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चरचा हुक्के पै

08:32 AM Aug 12, 2024 IST

टिकटार्थियों का खेल

कांग्रेस के पास टिकट मांगने वाले नेताओं की लाइन लग गई है। राज्य में विधानसभा के नब्बे हलकों के लिए 2500 के करीब आवेदन आए हैं। दूसरे दलों को छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन करने वाले पूर्व मंत्रियों-विधायकों के अलावा नेता व कार्यकर्ता भी टिकट की डिमांड कर रहे हैं। बाकायदा फीस जमा करवाई है और फिर चुनाव लड़ने का दावा ठोका है। कांग्रेसी जहां इस बात से खुश हैं कि इस बार विधानसभा टिकट को लेकर नेताओं में क्रेज बढ़ा है, वहीं उनकी टेंशन भी बढ़ गई है। एक-एक हलके से 8-10 से लेकर 78 तक आवेदन आए हैं। ऐसे में चुनावों में भितरघात का खतरा भी बना रहेगा। बहुत संभव है कि टिकट नहीं मिलने की स्थिति में कई नेता बागी हो जाएं और आजाद प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस के सामने ही चुनौती पेश करें। हालांकि प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभी से ऐसे संभावित चेहरों को मनाने में जुट चुके हैं। उन्हें सरकार आने पर अच्छी एडजस्टमेंट का लॉलीपॉप दिया जा रहा है।

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नैना पर सस्पेंस

जजपा वाले बड़े नेताजी और डॉक्टर साहब ने अभी पूरे पत्ते नहीं खोले हैं। उन्होंने यह तो स्पष्ट कर दिया कि ज्येष्ठ पुत्र एक बार फिर उचाना से ही मैदान में उतरेंगे। छोटे युवराज और पार्टी के ‘फायर ब्रांड’ नेता को डबवाली से चुनाव लड़वाने का मन है। वर्तमान में बाढ़डा विधायक नैना सिंह चौटाला के चुनाव लड़ने पर अभी सस्पेंस बना हुआ है। दो बार की विधायक नैना सिंह चौटाला इस बार चुनाव लड़ेंगी या नहीं, इस पर डॉक्टर साहब अभी चुप हैं। 2014 में डबवाली और 2019 में बाढ़डा से विधायक बनीं नैना सिंह चौटाला हिसार से हालिया लोकसभा चुनाव लड़ चुकी हैं। पूरे प्रदेश की तरह इस बार जजपा का हिसार में भी बुरा ही प्रदर्शन रहा।

एसआरबी से निकला ‘आर’

किरण चौधरी के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद एसआरके (कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला व किरण चौधरी) ग्रुप एसआरबी बन गया था। दरअसल, किरण की जगह इस ग्रुप में पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह शामिल हो गए। कुमारी सैलजा हरियाणा में कांग्रेस संदेश यात्रा निकाल रही हैं। उनके पोस्टरों पर बीरेंद्र सिंह व रणदीप सुरजेवाला के फोटो भी हैं, लेकिन इस यात्रा के शुरू होने से अब तक रणदीप सुरजेवाला ने एक बार भी मंच साझा नहीं किया है। अलबत्ता अब वे खुद ही परिवर्तन रैलियां शुरू कर चुके हैं। यानी सुरजेवाला ने एसआरबी से खुद को अलग कर लिया है, ऐसे में कांग्रेसियों में चर्चा है कि एसआबी से ‘आर’ निकल गया है।

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चौथे मोर्चे का इंतजार

हरियाणा में इनेलो व बसपा गठबंधन के बाद अब चौथे मोर्चे का इंतजार हो रहा है। इस तरह की खबरें हैं कि जजपा, आम आदमी पार्टी और चंद्रशेखर रावण की पार्टी आपस में हाथ मिला सकते हैं। दिल्ली में आप के एक विधायक की मानें तो बातचीत अंतिम चरण में है और अगर सब सही रहा तो इसका ऐलान कभी भी हो सकता है। वैसे जजपा और आप के बीच 2019 के लोकसभा चुनावों में भी गठबंधन हुआ था, लेकिन चुनावी नतीजों के बाद टूट गया। विधानसभा चुनाव से पहले ही दोनों पार्टियों ने अलग राह पकड़ ली थी। अब अगर ये तीनों इकट्ठे होते हैं तो हरियाणा में चौथा मोर्चा देखने को मिलेगा।

नेताजी की तलाश

दाढ़ी वाले प्रदेश के नये ‘बड़े साहब’ खुद भी और उनके समर्थक भी उनके लिए विधानसभा हलके की तलाश कर रहे हैं। 2014 में नारायणगढ़ से विधायक रहने के बाद नेताजी ने 2019 में कुरुक्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीता था। इसी साल मार्च में हालात ऐसे बने कि नेताजी को बैठे-बिठाए ‘बड़ी कुर्सी’ मिल गई। नेताजी ने करनाल से उपचुनाव भी जीत लिया। अब इस बात पर सस्पेंस है कि नेताजी विस चुनाव भी करनाल से ही लड़ेंगे या फिर नया हलका ढूंढ़ेंगे। पता लगा है कि नेताजी के खासमखास लोगों ने लाडवा में डेरा डाल लिया है। लाडवा को नेताजी के सेकेंड ऑप्शन के तौर पर देखा जा रहा है।

नॉन-स्टॉप नायब

भाजपा सरकार के ‘म्हारा हरियाणा - नॉन स्टॉप हरियाणा’ नारे को चरितार्थ करने के लिए ‘दाढ़ी वाले बड़े साहब’ कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। कम बारिश से किसानों को होने वाले नुकसान को भांपते हुए उनकी मदद के लिए 2 हजार रुपये प्रति एकड़ का बोनस, 49 लाख बीपीएल परिवारों को 500 रुपये में हर माह एक गैस सिलेंडर, महाग्रामों में 50 और छोटे गांवों में गरीबों को 100-100 गज के प्लाॅट देने का फैसला नॉन-स्टॉप का ही हिस्सा है। पूरी तरह से चुनावी मोड में आ चुकी भाजपा ने कांग्रेस वाले भाई लोगों के सामने भी बड़ा चैलेंज खड़ा कर दिया है। कांग्रेसी अपने घोषणा-पत्र में जो वादे करने की तैयारी कर रहे हैं, उनमें से कई को ‘दाढ़ी’ वाले नेताजी पहले ही पूरा कर चुके हैं। फिलहाल, नेताजी नॉन-स्टॉप घोषणाओं में जुटे हैं। माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में बुढ़ापा पेंशन को लेकर भी बड़ा फैसला हो सकता है। यह देखना रोचक रहेगा कि भाजपा और नेताजी की इस प्लानिंग और घोषणाओं का मतदाताओं पर कितना असर पड़ेगा।

कांडा पर किंतु-परंतु

हरियाणा में भाजपा का सिरसा विधायक गोपाल कांडा की हलोपा के साथ गठबंधन को लेकर किंतु-परंतु बना हुआ है। हालांकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि प्रदेश में भाजपा अपने दम पर सभी नब्बे सीटों पर चुनाव लड़ेगी। लेकिन कांडा की जिस तरह से पिछले कुछ दिनों में भाजपा के केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात हुई है, उसके बाद से गठबंधन की चर्चाओं ने जोर पकड़ा हुआ है। यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि कांडा के साथ अगर गठबंधन होगा भी तो कितनी सीटों पर। वहीं कांडा के छोटे भाई गोबिंद कांडा द्वारा फतेहाबाद में बढ़ाई गई सक्रियता भी चर्चा में है। माना जा रहा है कि इस बार गोबिंद रानियां या ऐलनाबाद की बजाय फतेहाबाद से किस्मत आजमा सकते हैं।
-दादाजी

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