पराली के धुएं का असर, 3 दिन में प्रदूषण के 300 मामले दर्ज, एक्यूआई लाल निशान पर
संगरूर, 13 अक्तूबर (निस)
पराली जलाने के मामले बढ़ने से वायु प्रदूषण भी बढ़ना शुरू हो गया है। पिछले तीन दिनों में पराली जलाने के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसके साथ ही हवा का स्तर हरे से लाल निशान तक बढ़ने लगा है। तीन दिनों में पराली जलाने के करीब 300 मामले दर्ज किए गए हैं, जो इस सीजन में अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। वहीं इन दिनों में कुछ जिलों में हवा का स्तर सांस की बीमारियों से पीड़ित लोगों के स्वास्थ्य पर असर डालने लगा है। प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, बुधवार को पंजाब भर में पराली में आग लगने के केवल 33 मामले सामने आए, जो बृहस्पतिवार को बढ़कर 123 और शुक्रवार को 143 हो गए। बुधवार की तुलना में शनिवार दोपहर तक हवा में भारी तत्व पाए गए हैं। 12 अक्तूबर की दोपहर तक बठिंडा वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में 189 दर्ज किया गया, जो 10 अक्तूबर को 108 था। बृहस्पतिवार को अमृतसर साहिब का एक्यूआई 80 था, जो शनिवार दोपहर तक 142 तक पहुंच गया। खन्ना का एक्यूआई बृहस्पतिवार को 81 और शनिवार दोपहर तक 116 रहा।
उल्लेखनीय है कि 0-50 के एआर गुणवत्ता सूचकांक वाली हवा अच्छी मानी जाती है, जिसका मनुष्यों पर न्यूनतम प्रभाव पड़ता है। सांस लेने में कठिनाई वाले संवेदनशील लोगों के लिए 51-100 का एक्युआई संतोषजनक है। 101-200 का एक्यूआई फेफड़े, अस्थमा और हृदय रोग से पीड़ित लोगों में सांस की तकलीफ का कारण बन सकता है। 201-300 एक्यूआई मानव स्वास्थ्य के लिए खराब है, इस हवा के लंबे समय तक संपर्क में रहने से ज्यादातर लोगों में श्वसन संबंधी समस्याएं होती हैं। 301-400 एक्यूआई वाली हवा इंसानों के लिए बहुत खराब है और लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से श्वसन संबंधी बीमारी हो सकती है। 401-500 एक्युआई वाली वायु स्वस्थ लोगों को भी प्रभावित करती है और मौजूदा बीमारियों वाले लोगों को गंभीर रूप से प्रभावित करती है।