जींद में पढ़े-लिखे और आम लोग भी ठगी का शिकार !
जींद, 28 अक्तूबर
जींद में डिजिटल अरेस्ट के मामलों ने शहर को हिलाकर रख दिया है। पिछले एक सप्ताह में 15 से अधिक मामलों के सामने आने से शहरवासी दहशत में हैं। साइबर थाना पुलिस के पास डिजिटल अरेस्ट से जुड़ी शिकायतों का अंबार लग गया है और हर कोई सोच रहा है—क्या कोई सुरक्षित है?
इस नए खेल में न सिर्फ पढ़े-लिखे लोग, बल्कि आम नागरिक भी ठगी का शिकार बन रहे हैं। धोखेबाज़ पहले किसी के मोबाइल नंबर का पता लगाते हैं और फिर झूठे आरोपों के साथ कॉल करते हैं। ‘आपके बेटे का नाम किसी लड़की या ड्रग मामले में आया है’, जैसी बातें सुनकर लोगों का दिल धड़क उठता है। ऐसे में जब ठग एक लाख रुपये की मांग करते हैं, तो लोग चौंक जाते हैं। इंडस पब्लिक स्कूल के वाइस प्रिंसिपल प्रवीण कुमार को भी इसी तरह का फोन आया, जिसमें एक लाख रुपये की मांग की गई। हालांकि, उनकी जागरूकता के कारण वह शिकार नहीं हुए। दूसरी तरफ, एक लड़की जो गुरुग्राम में नौकरी कर रही थी, उसने 95,000 रुपये गंवाए। इसी तरह, एक पूर्व फौजी भी 50 हजार रुपये की ठगी का शिकार हुआ। जींद में हाल के दिनों में दर्ज 15 से अधिक मामलों में पूर्व फौजी, निजी कंपनी में काम करने वाली युवती और अन्य महिलाएं शामिल हैं।
पुलिस और बैंक अधिकारी लगातार लोगों को सलाह दे रहे हैं कि वे किसी भी अनजान कॉल या लिंक पर भरोसा न करें। लेकिन सवाल यह है कि जब जागरूकता बढ़ रही है, तो फिर ठगी के मामले क्यों बढ़ रहे हैं? पिछले दो महीनों में डिजिटल अरेस्ट के मामलों में 30 प्रतिशत की वृद्धि हो गई है। सरकारी क्षेत्र के पंजाब एंड सिंध बैंक की शाखा प्रबंधक विशाखा यादव का कहना है कि डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए लोगों को आरबीआई की गाइडलाइन का पालन करना चाहिए।
गोपनीयता का उल्लंघन : यदि ठग किसी व्यक्ति के डिजिटल डेटा तक पहुंच जाते हैं, तो वे उस डेटा का दुरुपयोग कर सकते हैं, जैसे कि व्यक्तिगत जानकारी चुराना या किसी अन्य आपराधिक गतिविधियों में इसका उपयोग करना।
संवेदनशील जानकारी न दें : किसी भी ऐसे व्यक्ति को अपनी व्यक्तिगत जानकारी देने से बचें, जो अनजान हो या आपको धमकी दे रहा हो।
सरकारी संपर्क करें : अगर आपको कोई संदेह है, तो सीधे संबंधित सरकारी एजेंसी या पुलिस से संपर्क करें।
सोशल मीडिया और ईमेल पर सतर्क रहें : संदिग्ध संदेशों या ईमेल से दूर रहें और सुनिश्चित करें कि वे वास्तविक स्रोतों से आए हैं।
दैनिक ट्रिब्यून अलर्ट
डिजिटल अरेस्ट से ठगी का मतलब है कि जब किसी व्यक्ति का डिजिटल डेटा या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को कानूनी कार्रवाई के तहत जब्त किया जाता है, तो कुछ लोग इसका गलत फायदा उठाकर ठगी कर सकते हैं। यह स्थिति विभिन्न तरीकों से उत्पन्न हो सकती है जैसे कि :
फर्जीवाड़ा करने वाले एजेंट
कुछ लोग खुद को जांच एजेंसी के अधिकारी बताकर पीड़ितों से संपर्क करते हैं और कहते हैं कि उनके उपकरणों को जब्त कर लिया गया है। वे फिर पीड़ित से धन की मांग करते हैं, यह कहते हुए कि अगर वे राशि का भुगतान करते हैं, तो उनके उपकरण वापस किए जाएंगे।
फिशिंग अटैक
डिजिटल अरेस्ट के दौरान, ठग फिशिंग ईमेल या संदेश भेज सकते हैं, जिसमें वे पीड़ितों से उनकी संवेदनशील जानकारी, जैसे कि बैंक विवरण या पासवर्ड मांगते हैं, यह कहते हुए कि उन्हें जांच के लिए इसकी आवश्यकता है।
सामाजिक इंजीनियरिंग
ठग लोग अपने आपको कानून के अधिकारी के रूप में पेश करके व्यक्ति को यह विश्वास दिला सकते हैं कि उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई चल रही है। इसके बाद, वे पीड़ित से पैसे या व्यक्तिगत जानकारी मांग सकते हैं।