चरचा हुक्के पै
बुक्के ‘गैंग’ सक्रिय
हरियाणा सिविल सचिवालय में पिछले दस-पंद्रह दिनों से ‘बुक्के गैंग’ सक्रिय है। इनकी वजह से मंत्रियों को अधिकारियों के साथ विभागीय बैठकें करने का भी समय नहीं मिल रहा है। विभागों के प्रशासनिक सचिव और विभाग प्रमुख बैठक के साथ-साथ मंत्रियों के साथ ‘कर्टसी’ मुलाकात का इंतजार कर रहे हैं। स्थिति यह हो गई है कि मंत्री जब भी अपने कार्यालय में पहुंचते हैं, तो उनसे पहले पचास से सौ लोगों की भीड़ मौजूद रहती है। सभी एक-एक करके मंत्रियों को बुक्के भेंट करते हैं। रोचक पहलू यह है कि पूरे सचिवालय में दो दर्जन के लगभग बुक्के ही घूम रहे हैं। शुरुआत में मंत्री की टेबल बुक्कों से भरी दिखती है, लेकिन जब भीड़ छंटती है तो बुक्कों की संख्या भी घट जाती है। दरअसल, ये लोग अपने साथ ही बुक्के लेकर निकल जाते हैं और फिर दूसरे मंत्री के साथ बुक्कों के साथ फोटो-शूट शुरू हो जाता है।
पंचकूला में ‘कार बार’
राजधानी चंडीगढ़ से सटे पंचकूला में पिछले दिनों ‘कार बार’ वाली घटना सुर्खियां बनी हुई है। बताते हैं कि एक आईएएस अधिकारी पंचकूला की सड़कों पर अपनी गाड़ी दौड़ा रहे थे, लेकिन इस दौरान उनके हाथों में जाम भी था। बताते हैं कि एक जगह काफी कहासुनी और झगड़ा भी हुआ। बात ब्यूरोक्रेसी के आला अधिकारियों तक भी पहुंच गई है। एक जिले के डीसी ये आईएएस महोदय पहले भी सुर्खियों में रह चुके हैं। माना जा रहा है कि आने वाले कुछ दिनों में ब्यूरोक्रेसी में बड़ा बदलाव होने वाला है। ऐसे में ‘कार बार’ वाले ‘भाई साहब’ की भी बदली होने की प्रबल संभावना है।
नायाब स्टाइल
अपने ‘दाढ़ी वाले’ नेताजी यानी बड़े ‘कद’ वाले ‘बड़े साहब’ का अंदाज भी ‘नायाब’ है। बात चाहे उम्र की हो या फिर राजनीतिक कद की, अपने से बड़ों को झुककर बड़े ही अदब से सम्मान देने वाले ‘बड़े साहब’ की मधुर आवाज और सॉफ्ट अंदाज भी लोगों को रास आ रहा है। विधानसभा के एक दिन के विशेष सत्र में भी वे अपने इसी अंदाज में नजर आए। सांघी वाले ताऊ नये स्पीकर को चेयर पर बैठाने के मुद्दे पर नाराज हो गए। ‘बड़े साहब’ ने ताऊ की नाराजगी को भांप लिया और तुरंत अपनी सीट छोड़कर सांघी वाले ताऊ के पास जा पहुंचे। बड़े अदब के साथ हाथ जोड़कर उनके आगे झुक गए। फिर उनका हाथ पकड़ कर स्पीकर के पास लेकर आए। ब्यूरोक्रेसी भी उनके इस अंदाज पर फिदा है। यह बात अलग है कि वे अधिकारियों व कर्मचारियों की ‘चूड़ी टाइट’ करने का बयान भी दे चुके हैं। अब लोगों को इसी बात का इंतजार है कि कब कितने अधिकारियों और कर्मचारियों की चूड़ी टाइट ‘बड़े साहब’ करेंगे।
‘बंगलों’ का इंतजार
नायब सरकार के नये मंत्रियों को ‘बंगलों’ का इंतजार है। 17 अक्तूबर को मंत्री के रूप में ओथ लेने के बाद ही ‘भाई लोगों’ ने अपनी पसंद की कोठियां हासिल करने के लिए पुराने मंत्रियों की कोठियों का मुआयना भी शुरू कर दिया था। कुछ तो ऐसे हैं जो खुद ही कोठियों का मुआयना करके आए। कुछेक ने अपने करीबियों को इस काम में लगा दिया था। बताते हैं कि अधिकांश कोठियों को लेकर अपनी च्वाइस सरकार को बता चुके हैं। गोहाना वाले पंडितजी और राज्यसभा से विधानसभा पहुंचे इसराना वाले मंत्रीजी को नई दिल्ली से एनओसी का इंतजार है। दरअसल, इनके पास नई दिल्ली में सरकारी आवास थे। वे अब खाली कर दिए हैं तो एनओसी भी लेनी होगी। यह एनओसी यहां जमा होने के बाद कोठी अलॉट होगी।
निजी स्टाफ की चाहत
सरकार के नये मंत्रियों के यहां निजी स्टाफ के तौर पर नियुक्ति के लिए अधिकारियों व कर्मचारियों में मारामारी है। करीब साढ़े नौ वर्षों तक मनोहर सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे अम्बाला कैंट वाले नेताजी पहले ही अपना स्टाफ तय कर चुके हैं। उन्होंने पुरानों पर ही ‘भरोसा’ जताया है। पूर्व में मंत्री रह चुके विपुल गोयल और राव नरबीर सिंह ने भी पुराने स्टाफ में से अधिकांश को अपने पास बुला लिया है। वहीं नये मंत्रियों के यहां लगने के लिए कई अधिकारियों-कर्मचारियों में लॉबिंग हो रही है। मंत्रियों के पास निजी स्टाफ के लिए सिफारिशी फोन भी आ रहे हैं। कई मंत्री अभी तक इसलिए निजी स्टाफ तय नहीं कर पाए हैं क्योंकि उन्हें टाइम ही नहीं मिल पा रहा।
... तो ‘गब्बर’ भी लेंगे कोठी
मनोहर सरकार में लगातार करीब साढ़े नौ वर्षों तक हेवीवेट कैबिनेट मंत्री रहे ‘दाढ़ी वाले बाबा’ यानी अंबाला वाले ‘गब्बर’ भी इस बार चंडीगढ़ में सरकारी कोठी ले सकते हैं। मनोहर सरकार में मंत्री रहते हुए उन्होंने अंबाला कैंट से ही अप-डाउन किया। चंडीगढ़ में सरकारी कोठी नहीं लेने वाले वे अकेले मंत्री थे। बताते हैं कि इस बार वे कोठी लेने का मन बना रहे हैं। हालांकि फाइनल अभी भी कुछ नहीं है, लेकिन बाबा के करीबियों का कहना है कि इस बार चंडीगढ़ में सरकारी आवास लिया जा सकता है। अगर बाबा आवास लेते हैं तो प्रोटोकॉल के हिसाब से उन्हें सबसे बड़ी कोठी मिलेगी।
कांग्रेसियों की सियासत
कांग्रेस में पिछले दिनों बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम हुआ। कुश्ती पहलवान बजरंग पूनिया ने नई दिल्ली में विधिवत रूप से किसान कांग्रेस के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर अपना कार्यभार संभाला। इस मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा व चौ़ बीरेंद्र सिंह के साथ बजरंग पूनिया मंच शेयर करते नज़र आए। यह बड़ा राजनीतिक मामला इसलिए बन गया क्योंकि बजरंग पूनिया की कांग्रेस में एंट्री करवाने में रोहतक वाले ‘युवराज’ की अहम भूमिका मानी जाती है। ऐसे में बजरंग का सैलजा और बीरेंद्र के साथ जाना नये सियासी संकेत दे रहा था। एक ही दिन बाद बजरंग पूनिया नई दिल्ली में ही सांघी वाले ताऊ के साथ लॉन में खड़े होकर फोटो-शूट करवाते नजर आए। यानी राजनीतिक चर्चाओं को पूरी तरह से अगले ही दिन बैलेंस कर दिया गया।
कद देख कै गाड्डी दे दयो
नायब कैबिनेट में एक कैबिनेट मंत्री का ‘कद’ सबसे ऊंचा है। मंत्रीजी को सरकार ने बाकी मंत्रियों की तरह फॉरच्यूनर गाड़ी अलॉट कर दी। एक-दो बार बैठने के बाद ही मंत्रीजी का मन गाड़ी से भर गया। कुछ तो मंत्रीजी का कद काफी ऊंचा है। ऊपर से वे पगड़ी भी नियमित रूप से बांधते हैं। ऐसे में सिर गाड़ी की छत पर लगता है। मंत्रीजी ने सीएमओ के आला अफसर को फोन लगा दिया। कहने लगे – जनाब ऐसा है, यह गाड़ी मेरे हिसाब से सही नहीं है। मेरे कद के हिसाब से गाड़ी मुहैया करवाई जाए। मुझे बेशक टेम्पो दे दो। लेकिन गाड़ी ऐसी हो, जिसमें मेरा सिर छत पर ना लगे। बताते हैं कि अब सीएमओ वाले ‘भाई लोग’ मंत्रीजी के लिए उनके कद के हिसाब से गाड़ी का प्रबंध करने में जुट गए हैं।
-दादाजी