मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
आस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

वर्तमान का आनंद

06:56 AM Aug 24, 2024 IST

एक चिड़िया थी जो बहुत ऊंची उड़ती और इधर-उधर चहचहाती रहती। वह कभी इस टहनी पर, कभी उस टहनी पर फुदकती। लेकिन उसकी एक आदत थी—वह दिन में होने वाली अच्छी और बुरी घटनाओं के कंकर अपनी पोटली में रख लेती। वह अक्सर उन कंकरों को पोटली से निकालकर देखती। अच्छे कंकरों को देखकर बीते दिनों की अच्छी बातों को याद करके खुश होती और खराब कंकरों को देखकर दुखी होती। चिड़िया यह रोज करती। रोज कंकर इकट्ठा करने से उसकी पोटली धीरे-धीरे भारी होती जा रही थी। कुछ समय बाद, पोटली पूरी तरह से कंकरों से भर गई। चिड़िया को भरी पोटली के साथ उड़ने में दिक्कत होने लगी। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्यों नहीं उड़ पा रही। समय के साथ, पोटली और भारी होती गई और अब तो उसके लिए चलना भी मुश्किल हो गया। एक दिन ऐसा आया कि वह खाने-पीने का इंतजाम भी नहीं कर सकी और अपने कंकरों के बोझ तले मर गई। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जब हम अपने पुराने दुख और अनुभवों का बोझ लेकर चलते हैं, तो हम वर्तमान का आनंद नहीं ले पाते।

Advertisement

प्रस्तुति : कमला

Advertisement
Advertisement
Advertisement