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चरचा हुक्के पै

08:43 AM Sep 02, 2024 IST

खूंटा वहीं गड़ा रह गया

भाजपाई भाई लोगों ने बड़ी उम्मीद के साथ विधानसभा चुनाव की वोटिंग के दिन में बदलाव का मुद्दा उठाया। चुनाव आयोग ने लम्बी चर्चा के बाद बात मान भी ली। लेकिन छुट्टियों के फेर में भाजपा फिर भी उलझी रह गई। पहली अक्तूबर को मतदान की तारीख इसलिए बदलवाई गई क्योंकि इससे पहले और बाद में मिलाकर चार से पांच छुट्टियां पड़ रही थी। आयोग ने अब 5 अक्तूबर को वोटिंग का दिन तय किया है। 2 अक्तूबर को गांधी जयंती और 3 को अग्रसेन जयंती का अवकाश है। 5 को शनिवार और 6 को रविवार है। ऐसे में लोग 4 यानी शुक्रवार का अवकाश लेकर लम्बा टूर प्लान बना सकते हैं। यानी स्थिति पहले की तरह जस की तस बनी हुई है। थोड़ी राहत है तो केवल इस बात की कि बिश्नोई वोटर अपना मतदान करने के लिए अब रुक सकेंगे। भाजपा की छुट्टियों की दलील पर वोटिंग के दिन बदलने के बाद भी एक साथ कई छुट्टियां होने से वोटिंग प्रतिशत कम होने का डर आगे भी लगा रहेगा। ब्यूरोक्रेसी और राजनीतिक गलियारों में यह बदलाव चर्चाओं का विषय बन गया है। यानी खूंटा वहीं का वहीं गड़ा रह गया।

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फिर अड़ गए राजा साहब

अहीरवाल वाले ‘राजा साहब’ की बेटी की टिकट लगभग फाइनल हो चुकी है। पता चला है कि नेताजी अपने कई समर्थकों की टिकट के लिए अड़े हुए हैं। अहीरवाल के कई मौजूदा विधायकों की टिकट पर इस वजह से संकट पैदा हो गया है। ‘भाई लोगों’ ने दिल्ली में डेरा डाला हुआ है। टिकट हासिल करने के लिए इधर-उधर भागदौड़ कर रहे हैं। हालांकि एक ऐसे विधायक भी हैं, जिनकी टिकट पर कोई संशय नहीं है। ‘राजा साहब’ के तमाम विरोध के बावजूद आलाकमान इस विधायक की टिकट को हरी झंडी दे चुका है। बाकी वाले ‘भाई लोगों’ के पास कोई मजबूत खूंटा नहीं है। प्रदेश के मौजूदा राजनीतिक हालात में भाजपा भी किसी तरह का जोखिम लेने के मूड में नहीं है। इसलिए ‘राजा साहब’ की कई सीटों पर पसंद-नापसंद को तवज्जो भी मिलेगी।

‘बहनजी’ की चुनौती

कांग्रेस में सिरसा वाली ‘बहनजी’ के सामने इस बार के चुनाव में मौका भी है और चुनौती भी। गत दिवस जगाधरी में सफल रैली में पब्लिक प्लेटफार्म पर ऐलान कर दिया कि अपने समर्थकों की टिकट के लिए आखिरी दम तक लड़ेंगी। इतना ही नहीं, एक तरह से जगाधरी हलके से पूर्व डिप्टी स्पीकर अकरम खान को उम्मीदवार भी घोषित कर दिया। हालांकि कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी अभी पैनल बनाने में जुटी है। लेकिन ‘बहनजी’ का यह ‘बोल्ड’ अंदाज उनके समर्थकों व कांग्रेस गलियारों में चर्चाओं का विषय बना हुआ है। अब ‘बहनजी’ के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने समर्थकों को टिकट दिलवाने की है। देखते हैं वे इसमें कितना कामयाब हो पाती हैं। हालात ऐसे हैं कि ‘बहनजी’ की सियासत और साख दोनों दांव पर लगी हैं।

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दिल्ली में ट्रिपल हाउस फुल

नब्बे हलकों के लिए कांग्रेस के 2556 नेताओं ने टिकट के लिए दावा ठोका है। इनमें से बड़ी संख्या में ऐसे भी हैं, जिन्होंने यह सोचकर ही आवेदन किया है कि टिकट मिला तो सही, नहीं मिला तो भी कोई बात नहीं। लेकिन टिकट के लिए जितने भी मजबूत दावेदार हैं, उन्होंने पिछले दस दिनों से नई दिल्ली में डेरा डाला हुआ है। सांघी वाले ताऊ की दिल्ली कोठी पर सप्ताह-दस दिन से भरपूर भीड़ देखने को मिल रही है। वहीं सिरसा वाली ‘बहनजी’ और कैथल वाले ‘भाई साहब’ की कोठी पर भी नेताओं व वर्करों का जमघट लगा रहता है। हर कोई टिकट की कोशिश में अपने ‘गॉडफादर’ के यहां चक्कर लगा रहा है। देखते हैं कांग्रेस वाले ‘बड़े भाई लोग’ अपने समर्थकों में से कितनों की एडजस्टमेंट इस चुनाव में करवा पाते हैं।

जींद ही सत्ता का अखाड़ा

बांगर बेल्ट यानी जींद इस बार भी सत्ता का अखाड़ा बना हुआ है। भाजपा ने अपने विधानसभा चुनाव के कैम्पेन की शुरुआत रविवार को जींद में ही बड़ी रैली करके की। दिल्ली वाले बड़े नेताजी यानी ‘नंबर-टू’ को रैली में आना था लेकिन अचानक उनका कार्यक्रम रद्द हो गया। कांग्रेस भी जींद में ही बड़ी चुनावी रैली का प्लान कर रही है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी इस रैली में आएंगे। इनेलो वाले बिल्लू भाई साहब ने भी देवीलाल जयंती यानी 25 सितंबर को जींद में ही सम्मान समारोह का ऐलान किया हुआ है। वहीं पुराने वाले ‘छोटे सीएम’ भी जींद में एक्टिव हैं। 2019 में तीन सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बार भी पूरा जोर लगाएंगे।

सिपहसालारों की अटकी सांस

हरियाणा भाजपा के दाढ़ी वाले ‘बड़े साहब’ के आधा दर्जन सिपहसालारों की सांसें अटकी हैं। टिकट पर बात बन आई है। आलाकमान द्वारा करवाए गए सर्वे में ग्राउंड रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आई। ऐसे में टिकट काटकर नये चेहरों को मैदान में उतारने की बात हो रही है। इन भाई लोगों ने दिल्ली में मोर्चाबंदी की हुई है। पार्टी नेताओं से लेकर संघ कार्यालय की लगातार परिक्रमा कर रहे हैं। बताते हैं कि इस बार टिकट आवंटन में संघ की भी बड़ी भूमिका रहने वाली है। इनमें से एक-दो ऐसे सिपहसालार भी हैं, जो टिकट कटने की स्थिति में हलका बदलवाने की भी जुगत में हैं।

कुलदीप आए भाजपा के काम

भाजपा व इनेलो ने चुनाव की डेट बदलवाने के लिए पूरा जोर लगाया। दिल्ली से पता लगा है कि दोनों ही पार्टियों के पत्रों को चुनाव आयोग ने गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा का पत्र चुनाव आयोग पहुंचा। इस पत्र ने आयोग को फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया। ऐसी खबरें हैं कि इसी पत्र को आधार बनाकर चुनाव की तारीख आगे खिसकी हैं। महासभा के साथ पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई के बेहद करीबी रिश्ते हैं। वे खुद भी अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के अध्यक्ष रहे हैं। यानी कांग्रेस से भाजपा में आए बिश्नोई भाजपा के लिए काम के साबित हुए।
-दादाजी

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