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पहले रोंगटे खड़े करने वाली कहानी, अब मिली नयी जिंदगानी

11:08 AM Nov 25, 2023 IST
चंडीगढ़ पीजीआई में अंगदाता परिवार को सम्मानित करती सांसद किरण खेर और साथ हैं डायरेक्टर प्रो. विवेक लाल। -दैिनक टि्रब्यून

विवेक शर्मा/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 24 नवंबर
दो साल की उम्र से प्रतिदिन चार-चार इंजेक्शन का दर्द। कल्पना भी सिहरा देने वाली है। अब करीब 25 साल बाद इंजेक्शन के दर्द से छुटकारा मिला तो पता चला कि जिंदगी इतनी हंसीन भी होती है। यह दीगर है कि दर्दभरी जिंदगी में भी उन्होंने पढ़ाई की और जिंदगी को जिंदाबाद कहा। खेलने कूदने की उम्र में टाइप-1 शुगर ने मासूम को अपनी चपेट में ले लिया। इलाज शुरू हुआ। इंसुलिन पर जिंदगी टिक गई। 20 साल की उम्र में किडनियों ने काम करना कम कर दिया। यह कहानी है नीदिश नंदल की। बीमारी बढ़ने लगी तो परिजन पीजीआई, चंडीगढ़ ले आए। यहां उनका किडनी और पैनक्रियाज ट्रांसप्लांट किए गए। अब वह सामान्य जिंदगी जी रहे हैं। नीदिश ने कहा कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि वो कभी सामान्य जिंदगी जी पाएंगे। डायलिसिस के दौरान नीदिश ने पीयू से पोस्ट ग्रेजुएशन की और अब लॉ की पढ़ाई कर रहे हैं। यह बात नीदिश नंदल ने पीजीआई में अंग प्रत्यारोपण की गोल्डन जुबली पर आयोजित कार्यक्रम में कही। उनके जैसे अनेक अन्य लोगों ने अपने अनुभव साझा किए जिन्हें पीजीआई में नया जीवन मिला।

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नीदिश नंदल , हीरा

हीरा की जिंदगी की चमक फीकी पड़ने लगी थी। किडनी फेल होने से हर पल तिल-तिल कर मर रहा था। उसी हीरा ने मौत को मात देकर नया जीवन पाया और देश के लिए स्वर्ण पदक जीता। चंडीगढ़ के हीरा सिंह दास्पा (38) ने 15 से 21 अप्रैल 2023 तक ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में आयोजित वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम में भाला फेंक (जेवलिन थ्रो) में पहला स्थान हासिल कर देश में चंडीगढ़ का मान बढ़ाया है। हीरा ने बताया कि साल 2012 के दिसंबर महीने में अचानक तबीयत बिगड़ी तो डॉक्टर को दिखाया। पता चला कि किडनी खराब हो गई। समझ नहीं आ रहा था कि करें तो क्या‍? डायलिसिस पर जाने से पहले मैचिंग किडनी घर में ही मिल गई। मोहाली के एक निजी अस्पताल में मार्च 2013 में किडनी ट्रांसप्लांट हुई। हीरा ने बताया कि ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. प्रियदर्शी रंजन ने डॉक्टर के साथ एक दोस्त की तरह साथ दिया।
इसी तरह बठिंडा के रहने वाले 31 साल के दीपक राय का दिल भी धोखा दे गया था। परिजन इलाज के लिए पीजीआई ले आए और यहां जिंदगी बचाने की जद्दोजहद तेज हो गई। इलाज के दौरान उन्हें दिल मिल गया और प्रत्यारोपण के बाद वह आम जिंदगी जी रहे हैं। बैंक में काम करने वाले आशुतोष शर्मा, महाराष्ट्र के रहने वाले दिलीप राव देशमुख (दादा) की कहानी भी ऐसी ही है। सभी ने अंगदान करने वालों और उनके परिवार वालों का आभार जताया और आह्वान किया कि सभी लोगों को अंगदान करना चाहिए।

अब तक 4800 मरीजों में किडनी प्रत्यारोपण

पीजीआई में अब तक हुए अंग प्रत्यारोपण के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि सबसे ज्यादा किडनी प्रत्यारोपित की गईं हैं। वर्ष 1973 से अब तक यहां 4800 मरीजों में किडनी का प्रत्यारोपण किया गया है। पीजीआई के रीनल ट्रांसप्लांट सर्जरी के प्रमुख डॉ. आशीष शर्मा ने बताया कि जितनी संख्या में मरीज हैं, उस हिसाब से अंगदान नहीं हो रहा है। हर साल डेढ़ लाख लोगों की किडनी खराब हो रही है, लेकिन 10 हजार किडनी ही मिल रही हैं।

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अंगदान करने का किया आह्वान

पीजीआई चंडीगढ़ में आयोजित कार्यक्रम में चंडीगढ़ की सांसद किरण खेर और पीजीआई के डायरेक्टर डॉ प्रोफेसर विवेक लाल ने सभी अंगदान करने वाले परिवारों का आभार जताया और लोगों से अधिक से अधिक अंगदान करने की अपील की। कार्यक्रम में दूसरो को नयी जिंदगी देने वाली अमरजोत कौर, मनप्रीत सिंह, अमनदीप सिंह, बलिंद्र सिंह के परिजनों को अंगदान करने के लिए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में नेशनल आर्गन एंड टीशू ट्रांसप्लांट कार्यक्रम के प्रमुख डॉ कृष्ण कुमार, पीजीआई के चिकित्सा अधीक्षक डॉ विपिन कौशल, प्रो. संजय कुमार भडाडा, प्रो. एचएस कोहली, प्रो. दीपेश कंवर आदि मौजूद रहे।

 

 

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