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गालियों का सीजन भी लाये चुनाव

07:25 AM Dec 02, 2023 IST
गालियों का सीजन भी लाये चुनाव
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सहीराम

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गालियों का भी एक सीजन होता है जी! पहले जैसे शादी-ब्याह आते थे तो उनके साथ गालियों का भी एक सीजन आता था-समधी-समधनों को गाली, बारातियों को गाली। यहां तक कि दूल्हे की बहनों को भी नहीं छोड़ा जाता था। पता नहीं मां-बहनेें ही गालियों में सबसे आसान टारगेट क्यों बनती हैं। यार-दोस्तों के बीच धौल-धप्पा हो तो उनके लिए गालियां। झगड़े या मारपीट हों तो उनके लिए गालियां। शादी-ब्याह और खुशी के अवसर हों तो भी उनके लिए गालियां। खैर, शादी-ब्याहों में दी जाने वाली गालियों का सीजन अब मंद पड़ चुका है। शादी-ब्याह पहले वाले नहीं रहे तो उस वक्त दी जाने वाली गालियों का सीजन भी वैसे ही कैसे रह सकता है।
दरअसल, जब ऋतुओं पर जलवायु परिवर्तन का असर हो रहा हो तो शादी-ब्याह के रीति-रिवाजों में परिवर्तन का भी असर होगा ही। लेकिन गालियां कम कैसे हो सकती हैं। पहले शादी-ब्याह गालियों का सीजन होता था, अब चुनाव गालियों का सीजन होता है। हमारे प्रधानमंत्री तो बाकायदा यह घोषित किए हुए हैं कि वे हर रोज दो-तीन किलो गालियां खाते हैं। लेकिन उससे उनका हाजमा खराब नहीं होता, वे उसे एनर्जी में तब्दील कर देते हैं। पहले पाव भर देसी घी खाने से ही लोगों की हालत खराब हो जाती थी।
खैर, अब शादी-ब्याह का सीजन नहीं बल्कि चुनाव का सीजन ही गालियों का सीजन होता है। हालांकि, कुछ लोगों को हर रोज गालियां देने की और कुछ लोगों को हर रोज गालियां खाने की आदत होती हैं। मालिक हर रोज गाली देगा ही, नहीं तो उसे मालिक कौन मानेगा और नौकर हर रोज गाली खाएगा ही, वरना उसे उसकी हैसियत कैसे बताई जाएगी। इस तरह की गालियों का सीजन से कोई लेना-देना नहीं होता। गालियों के सीजन की गालियां कुछ अलग ही तरह की होती हैं। जैसे बहार के फूल कुछ अलग ही तरह के होते हैं। वरना कुछ फूल तो सदाबहार भी होते हैं। तो जनाब क्योंकि यह चुनाव का सीजन था, इसलिए गालियों की बहार थी।
पहले चुनाव के वक्त लोगों की बेहतरी के लिए कुछ वादे किए जाते थे। वादे पूरे न हों तो लोग तंग बहुत करते थे और गाहे-बगाहे याद दिलाते रहते थे। अब चुनाव के वक्त गालियां देने का फायदा यह होता है कि नेताओं को वादे नहीं करने पड़ते। वादे नहीं करने पड़ते तो फिर वे जवाबदेह भी नहीं रहते। सो उन्होंने यह आसान रास्ता निकाल लिया है कि गालियां दो और गालियां खाओ और मस्त रहो। इसलिए चुनाव का सीजन आया तो वे इनको और ये उनको गालियां दे रहे हैं। वो कह रहे हैं तो देखो यह हमें गालियां दे रहे हैं और ये कह रहे हैं कि देखो वो हमें गालियां दे रहे हैं।

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