समय पर भोजन से संवरे सेहत तन-मन की
कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि खाना रोज तय समय पर खा लेना चाहिये जबकि दूसरे पक्ष के मुताबिक जब भूख लगे तभी खा लें। हालांकि अधिकतर शोध शरीर की जैविक घड़ी के मुताबिक खाना नीरोग रहने के लिए सही मानते हैं यानी रात का खाना 7 बजे से पहले-पहले।
राजकुमार ‘दिनकर’
दुनिया में पिछले तीन दशकों से बहस छिड़ी हुई है कि सेहत के लिए आखिर खाने का सही तरीका क्या है? क्या हमें हर दिन एक निश्चित समय पर ही खाना खाना चाहिए या जब भूख लगे तब खा लेना चाहिए? कहने की जरूरत नहीं है कि दोनो ही पक्ष में एक से एक धुरंधर खानपान के जानकार मौजूद हैं। जॉन होपकिंस यूनिवर्सिटी का छात्र कल्याण विभाग जो खानपान को लेकर हमेशा प्रयोग और अध्ययन के लिए सक्रिय रहता है, के मुताबिक, ‘हमारी भूख को कुशलतापूर्वक नियंत्रित करने की क्षमता सिर्फ हमारे जैविक पैटर्न या सर्केडियन लय में निहित है। करीब 100 सालों के अनगिनत अध्ययनों, शोधों से यह बात साबित हो चुकी है कि हमारे शरीर का वास्तविक पैटर्न सिर्फ हमारी सर्केडियन लय के पास है, जो हमारी तमाम गतिविधियों को 24 घंटे के चक्र में विभाजित करती है। इसलिए चाहे सोने या जागने की बात हो, भोजन व उपवास की बात हो, इसके मुताबिक एक निश्चित समय पर ही ऐसा करना सेहत के लिए सबसे सही होता है।’
24 में से 14 घंटे उपवास
भूख लगने पर खाने का नियम
तय समय पर खाने के विचार के अलावा एक मजबूत पक्ष इस बात का समर्थक भी है कि चाहे आपने आखिरी बार कभी भी भोजन किया हो, लेकिन अगर आपको भूख लग रही है, तो आपको खाना खाना चाहिए, बिना भोजन के शिड्यूल की परवाह किए। इस पक्ष के मुताबिक वास्तव में हमें अपनी बॉडी को ही अपनी भूख का सबसे बड़ा संकेत मानना होगा और उसी के मुताबिक अपने निर्णय लेने होंगे। ऐसा सोचने वाले खानपान विशेषज्ञ मानते हैं कि आखिरकार हमारी बॉडी भूख का संकेत हमारे शरीर की जरूरतों को ध्यान में रखकर ही करती है यानी हमारे शरीर को जरूरी ईंधन चाहिए। लेकिन ज्यादातर खानपान के जानकार इस बात का भले संतोषजनक उत्तर न दे पाएं लेकिन वो सहमत नहीं हैं कि जब भूख लगे तब खाना खाएं। क्योंकि भूख लगना हमेशा शरीर का ऊर्जा की जरूरत का संकेत नहीं होता। जो लोग ओवर ईट करते हैं, वे भी बिना भूख लगे नहीं खाते, लेकिन उन्हें बार-बार भूख लगती है। उनका शरीर भूख को लेकर सही संकेत कर पाने में समर्थ नहीं।
शोधों के निष्कर्ष
हाल ही में छपे नेचर कम्युनिकेशन जर्नल का यह शोध अध्ययन सबसे उपयुक्त है कि रात में 9 बजे के बाद भोजन करना कई तरह की बीमारियों और मानसिक रोगों का जोखिम है। आखिरकार भूख अगर इतना की महत्वपूर्ण संकेत होती तो इस तरह की परेशानियां देर-सवेर खाने के साथ नहीं जुड़ी होती। खानपान विशेषज्ञ कहते हैं कि शाम के भोजन में हर घंटे की देरी के साथ हम अपनी मस्तिष्क संबंधी बीमारियों का जोखिम 8 फीसदी से ज्यादा बढ़ा लेते हैं। अगर रात में 9 बजे के बाद खाना खाते हैं तो यह जोखिम 28 फीसदी तक पहुंच सकता है। दुनियाभर की विभिन्न प्रयोगशालाओं और भोजनशालाओं में हुए शोध अध्ययन इसी दिशा की तरफ बढ़ते दिखायी दे रहे हैं कि हमें हर दिन एक निश्चित समय पर ही भोजन करना चाहिए।
कई रोगियों में भूख का भ्रम भी
सही समय पर भोजन कर लेने से हमें भोजन के जरूरी लाभ मिलते हैं और नुकसान से बच जाते हैं जो कि शाम के भोजन के लिए 6 से 7 बजे के बीच का है। भले लंबी-लंबी बहसों में कोई पक्ष दूसरे को स्पष्ट रूप से न हरा पाता हो कि निश्चित समय पर खाना खाना शरीर के लिए ज्यादा फायदेमंद है या जब भूख लगे तब खाना। लेकिन व्यावहारिक तौर पर देखा जाए तो हर दिन फिक्स समय पर खाना खाना ज्यादा फायदेमंद होता है।
-इ.रि.सें.