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भूले-बिसरे स्वतंत्रता सेनानियों का दस्तावेज़

06:52 AM Aug 11, 2024 IST

राजवंती मान
समीक्षाधीन पुस्तक ‘उत्तर प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानी’ दो खंडों में डॉ. केएल जोहर द्वारा लिखित प्रकाशित हुई है। इसमें भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों के जीवन और आजादी के लिए उनके कार्यों एवं योगदान का संक्षिप्त परिचय दिया गया है। यह पुस्तक 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम से शुरू होकर 1947 तक के सेनानियों को शामिल करती है। हम जानते हैं आजादी के लंबे संघर्ष में, हजारों पुरुष-स्त्रियों ने भाग लिया, यातनाएं सही, जेलें काटीं, फांसियां पाईं, काले पानी से लेकर देश निकाला हुआ तब यह आजादी हासिल हुई।
यहां लेखक का फोकस उत्तर प्रदेश है। उत्तर प्रदेश इतना बड़ा प्रदेश है कि उसमें से दो सौ स्वतंत्रता सेनानियों को चयनित और चिन्हित करके कलमबद्ध करना अपने आप में एक चुनौती ही रही होगी! इस संघर्ष यात्रा हज़ारों स्वतंत्रता सेनानी ऐसे भी हैं जिनका नाम पता शायद ही किसी पुस्तक में आया हो। मसलन आगरा जेल में कैद होकर सेनानियों ने 1922 में आगरा की जेल में मुशायरे किये और अंग्रेजों की नींद हराम कर दी। उन सभी नज़्मों, ग़ज़लों को अंग्रेजों ने जब्त कर लिया और उन्हें कठोर सज़ा देते हुए इधर-उधर की जेलों में पटक दिया। हाल ही में लेखिका ने आगरा जेल के अनुसार बंदी कवियों की रचनाओं को इंडिया ऑफिस लन्दन से खोजकर पुस्तक रूप में प्रकाशित करवाया है।
स्वतंत्रता संग्राम की कई धाराएं रही हैं गांधीवादी, क्रांतिकारी, कुछ आरंभ में गांधीवादी और बाद में क्रांतिकारी, कुछ सत्याग्रह के रास्ते ही आजादी प्राप्त करने के इच्छुक थे। कुछ क्रांति को ही अपना ध्येय बनाकर देश के लिए समर्पित हुए। इन्हीं में एक धारा ऐसी भी थी जो हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देती रही और इस चीज को महत्वपूर्ण मानती रही कि दोनों समुदायों के बीच एकता जरूरी है जब तक यह समुदाय इकट्ठे होकर अंग्रेजों के विरुद्ध नहीं लड़ेंगे, अंग्रेजी शासन से मुक्ति पाना मुश्किल होगा! गणेश शंकर विद्यार्थी जैसे कर्मठ स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति इसी को लेकर दे दी। इस किताब में उनका जीवन परिचय समाहित है। इसी तरह एक मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी अम्मा बी और कई अनजाने या कम जाने स्वतंत्रता सेनानियों को शामिल किया गया है। लेखक-पत्रकार प्रकाशक भी इस लड़ाई से अछूते नहीं थे जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। लोगों में राजनीतिक चेतना जगाने, संघर्ष के लिए तैयार करने और आजादी की लौ जगाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
डॉ. केएल जोहर ने इंटरनेट से, परिवार वालों से मुलाकात करके, प्रकाशित लेखों या अन्य स्रोतों से सामग्री जुटाकर दो खंडों में यह पुस्तक लिखी है। आजादी के मुस्तरका प्रयास में डॉ. केएल जोहर की यह पुस्तक आम पाठक के लिए प्रेरणादायी होगी!

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पुस्तक : उत्तर प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानी लेखक : केएल जोहर प्रकाशक : स्नेह प्रकाशन, नोएडा पृष्ठ : क्रमश: 410, 411 मूल्य : क्रमश : रु. 500, 500.

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