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चुनौतियों के बीच आगे बढ़ी अर्थव्यवस्था

06:44 AM Dec 26, 2023 IST

जयंतीलाल भंडारी

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यकीनन बीत रहे वर्ष 2023 में जहां वैश्विक स्तर पर निर्मित आर्थिक और वित्तीय चुनौतियों से भारत के आर्थिक परिदृश्य पर कई मुश्किलें दिखाई दीं, वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था घरेलू मांग, निवेश तथा मजबूत आर्थिक बुनियाद के दम पर दुनिया की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में रेखांकित हुई है।
यदि 2023 की शुरुआत से दिसंबर तक देश का आर्थिक घटनाक्रम देखें तो प्रमुखतया महंगाई, रोजगार, रुपये की कीमत, विदेशी मुद्रा भंडार, विदेशी कर्ज, व्यापार घाटा, मानव विकास सूचकांक चिंताजनक आर्थिक मुद्दे रहे हैं। महंगाई के मोर्चे पर मुश्किलें लगभग वर्ष भर बनी रहीं। इस्राइल- हमास युद्ध, रूस-यूक्रेन युद्ध, ओपेक संगठन द्वारा तेल उत्पादन में कटौती, वैश्विक खाद्यान्न उत्पादन में कमी ने भी महंगाई बढ़ाई। इस महंगाई ने आम आदमी से लेकर सरकार के लिए भी चिंताएं पैदा की। खासतौर से नवंबर के बाद एक बार फिर थोक एवं खुदरा महंगाई बढ़ने लगी। खाद्य महंगाई की दर बढ़कर 8.7 फीसदी से अधिक पहुंच गई।
वर्ष 2023 में रोजगार की स्थिति संसद की बहस से लेकर युवाओं की चिंता का कारण बनी रही। इस वर्ष में वैश्विक सुस्ती के कारण जो-जो उद्योग-कारोबार प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुए वहां रोजगार के कम मौके निर्मित हुए। लेकिन गिग अर्थव्यवस्था और असंगठित सेक्टर में मौके बढ़ने से बेरोजगारी दर जो 2017-18 में छह फीसदी थी वह 2022-23 में घटकर 3.2 फीसदी रही। जहां इस वर्ष में आईटी बाजार की रोजगार तस्वीर बदल गई और बड़ी संख्या में कर्मचारियों को नौकरी छोड़नी पड़ी तथा नई नियुक्ति का अनुपात भी घट गया। वहीं विमानन और फार्मा जैसे सेक्टरों में कुशल पेशेवरों की मांग बढ़ी है।
यद्यपि भारत ने चालू वर्ष 2023 में वैश्विक मंदी की चुनौतियों के बीच निर्यात बढ़ाने व आयात घटाने के अधिकतम प्रयास किए। फिर भी इस साल निर्यात तेजी से नहीं बढ़ पाए तथा विदेशी मुद्रा की अन्य साधनों से कमाई भी कम रही, इससे व्यापार घाटा बढ़ा। अप्रैल से अक्तूबर 2023 के दौरान जहां भारत से 437.54 अरब डॉलर मूल्य का वस्तु निर्यात हुआ वहीं भारत में 495.17 अरब डॉलर मूल्य का आयात हुआ है।
बीत रहे वर्ष में रुपया वर्षभर लुढ़कता रहा। अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा मौद्रिक नीति सख्त बनाए जाने से वर्षभर डॉलर की तुलना में रुपये की कीमत घटती गई और दिसंबर में डॉलर के मुकाबले रुपया निचले स्तर पर लुढ़ककर 84 तक पहुंच गया। शुरुआती महीनों में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट आई। इस गिरावट का कारण निर्यात में कमी, आयात में वृद्धि व डॉलर की तुलना में रुपये को थामने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा कोष में संचित डॉलर की बिक्री किया जाना भी रहा। फिर भी दिसंबर में विदेशी मुद्रा कोष कुछ बढ़कर करीब 616 अरब डॉलर से अधिक के स्तर पर पहुंच गया।
देश पर विदेशी कर्ज भी वर्ष 2023 में चिंता का कारण रहा। सरकार ने लोकसभा में बताया कि पिछले नौ वर्षों में देश पर विदेशी कर्ज की राशि तकरीबन तीन गुनी बढ़ी है। हालांकि सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले विदेशी कर्ज चुनौतीपूर्ण स्थिति में नहीं है। बीत रहे वर्ष में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा प्रकाशित मानव विकास सूचकांक में 189 देशों की सूची में भारत 132वें पायदान पर पाया गया। रिपोर्ट के मुताबिक जीवन प्रत्याशा, स्वास्थ्य व शिक्षा की बड़ी चुनौतियां भारत के समक्ष बनी हुई हैं। प्रतिव्यक्ति आय के मामले में भी भारत की स्थिति 129वें क्रम पर नजर आई।
निश्चित रूप से इन विभिन्न आर्थिक चुनौतियों के बीच भी वर्ष 2023 में भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन कई मोर्चों पर बेहतर रहा और भारत की कई आर्थिक उपलब्धियां दुनिया में रेखांकित हुई। कारोबारी और वित्तीय परिदृश्य विस्तार को लेकर आशावादी रहा और विकास मूलक संकेत देता रहा। विनिर्माण, खनन, निर्माण तथा औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि हुई है। खासतौर से मैन्युफैक्चरिंग, कृषि, कंस्ट्रक्शन, सीमेंट, इलेक्ट्रिसिटी, होटल, ट्रांसपोर्ट, ऑटो मोबाइल, फॉर्मा, केमिकल, फुड प्रोसेसिंग और टेक्सटाइल, ई-कॉमर्स, बैंकिंग, मार्केटिंग, डेटा एनालिसिस, साइबर सिक्योरिटी, आईटी, टूरिज्म, रिटेल ट्रेड आदि क्षेत्रों में रोजगार और स्वरोजगार के मौके बढ़ते हुए दिखाई दिए। मुद्रास्फीति मौद्रिक प्रयासों से नियंत्रण में रही। कर राजस्व में सुधार हुआ। सेंसेक्स और निफ्टी नई ऊंचाइयों पर पहुंच गए।
वर्ष 2023 में घरेलू अर्थव्यवस्था की तेज ग्रोथ से भारत ब्रिटेन को पीछे करते हुए दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। आईएमएफ सहित दुनिया की कई रेटिंग एजेंसियों ने वर्ष 2023 में भारत की 6.3 फीसदी से अधिक विकास दर के अनुमान प्रस्तुत किए हैं।
बीत रहे साल में जी-20 की अध्यक्षता करने से भारत के लिए नए आर्थिक लाभों की उम्मीद बनी है। इस आयोजन के बाद अब भारत से निर्यात, भारत में विदेशी निवेश व पर्यटन और डिजिटल विकास का नया क्षितिज सामने आएगा। जी-20 से ग्लोबल सप्लाई चेन में सुदृढ़ता और विश्वसनीयता के मद्देनजर भारत की अहमियत बढ़ी है। जहां अफ्रीकी संघ को जी-20 में शामिल कराकर भारत ने इन देशों से नए आर्थिक लाभों की उम्मीदों को बढ़ाया, वहीं इसमें घोषित हुए भारत-मध्यपूर्व-यूरोप आर्थिक कारिडोर के माध्यम से दुनिया में रेल एवं जल मार्ग से भी भारतीय कंपनियों के लिए नए अवसरों की संभावनाओं को आगे बढ़ाया। देश नए मुक्त व्यापार समझौतों के लिए तेजी से आगे बढ़ता दिखाई दिया। बीत रहे साल में लगभग प्रतिमाह बाजारों में उपभोक्ता मांग में तेजी और उद्योग-कारोबार में बेहतरी से जीएसटी कलेक्शन में वृद्धि हुई। यह 12 प्रतिशत बढ़ा।
इस वर्ष में भारत दुनिया में सर्वाधिक डिजिटल पेमेंट ट्रांजेक्शन वाले देश के रूप में रेखांकित हुआ। यह भी कि आरबीआई द्वारा 2000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने के बाद बैंक जमा में भारी वृद्धि हुई। वहीं वर्ष 2023 में भारत राजकोषीय घाटा नियंत्रण में सफल रहा है। इस साल में केंद्र सरकार राजकोषीय घाटे के निर्धारित लक्ष्य जीडीपी के 5.9 फीसदी तक सीमित रखने में सफल रही।
बीत रहे साल में देश कृषि क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ा। फसल वर्ष 2022-23 के चौथे अग्रिम अनुमान के मुताबिक देश में खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 32.36 करोड़ टन के स्तर पर पहुंचते हुए वर्ष 2023-24 में गेहूं और चावल उत्पादन में कुछ कमी के अनुमान प्रस्तुत हुए हैं। भारत की पहल पर वर्ष 2023 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय श्रीअन्न वर्ष 2023 यानी मोटा अनाज वर्ष घोषित किए जाने के कारण भारत में श्रीअन्न के उत्पादन और निर्यात में वृद्धि हुई। यह भी कि वर्ष भर 80 करोड़ से अधिक गरीब व कमजोर वर्ग के लोगों को प्रति माह 5 किलो मुफ्त खाद्यान्न दिया गया।
दरअसल, साल 2023 आगामी वर्ष 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए आर्थिक और वित्तीय चुनौतियों के बीच भी 6.5 फीसदी से अधिक विकास दर की संभावनाओं का उपहार सौंप रहा है। इससे भारत 2024 में भी दुनिया में सबसे तेज विकास वाली अर्थव्यवस्था के रूप में रेखांकित होते हुए दिखाई देगा।

लेखक अर्थशास्त्री हैं।

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