं होना चाहती थी और यह उनकी 1997 की लघु कहानी ‘एक महिला जो वास्तव में एक फल में बदल जाती है’ पर आधारित है। लेखिका ने कहा कि वह ‘मानव हिंसा का पता लगाना चाहती थी, और साथ ही मानवीय गरिमा के बारे में एक सवाल पूछना चाहती थी।’
मेरी राय में उपन्यास ‘द वेजिटेरियन’ या शाकाहारी की जटिलता और दार्शनिक दृष्टि को समझने की जड़ें इसके लेखक के निजी जीवन के कुछ ज्ञात पहलुओं में निहित हैं, जो उसने खुद और उनके बारे में दूसरों द्वारा बताए गए हैं। हान कांग के शब्दों में, ‘मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मैं स्वतंत्र पीढ़ी से हूं : एक ऐसी पीढ़ी जिसे सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की ज़रूरत नहीं थी।’ एक साक्षात्कार में उन्होंने खुलासा किया है कि अपने 20 के दशक में वह शाकाहारी थी और कुछ समय बाद उसने शारीरिक कारणों से थोड़ा मांस खाना शुरू कर दिया, लेकिन अपराध बोध के साथ। अपने 20 के दशक में उसने बौद्ध धर्म में अपने प्रश्न के उत्तर की तलाश की, लेकिन इससे तभी पीछे हटी जब वह अपने 30 के दशक में जोड़ों की रहस्यमय समस्या से ग्रसित हो गई, जिससे उसके हाथ इतने दर्द के मारे हो गए कि वह मुश्किल से उनका उपयोग कर पाती थीं। तीन साल तक वह केवल अपने ‘की-बोर्ड’ पर कलम से ‘टैप’ करके लिख सकती थी।’ ‘ज़्यादातर लोग बीमार होने पर धर्म की ओर रुख करते हैं,’ वह कहती है, ‘लेकिन मेरे लिए यह विपरीत था।’ ‘द वेजिटेरियन’ में इस अनुभव की छाया देखना मुश्किल नहीं है, जिसमें एक युवा महिला, योंग-ह्ये अपने शरीर को अस्वीकार करती है, मानो समाज द्वारा उसके साथ की गई हिंसा को मिटाने की कोशिश कर रही हो।
यह उपन्यास आधुनिक काल में कोरियाई परिवारों और सामाजिक व्यवस्था के अंतर्विरोधों का गहन अध्ययन है। इसमें तथाकथित कोरियाई शिष्टाचार के नाम पर रिश्तों में क्रूरता, अमानवीयता, शोषण, प्रतिशोध और ऐसे ही अन्य व्यवहारों को दर्शाया गया है। खास तौर पर, पुरुष-नियंत्रित समाज में एक इंसान या व्यक्ति के रूप में महिलाओं की अपनी पहचान, सम्मान, समानता और सशक्तीकरण के संकट को बहुत ही सशक्त छवियों में दर्शाया गया है। लेखिका ने अपनी शक्तिशाली, गहरी और सूक्ष्म अवलोकन-क्षमता के कारण स्थितियों का गहन वर्णन किया है। वह आंतरिक भावनाओं और बाहरी क्रियाओं और प्रतिक्रियाओं दोनों को चित्रित करने में माहिर हैं।
पिछले वर्षों में कम से कम दो कोरियाई रचनाकारों को नोबेल पुरस्कार दिए जाने की कोरियाई इच्छा गुंजित होती रही है। इनमें एक अधिनायकवाद के विरुद्ध सशक्त उपन्यास ‘खलनायक’ (राजकमल द्वारा प्रकाशित ‘आवर ट्विस्टेड हीरो’ का दिविक रमेश द्वारा हिंदी में अनूदित) लिखने वाले वरिष्ठ और प्रतिष्ठित लेखक यी मुन योल तथा दूसरे कोरिया के एकीकरण के बड़े चहेते वयोवृद्ध प्रतिष्ठित कवि गो उन हैं।

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