बचपन में डालें आदतें सेहतमंद भविष्य की
बीते कुछ सालों से हृदय से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं, खासकर हार्ट अटैक के मामले। बड़ों के साथ ही किशोर व नौजवान भी इनका शिकार बन रहे हैं। गलत खानपान व लाइफस्टाइल के चलते होने वाली हृदयाघात जैसी बीमारियों से बच्चों-किशोरों को कैसे बचाएं, इसी को लेकर फरीदाबाद स्थित कार्डियोथोरेसिक सर्जन डॉ. राजेश शर्मा से रजनी अरोड़ा की बातचीत।
बीते माह त्योहार के अवसर पर गुजरात में 10 लोगों की हार्ट अटैक से मौत की खबर सुर्खियों में रही। जिनमें से एक 17 साल का किशोर भी था। इतनी कम उम्र में अचानक हुई मौत से सबका हैरान होना स्वाभाविक है। कुछ लोग बच्चे की लाइफ लाइन के तार जन्मजात बीमारी से जोड़ रहे हैं, तो कुछ आधुनिक आरामपरस्त जीवनशैली और खानपान की गलत आदतों से। शहरों में रहने वाले तकरीबन 90 प्रतिशत पैरेंट्स इन आदतों को अपने बच्चों में बचपन से ही जाने-अनजाने विकसित कर रहे हैं। जिसका असर देर-सवेर बच्चों पर देखने को मिल रहा है।
वैज्ञानिकों की मानें तो 10 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते कई बच्चों की हार्ट आर्टरीज में ब्लॉकेज बनना शुरू हो जाता है। इतनी छोटी उम्र में हार्ट अटैक के मामले सामने आना खतरे की घंटी है। जिसके प्रति पैरेंट्स को सजग होने और बचपन से ही बच्चों में अच्छी आदतें डालने की जरूरत है। जानिये कुछ आदतें जो गलत खानपान व लाइफस्टाइल से होने वाली बीमारियों से बच्चों-किशोरों को बचाने में मददगार हैं।
खिलाएं पौष्टिक और संतुलित आहार
घर पर बना खाना खाने की आदत डालें। कलरफुल रेनबो डाइट बनाएं। हर फूड-ग्रुप यानी फाइबर, प्रोटीन, विटामिन्स-मिनरल्स से भरपूर चीजें शामिल करें। फल-सब्जियां, दालें व दूध और दूध से बने पदार्थ ज्यादा से ज्यादा खाने के लिए दें। स्कूल में टिफिन के लिए भी घर में बनी ईजी-टू-ईट और पौष्टिक चीजें दें। हाइड्रेशन का ध्यान रखें। दिन में कम से कम 3-4 गिलास पानी या घर में बनाए कम चीनी वाले पेय पीने को दें। वहीं ऑयली और रिफाइंड चीजों से परहेज करने की आदत डालें-चीनी, नमक, मैदा और रिफाइंड ऑयल। इनसे बेवजह वजन बढ़ने और कई बीमारियां होने का खतरा रहता है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, रोजाना 15-20 ग्राम या 3 चम्मच से अधिक चीनी देना नुकसानदेह है। इसलिए टॉफी-चॉकलेट, कोल्ड ड्रिंक्स, शेक, जूस जैसी चीजें से यथासंभव दूरी बना कर चलें। अल्ट्राप्रोसेस्ड, बेकरी, फास्ट फूड, जंक फूड भी कभी-कभार ही दें। कोशिश करें पौष्टिकता का ध्यान रखते हुए घर पर बनाकर दें।
पॉकेट मनी देने से बचें
बच्चों की जरूरत की चीजें खुद उपलब्ध कराएं। पॉकेट मनी न दें या बहुत सीमित मात्रा में ही दें। इससे दोस्तों के संग स्कूल-कैंटीन या बाहर अनहेल्दी चीजें खाने की आदत से बचे रहेंगे।
स्क्रीन टाइम लिमिट करें
ज्यादा देर तक बच्चों को टीवी प्रोग्राम्स या लैपटॉप-मोबाइल पर गेम्स न खेलने दें। मानसिक रूप से जुड़ जाने पर वो सबकुछ भूल जाते हैं और बिना किसी मूवमेंट घंटों बैठे रहते हैं। स्क्रीन टाइम कम करने के लिए उनकी रुचि के हिसाब से दूसरी एक्टिविटीज करने के लिए प्रोत्साहित किया जाये तो बेहतर है। तरह-तरह के खिलौने, पजल्स, हॉबीज की चीजें लाकर दें। पेंटिंग, क्राफ्ट, डांस-म्यूजिक, इंस्ट्रूमेंट प्लेइंग, गेम व कंप्यूटर जैसी एक्टिविटीज की लर्निंग-क्लासेज ज्वाइन कराएं। इससे बच्चे की क्रिएटिविटी बढ़ने के साथ ही वह एक्टिव भी रहेगा।
आउटडोर गेम्स खेलने को करें प्रेरित
बचपन से ही बच्चों को पार्क लेकर जाएं। साथ ही दूसरे बच्चों के साथ खेलने, ग्रुप एक्टिविटीज करने के लिए मोटिवेट करें। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक, बच्चे का रोजाना कम से कम 3-4 घंटे एक्टिव रहना जरूरी है। फिजीकल एक्टिविटीज करने पर बच्चे का एनर्जी लेवल मेंटेन रहेगा, मोटापा नहीं बढ़ेगा, हार्ट की कसरत होगी और वह स्वस्थ रहेगा।
स्ट्रेस मैनेजमेंट की सीख
बच्चे को दूसरे कामों में व्यस्त करके अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना सिखाएं। गुस्से या तनावपूर्ण स्थिति में खुद को या दूसरे को किसी तरह नुकसान पहुंचाने व चिल्लाने के बजाय शांत रहने की कला सिखाएं। तभी वो आगे चलकर हाइपर मूड वाले नहीं बनेंगे और स्वस्थ रहेंगे।
सर्केडियन रिद्म का ध्यान
हेल्दी रहने के लिए सर्केडियन रिद्म का पालन यानी सोने-जागने, खाने-पीने का रूटीन सेट करना सिखाएं। खासकर डिनर सोने से करीब 3 घंटा पहले करना और रात को खाने के बाद टीवी या गैजेट्स से यथासंभव दूरी बनाने की आदत डालनी जरूरी है।
स्मोकिंग-एल्कोहल से दूरी
पैरेंट्स को इन्हें यथासंभव घर में लेना अवॉयड करना चाहिए। इससे एक तो बच्चा पेसिव स्मोकिंग की चपेट में नहीं आएगा, दूसरा आगे चलकर इनके आदी होने और विभिन्न तरह की बीमारियों से बचा रहेगा।