चित्रकला से प्रभावी शिक्षण
केवल तिवारी
समय के हिसाब से रचनात्मकता के रूपों में भी परिवर्तन आया। हर कालखंड में सृजनशीलता की भी विविधता रही। लेकिन हर रचना, हर विचार और हर विषय के साथ गहरे से जुड़ी रही चित्रकला, जिसे हम चित्रभाषा भी कह सकते हैं। चित्रकला के प्रारंभिक चरण से लेकर आज तक इसके विविध आयामों पर डॉ. शिवा की नयी पुस्तक आयी है, ‘चित्रभाषा : स्मार्ट शिक्षण कला’।
ललित कला विषय पर लंबे समय से शिक्षण कार्य कर रहीं डॉ. शिवा ने पुस्तक में जहां चित्रकला के महत्व को अपनी कविताओं, अखबारों में छपे विभिन्न लेखों, समाचारों के जरिये समझाने की कोशिश की है, वहीं यह स्थापित करने की कोशिश की है कि चित्रकला एक सशक्त भाषा है। ऐसी भाषा जिसकी शुरुआत तब से हो चुकी थी जब मनुष्य के पास संप्रेषण का कोई माध्यम नहीं था। कुल सात खंडों में विभाजित इस पुस्तक में हर खंड की शुरुआत में चित्रकला को लेकर विभिन्न हस्तियों के विचारों को उनकी तस्वीर के साथ स्थान दिया गया है। ललित कला के विद्यार्थियों से अधिक यह किताब इसके शिक्षकों या अभिभावकों के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
चित्रकला और स्मार्ट शिक्षण के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डालने के साथ-साथ लेखिका ने हर विषय, चाहे विज्ञान हो या भूगोल, गणित हो या कोई अन्य, के साथ चित्रकला की महत्ता पर संक्षेप में, लेकिन सारगर्भित तरीके से प्रकाश डाला है। विभिन्न कालखंडों में चित्रकला की स्थिति और उसके विकास को चित्रों के ही माध्यम से दर्शाने का भी पुस्तक में अच्छा प्रयोग किया गया है। किताब की भाषा और शैली सरल है।
पुस्तक : चित्रभाषा : स्मार्ट शिक्षण-कला लेखिका : डॉ. शिवा प्रकाशक : हरियाणा ग्रंथ अकादमी, पंचकूला पृष्ठ : 123 मूल्य : रु. 800.