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हिमाचल विधानसभा में जीरो आवर पर तकरार

08:25 AM Sep 05, 2024 IST
हिमाचल विधानसभा में जीरो आवर पर तकरार

शिमला, 4 सितंबर(हप्र)
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में जीरो आवर आरंंभ करने के मुद्दे पर बुधवार को खूब तकरार हुई। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने जहां जीरो आवर तुरंत शुरू करने की पैरवी की, वहीं मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने यह कहते हुए जीरो आवर तुरंत शुरू करने का विरोध किया कि सरकार अभी इसके लिए तैयार नहीं है और जीरो आवर आरंभ करने से पहले इस पर विचार विमर्श होना चाहिए तथा इसकी एसओपी तय होनी चाहिए।
विधानसभा में प्रश्नकाल समाप्त होते ही संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने जीरो आवर का मुद्दा उठाया और कहा कि यह अच्छी परंपरा है, लेकिन इसमें सरकार को विश्वास में नहीं लिया गया है। उन्होंने जानना चाहा कि जीरो आवर की शुरू करने की क्या व्य़वस्था होगी। उन्होंने पूछा कि इनमें किन-किन मुद्दों को विधायक उठाएंगे। उन्होंने कहा कि इस मामले पर बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में चर्चा कर व्यवस्था तय की जाए, ताकि जीरो आवर व्यवस्थित रूप से चल सके।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हर संस्था की अपनी गरिमा है और लोकतंत्र इसी मायने में आगे बढ़ता है। उन्होंने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री ने अध्यक्ष के फैसले को कोई चुनौती नहीं दी है। संसद में सदस्य जो पूछता है, उसका जवाब एक माह बाद मिलता है। उन्होंने कहा कि यहां पर जोरी आवर के लिए एसओपी बनानी जरूरी है। उन्होंने कहा कि आने वाले सत्र में इसे लागू कर सकते हैं और इसके लिए तब तक नियम बना सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जीरो आवर को लेकर सरकार तैयार नहीं है और इसके लिए एसओपी बनाएं और फिर सरकार जवाब देगी, लेकिन आज इसे लागू करने को सरकार तैयार नहीं है।
उधर, भाजपा सदस्य रणधीर शर्मा ने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री चेयर के फैसले को चुनौती दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि जीरो आवर की परिभाषा एक घंटा है और उनकी मांग है कि यह एक घंटा होना चाहिए। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि वे जीरो आवर लागू करने के फैसले का स्वागत करते हैं। विपक्ष में रहते हुए वे भी इसकी मांग करते थे।
वहीं, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि जीरो आवर का क्या स्वरूप होगा, उसे तय करना जरूरी है और जल्द इस पर फैसला हो। उन्होंने कहा कि लोकहित के मुद्दे इसमें उठाए जाएंगे और मंत्री यदि उस समय जवाब देना चाहे तो दे सकते हैं, अन्यथा बाद में लिखित में दे सकते हैं। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि जीरो आवर ऐसा समय है, जिसमें जनहित से संबंधित मुद्दे सदन में उठेंगे और ये अर्जेंट और अति महत्वपूर्ण होंगे। उन्होंने कहा कि विषय की गंभीरता को देखने का अधिकार स्पीकर के पास रहता है और वह इसे देखेंगे। उन्होंने कहा कि विधानसभा से मामला संबंधित मंत्रालय को जाएगा और फिर वहां से जवाब आएगा। उन्होंने कहा कि एसओपी वही है जो संसद की है। उन्होंने कहा कि देश में सबसे पहले ई प्रणाली हिमाचल में शुरू हुई है और हमें जीरो आवर में भी आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि 10 राज्यों में जीरो आवर पहले ही शुरू हो चुका है। फिर भी सदस्य चाहते हैं कि यदि इसमें कोई चर्चा करनी है तो वे कर सकते हैं। इसकी एसओपी बना सकते हैं और फिर इसे लागू कर सकते हैं।

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