पूर्व सैनिक पत्नी संग अटारी बॉर्डर से कन्याकुमारी तक करेंगे पैदल यात्रा
सोनीपत, 12 दिसंबर (हप्र)
भूतपूर्व सैनिक बलबीर सिंह ने कहा कि अर्द्धसैनिक बल के जवान देश के लिए सदैव तत्पर रहते हैं, उसके बावजूद उनकी मांगों की सुनवाई नहीं हो रही है। उनकी मांगों में मुख्य रूप से वन रैंक वन पेंशन लागू करना व हमलों में शहीद होने वाले अर्द्धसैनिक बल के जवानों को शहीद का दर्जा देना शामिल है। मांगों को लेकर वह और उनकी पत्नी सावित्री पंजाब के अमृतसर स्थित अटारी बॉर्डर से लेकर तमिलनाडू के कन्याकुमारी तक 100 दिन की पैदल यात्रा करने जा रहे हैं। इसकी शुरुआत 14 फरवरी से होनी है।
भूतपूर्व सैनिक बलबीर सिंह बृहस्पतिवार को रेलवे रोड स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकार वार्ता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 13 दिसंबर, 2001 देश के इतिहास का काला दिन था। इस दिन संसद भवन पर हमला किया गया था। उस दौरान संसद को बचाने के लिए देश के अर्द्धसैनिक बल के जवानों ने अपनी जान की बाजी लगा दी थी। देश के लिए प्राण न्योछावर करने वालों को भी शहीद का दर्जा नहीं दिया जाता। अब वह अर्द्धसैनिक बल के जवानों व उनकी वीरांगनाओं के लिए 14 फरवरी से पैदल यात्रा करने जा रहे हैं। जिसमें 1500 से ज्यादा पूर्व अर्द्धसैनिक शामिल होंगे। करीब 250 पूर्व अर्द्धसैनिक उनके साथ कन्याकुमारी तक जाएंगे।
उन्होंने कहा कि सीआईएसएफ को केंद्रीकृत लॉग प्रबंधन समाधान (सीएलएमएस) से वंचित रखा गया है। उन्होंने कहा कि सीआईएसएफ महानिदेशक से अनुरोध है कि सीएलएमएस को लागू किया जाए। वर्ष 2019 में गृह मंत्री अमित शाह ने सीआरपीएफ कार्यालय के उद्धाटन पर अर्द्धसैनिक बल के जवानों को साल में 100 दिन की छुट्टी का ऐलान किया था, लेकिन उसे अभी तक लागू नहीं किया गया है। केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) डिस्पेंसरी की सुविधा देश के हर जिले में होनी चाहिए। सेवानिवृत्त अर्द्धसैनिकों के लिए सैनिक बोर्ड की तर्ज पर कल्याण बोर्ड होना चाहिए। अर्द्धसैनिक बल के शहीद जवानों के नाम तिरंगा पार्क में शिलापट्ट पर अंकित होने चाहिए। उनके साथ सावित्री व सतीश भी मौजूद रहे।