पंजाब की चार विधानसभा सीटों पर चुनाव जल्द, प्रमुख दल हुए एक्टिव
रविंदर शर्मा/निस
बरनाला, 29 अगस्त
पंजाब में जल्द ही 4 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाला है। चुनाव जीतने में कोई कसर बाकी न रहे जाए इसे लेकर सभी राजनीतिक दलों के प्रमुखों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। बैठकों का दौर जारी है। सभी नेता अपने वर्करों को लोगों को पार्टी की नीतियों से अवगत करवाने के लिए कह रहे हैं। बात करें शिरोमणि अकाली दल की तो उसने बैठकों का दौर शुरू कर दिया है, वहीं आम आदमी पार्टी भी इस मामले में पीछे नहीं है। उधर, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने भी बैठकें शुरू कर दी हैं। हाल ही में उन्होंने चंडीगढ़ में पार्टी के जिला प्रधानों के साथ एक मीटिंग की जिसमें वड़िंग ने सभी से फीडबैक लिया और पूछा कि किसी को अगर पार्टी या उनसे कोई मनमुटाव है तो वह खुलकर बात कर सकता है। खास बात यह है कि इन 4 सीटों पर चुनाव कांग्रेस के लिए भी इसलिए जरूरी है कि इनमें से तीन सीटों पर कांग्रेस के ही विधायक थे। बता दें कि डेरा बाबा नानक, चब्बेवाल, गिद्दड़बाहा तथा बरनाला में उपचुनाव होगा क्योंकि इन सभी सीटों के विधायक चुनाव जीतकर सांसद बन गए हैं।
ये है राजनीतिक पार्टियों की तैयारी
शिरोमणि अकाली दल उपचुनाव को लेकर इस बार किसी भी तरह का रिस्क लेने के मूड में नहीं लग रही है। पार्टी प्रमुख वर्करों के साथ आए दिन बैठकें कर रहे हैं ताकि पिछली बार की तरह उनकाे हार का सामना न करना पड़े। गिद्दड़बाहा सीट वैसे भी अकाली दल के लिए काफी महत्वपूर्ण है। चर्चा है कि इस सीट पर शिअद के प्रधान सुखबीर बादल चुनाव लड़ सकते हैं। वह पिछले काफी दिनों से सक्रिय हैं। वह वर्करों तथा लोगों के साथ बैठकें कर रहे हैं और फीडबैक भी ले रहे हैं। भाजपा की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता इन दिनों काफी एक्टिव हैं। पार्टी इन दिनों सदस्यता अभियान चला रही है ताकि लोगों को अपने साथ जोड़ा जा सके और चुनाव में जीत हासिल की जा सके क्योंकि इस बार के चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन काफी खराब रही है। पार्टी इस प्रदर्शन को दोहराना नहीं चाहती है। पार्टी प्रधान सुनील जाखड़ जगह-जगह बैठकें कर रहे हैं। वहीं सीएम भगवंत मान खुद मैदान में उतरे हुए हैं, वर्करों से बैठकें कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने मालवा नहर परियोजना का जायजा लिया। इसके अलावा 29 जुलाई को गुरदासपुर जिले में रेलवे फ्लाईओवर का भी उन्होंने शुभारंभ किया है।
तीनों प्रमुख दलों की चुनौतियां और उम्मीदें
पहला, भाजपा के लिए इस बार भी किसान ही चुनौती बन सकते हैं क्योंकि किसानों का आरोप है कि केंद्र सरकार ने उनसे किए वादे पूरे नहीं किए। पार्टी को लोकसभा चुनाव में भी इसी कारण से हार का सामना करना पड़ा था। दूसरा, कांग्रेस का लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन संतोषजनक रहा है, अगर इस बार भी जनता का साथ मिला तो पार्टी उपचुनाव में बेहतर परिणाम दे सकती है। तीसरा, शिरोमणि अकाली दल (बादल) का लोकसभा चुनाव में बहुत ही खराब प्रदर्शन रहा। पार्टी में फिलहाल अंतर्कलह चल रही है जिससे पार पाना पार्टी प्रधान के लिए बहुत आवश्यक हो चला है। इसके अलावा बागी विधायकों की वजह से भी पार्टी बैकफुट पर है। अब उपचुनाव में पार्टी का प्रदर्शन कैसा रहता है, यह तो भविष्य में ही पता चलेगा, बहरहाल पार्टी की तैयारियां जोरों पर हैं।