मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

आत्महत्या की चेतावनी के संकेत, रोकथाम की रणनीतियों और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के महत्व पर हुई चर्चा

07:19 AM Sep 12, 2024 IST
वैदिक मेडिटेशन पर कार्यशाला में भाग लेते चितकारा के विद्यार्थी व स्टाफ। -निस

राजपुरा, 11 सितंबर (निस)
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर वैदिक मंथन द्वारा चितकारा विश्वविद्यालय, राजपुरा में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें नभो मुद्रा जैसी वैदिक तकनीकों के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या की रोकथाम पर ध्यान केंद्रित किया गया। यह तकनीक, जो पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका तंत्र, श्वास, स्वर और मुद्रा को एकीकृत करती है, मन को शांत करने और चिंता को कम करने के लिए डिज़ाइन की गई है।
वैदिक विज्ञान में पीएचडी और 9 साल की उम्र से योगी डॉ. रुद्र के नेतृत्व में सत्र में आत्महत्या की चेतावनी के संकेत, रोकथाम की रणनीतियों और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के महत्व पर चर्चा की गई। डॉ. रुद्र ने इस बात पर जोर दिया कि आत्महत्या करने वाले 80 प्रतिशत व्यक्ति डिप्रेशन से पीड़ित हैं। उन्होंने युवाओं को परिवार, दोस्तों या मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों के सामने अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने यह भी बताया कि उचित दवा और परामर्श के माध्यम से खुशी के हार्मोन को कैसे बढ़ाया जा सकता है।
कार्यशाला में नर्सिंग विभाग, सीएसएचएस के 150 नर्सिंग छात्रों और शिक्षकों ने भाग लिया। चितकारा स्कूल ऑफ हेल्थ साइंसेज के नर्सिंग विभाग की प्रिंसिपल और निदेशक डॉ. हरमीत कौर ने कहा कि ये कार्यशालाएं तनाव प्रबंधन और मानसिक स्वास्थ्य संकटों को रोकने के लिए व्यावहारिक उपकरण प्रदान करती हैं।

Advertisement

Advertisement