रोबोटिक्स ने पकड़ ली रफ्तार
देश में उद्योगों समेत विभिन्न क्षेत्रों में रोबोटिक्स का प्रयोग बढ़ रहा है। इसके निर्माण व एप्लीकेशन के लिए नये-नये स्टार्टअप भी उभर रहे हैं। इन रोबोट्स में से कोई सर्जन है, कोई टीचर, कोई रिशेप्सनिस्ट तो कोई सफाईकर्मी। एआई के विकास के साथ भी देश में रोबोटिक्स तरक्की कर रहा है। रोबोटिक्स के व्यापक क्षेत्र में रोजगार भी सृजित होंगे।
संजय श्रीवास्तव
भारत कारखानों में कामकाजी रोबोट इस्तेमाल करने वाले देशों में संसारभर में सातवें नंबर पर पहुंच गया है। अब देखना है कि देश में रोबोटिक्स के क्षेत्र में जो आगामी लक्ष्य रखे गये हैं वे कहां तक हासिल हो सकेंगे। पिछले साल सितंबर में राष्ट्रीय रोबोटिक्स रणनीति का मसौदा जारी किया था। उद्देश्य था, रोबोटिक प्रौद्योगिकी के नवाचार को मजबूत कर 2030 तक देश को रोबोटिक्स का हब बनाना। अंतर्राष्ट्रीय रोबोटिक्स महासंघ की रिपोर्ट बताती है कि ऑटोमेशन तकनीक अपना चुके हमारे कारखानों में हजारों रोबोट काम कर रहे हैं। दुनियाभर के कारखानों में कार्यरत 43 लाख रोबोटों की संख्या और बीते तीन साल से हर साल उनमें 5 लाख से ज्यादा की बढ़ोतरी को देखें तो यह तादाद मामूली है। देश में चलने वाले कारखानों की संख्या पर गौर करें तो रोबोट कार्यबल की सघनता नगण्य हो जाती है लेकिन कारखानों में रोबोट कार्यबल के मामले में देश का सातवें नंबर पर पहुंचना उल्लेखनीय है। दो साल पहले इस मामले में भारत संसार में 10वें स्थान पर था। पिछले पांच वर्षों में देश में इंडस्ट्रियल रोबोट की संख्या दोगुनी हो गई। साल 2016 से जो हमने रफ्तार पकड़ी तो 2023 तक 44,958 इकाइयों की संख्या पा ली। 2023 में 8510 नए रोबोट काम पर लगे।
इस्तेमाल बढ़ने से स्थापित हुए स्टार्टअप
उद्योगों में ऑटोमेशन बढ़ने के अनुपात में ही रोबोट वर्कर की संख्या भी बढ़ती जा रही है। ऑटोमोटिव और विनिर्माण जैसे प्रमुख क्षेत्रों में रोबोटिक्स की मांग ने इनकी संख्या में खासा इजाफा किया है। ऑटोमोटिव क्षेत्र में तो रोबोट इंस्टालेशन में रिकार्ड 139 फीसदी की बढ़त दिखी। देश में उद्योगों के अलावा दूसरे क्षेत्रों में भी रोबोट का इस्तेमाल बढ़ता देख आज साठ से अधिक स्टार्टअप रोबोट बना रहे हैं। कई कंपनियां मानव जैसे रोबोट बना रही हैं। अनुष्का, मानव, मित्रा, शालू वगैरह इसके उदाहरण हैं। इनमें से कोई सर्जन है, कोई टीचर, कोई रिशेप्सनिस्ट। इसरो अंतरिक्ष में भेजने के लिये व्योममित्र रोबोट विकसित कर रहा है, तो सेना ने निगरानी और युद्ध अभियानों में सहायता के लिए कुत्तानुमा रोबोटिक खच्चर विकसित किया है। आईआईटी कानपुर ने सीवर की सफाई में सफाईकर्मी की जान न जाए इस वास्ते रोबोट बनाया है। स्वदेशी सर्जिकल रोबोट मंत्रा ने सफल रोबोटिक कार्डियक सर्जरी का शतक पूरा किया, तो कुछ कंपनियां कैंसर, स्त्री रोग संबंधी ऑपरेशन के लिए कई रोबोटिक समाधान लेकर आयी हैं।
एआई के विकास का असर
आईआईटी प्रयागराज, दिल्ली, हैदराबाद एक साथ मिलकर उद्योग, कृषि, शैक्षणिक, सुरक्षा और घरों के लिए उपयोगी रोबोटिक्स तकनीक निर्मित करने में लगे हैं। पहले प्रशिक्षण फिर अनुसंधान और इसके आगे नवोन्मेष और अनुप्रयोग तक जाएंगे। रोबोट बनाने से लेकर रोबोटिक्स अपनाने के लिए वित्तीय सहायता देने की योजनाएं हैं। रोबोट बाज़ार पर नजर रखने वाली संस्थाएं कहती हैं कि 2027 तक जितने औद्योगिक रोबोट स्थापित होंगे, उनका सबसे बड़ा हिस्सा दक्षिण एशियाई देशों में होगा। देश एआई क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल करता जा रहा है, रोबोटिक्स के क्षेत्र में शोध, अनुसंधान और निर्माण के प्रयोग इस क्षेत्र को और सबलता दे रहा है।
अर्थव्यवस्था के विकास में मददगार
भारतीय रोबोटिक्स के विकास की गति उम्मीद बंधाती है कि हम 2030 तक रोबोट स्थापन के मामले में पांचवें स्थान के करीब पहुंच जाएंगे। कामकाजी रोबोट या कृषि, शिक्षा, मनोरंजन जैसे दूसरे क्षेत्रों में काम आने वाले रोबोट की संख्या वृद्धि को महज आंकड़े नहीं समझना चाहिये। रोबोट कर्मियों और जीवन के तमाम क्षेत्रों में एआई से लैस सहयोगी रोबोट या कोबोट्स का शामिल होना उद्यम उद्योग ही नहीं देश के स्वास्थ्य, शिक्षा, निर्माण, विनिर्माण, जैसे तमाम क्षेत्रों की तस्वीर बदल देने वाला है। यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में हमें ऊपरी पायदान पर जाने में मदद करेगा। इससे विकट परिस्थितियों में किये जाने वाले मानवीय श्रम को राहत मिलेगी, रोबोट उत्पादकता बढ़ाने के काम आयेगा।
रोजगार में इजाफे की संभावनाएं
बेशक कुछ नौकरियों में कटौती होगी पर इनके आने पर कुछ नए काम और नौकरियां सृजित होंगी। नहीं भूलना चाहिये कि यह क्षेत्र बहुत व्यापक है ढेरों संभावनाओं से भरा भी। विशेषज्ञ कहते हैं कि वर्ष 2030 तक, भारतीय रोबोटिक्स का सालाना बाजार साढ़े चार अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। इस बढ़ते बाज़ार, विकास और इसकी व्यापकता को देखते हुए सरकार और उद्योग जगत को यह ध्यान में रखना होगा कि एआई और रोबोटिक्स सिस्टम अक्सर बड़ी मात्रा में डेटा पर काम करते हैं। इसमें आये दिन सेंध लग रही है इस डेटा की गोपनीयता और सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। रोबोटिक्स से संबंधित प्रमुख क्षेत्रों यथा एआई व मशीन लर्निंग आदि में अनुसंधान के लिए और धनावंटन करना होगा। रोबोटिक्स केंद्रों और इनक्यूबेटरों की स्थापना, कंपनियों और स्टार्टअप को टैक्स में छूट बढ़ानी होगी। अवसंरचना, विनिर्माण, स्वास्थ्य, कृषि में रोबोटिक्स के इस्तेमाल को कैसे बढाएं इसकी ठोस योजना बनानी होगी।
इ.रि.सें.