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गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री के विकास, फसल विविधीकरण पर दिया ज़ोर

08:55 AM Jul 06, 2024 IST

सोलन, 5 जुलाई (निस)
डॉ. वाईएस परमार औद्याेनिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी की 26वीं अनुसंधान परिषद की बैठक कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल की अध्यक्षता में हुई। बैठक में दिल्ली में हिमाचल प्रदेश के रेजिडेंट कमिश्नर सुशील कुमार सिंगला; हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना के परियोजना निदेशक सुदेश कुमार मोखटा, वन संरक्षक सोलन बसु कौशल सहित प्रगतिशील किसानों और विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने भाग लिया।
अनुसंधान निदेशक डॉ. संजीव चौहान ने पिछले वर्ष की गई अनुसंधान गतिविधियों का अवलोकन प्रस्तुत किया। उन्होंने सेब में बड म्यूटेंट की पहचान करने और नई किस्मों को विकसित करने के लिए चल रहे परीक्षणों में विश्वविद्यालय की सफलता पर प्रकाश डाला।
डॉ. चौहान ने कहा कि विश्वविद्यालय ने क्लोनल रूटस्टॉक्स के बड़े पैमाने पर गुणन के लिए मॉड्यूल विकसित किए हैं। उन्होंने ड्रैगन फ्रूट, जूजूबे बेर, कॉफी, ब्लूबेरी और एवोकाडो जैसे नए फलों को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय की पहल को साझा किया है, जिसके लिए राज्य के विभिन्न स्थानों पर ट्रायल शुरू कर दिए गए हैं।
प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने वन और बागवानी विभागों की प्राथमिकता वाली प्रजातियों को ध्यान में रखकर बागवानी और वानिकी पौधों के लिए विशिष्ट रोपण सामग्री विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने ऐसे मॉडल बनाने के महत्व पर जोर दिया जो कम पानी वाली परिस्थितियों में अच्छा काम कर सकें।
बैठक में लैंटाना जैसी आक्रामक प्रजातियों से निपटने के लिए हस्तक्षेप, जल संरक्षण के लिए स्प्रिंगशेड पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन दृष्टिकोण और जंगल की आग के प्रबंधन के लिए सिल्वीकल्चर हस्तक्षेप पर भी चर्चा हुई। बैठक में प्रगतिशील किसान उमेश सूद, शैलेन्द्र शर्मा, सुभाष शार्दू, बांके बिहारी, विनय नेगी और मोहिंदर कुमार सहित जीआईजेड सलाहकार अजीत भोर, कृषि विवि पालमपुर से डॉ. एमसी राणा, विश्वविद्यालय के वैधानिक अधिकारियों और वैज्ञानिकों ने भाग लिया।

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