‘महर्षि दयानंद की विचारधारा को आगे बढ़ाया डॉ. यादव ने’
नारनौल, 24 अक्तूबर (हप्र)
आर्य समाज के विद्वान कप्तान जगराम आर्य ने कहा कि मृत्यु के बाद समाज में व्यक्ति के उन गुणों को याद किया जाता है, जो उसने निजी हित की अपेक्षा दूसरों के लिए किये हों। डॉ. यादव ने शिक्षा के साथ-साथ समाज सेवा और महर्षि दयानंद की विचारधारा को आगे बढ़ाने में महत्ती भूमिका निभाई। वे बृहस्पतिवार को विश्व प्रसिद्ध जीव वैज्ञानिक डा. जे.एस. यादव की बारहवीं पुण्य तिथि के अवसर पर उनके पैतृक गांव नीरपुर में आयोजित हवन एवं श्रद्धांजलि समारोह में लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यदि मनुष्य आज स्वामी दयानंद द्वारा दर्शाये गए सिद्धांत को अपनाए तो समाज टूटने की अपेक्षा जुड़ेगा तथा उसमें जातीय भेद एवं अहंकार नहीं रहेगा।
इस अवसर पर प्राचार्य मदन गोपाल ने कहा कि डा. यादव ने अपने जीवनकाल में शिक्षा के साथ-साथ वैचारिक और सामाजिक पर्यावरण को सुधारने में महत्ती भूमिका निभाई। उन्होंने अपने जीवन में शिक्षा प्राप्ति के बाद कुरुक्षेत्र को अपनी कर्मस्थली बनाया। डॉ. यादव ने सामाजिक एकता को कायम रखते हुए कुरुक्षेत्र में योगेश्वर श्रीकृष्ण भवन का निर्माण करवाकर जातीय बंधनों पर कुठाराघात किया। उन्होंने कुरुक्षेत्र में 1857 ई. के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महानायक राव तुलाराम की प्रतिमा स्थापित कर एेतिहासिक कार्य किया। इस अवसर डा. यादव के सुपुत्र मेजर जनरल अरविंद यादव, डा. अतुल यादव, असीम राव, जेएस यादव की धर्मपत्नी कमला देवी, सुरेन्द्र नम्बरदार, राजकुमार खातौद, बल्ली शेखावत, साहित्यकार रघुविंदर यादव, कप्तान हरि सिंह, पूर्व प्राचार्य मदन गोपाल, कप्तान बीरेंद्र सिंह, मास्टर संतलाल, अभय सिंह बोहरा, धर्मवीर प्रधान, सूबेदार दयानंद, करतार मास्टर, डॉ. सोनल यादव मौजूद रहे।